मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा विधि

मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा विधि

26 जुलाई, बुधवार जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व


देवी दुर्गा को हिंदू धर्म में जगत जननी के रूप में देखा जाता है। एक जननी की तरह माँ दुर्गा अपने सभी भक्तों की रक्षा करती हैं, उनको अपना प्रेम देती हैं, और उन पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखती हैं। इसलिए सभी भक्त माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनका व्रत और पूजा करते है। माँ दुर्गा को समर्पित मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत भी भक्त विधि विधान से करके माँ को प्रसन्न करते है।

हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत किया जाता है। इस दिन दुर्गा माता को प्रसन्न करने के लिए पूरे भक्ति भाव से उनकी पूजा अर्चना की जाती है। इसके साथ ही भक्त माँ दुर्गा के प्रति अपनी आस्था को प्रकट करने के लिए व्रत रखते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जुलाई में माँ दुर्गा का मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कब है? और मासिक दुर्गाष्टमी का शुभ मुहूर्त क्या है?

मासिक दुर्गाष्टमी की तिथि

पंचांग के अनुसार, अधिक श्रावण मास या फिर जुलाई महीने का मासिक दुर्गाष्टमी व्रत 26 जुलाई 2023, बुधवार को है। जो कि प्रारम्भ 25 जुलाई मंगलवार को दोपहर में 03 बजकर 08 मिनट से होगा। यह अष्टमी 26 जुलाई बुधवार को दोपहर 03 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी।

मासिक दुर्गाष्टमी का है विशेष महत्व

मासिक दुर्गाष्टमी को हिंदू धर्म में शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है। अष्टमी के दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध करके पूरे ब्रह्माण्ड को उस भयानक राक्षस के प्रकोप से मुक्त किया था। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन देवी ने अपने भयानक और रौद्र रूप को धारण किया था, इसलिए इस दिन को देवी भद्रकाली के अवतरण का दिन भी माना जाता है।

इस दिन पूरी निष्ठा के साथ पूजा-पाठ करने और व्रत रखने वाले लोगों पर माता का आर्शीवाद बना रहता है। सच्चे भक्तजनों के सभी कष्ट-विकार दूर होते हैं और उनके घर में सुख-शांति बनी रहती है। मां की उपासना करने वालों की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। तो यह था मासिक दुर्गाष्टमी व्रत का महत्व।आइए अब जानते है मासिक दुर्गाष्टमी व्रत की पूजा विधि के बारे में।

मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा विधि

क्या आप एक ऐसी पूजा विधि के बारे में जानते हैं? जिसके करने से ही मनुष्य को उसकी तमाम समस्याओं से मुक्ति मिलती है, साथ ही सुख शांति और समृद्धि की भी प्राप्ति होती है। इसके अलावा भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है? अगर नहीं तो यह पूजा विधि जरूर पढ़ें। दरअसल हम बात कर रहे हैं मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मॉं दुर्गा की आराधना की।

मान्यता है कि दुर्गाष्टमी के दिन विधि विधान से पूजा अर्चना करने से मॉं दुर्गा अपने भक्तों के हर संकट से उनकी रक्षा करती हैं साथ ही उन्हें धन-वैभव, ऐश्वर्य और संपन्नता भी प्रदान करती हैं। कहा जाता है देवी देवताओं की पूजा भी तभी फलीभूत होती है, जब उसे पूर्ण विधि-विधान से दोषरहित तरीके से किया जाए। इसलिए आइए विस्तार से जानते हैं मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मॉं दुर्गा की संपूर्ण पूजा विधि के बारे में।

इस दिन प्रातः उठकर दैनिक क्रिया से निवृत्त होने के बाद स्नान कर लाल रंग के साफ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद तांबे के पात्र में लाल रंग का तिलक लगाएं और सूर्यदेव को अर्घ्य दें। फिर घर की साफ-सफाई करके पूजा स्थान और घर में गंगाजल का छिड़काव करें। अब एक लकड़ी का साफ पाटा या चौकी लेकर उसपर लाल वस्त्र बिछाएं। चौकी को गंगाजल से शुद्ध करें और माँ दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें। अब मां की मूर्ति पर लाल रंग का पुष्प चढ़ाकर धूप और दीप जलाएं।

इसके साथ ही मां को 16 श्रृंगार का सामान भी चढ़ाएं। फिर फल और मिठाई अर्पित करने के बाद मॉं दुर्गा की आरती उतारें। अब मॉं दुर्गा की ज्योति जलाकर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इसके अलावा इस दिन दुर्गा चालीसा का पाठ करना भी बेहद शुभ माना जाता है। इसलिए दुर्गाष्टमी के दिन दुर्गा चालीसा का पाठ करें। ध्यान रहें मां को चढ़ाए गए 16 श्रृंगार का सामान किसी सुहागन या नवदुर्गा के मंदिर में किसी को दान कर दें। मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों के घर में सुख शांति की प्राप्ति होती है।

तो भक्तों यह थी मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा विधि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी। आगे हम जानेंगे कि मासिक दुर्गाष्टमी के दिन किन किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। तो आइए जानते हैं मासिक दुर्गाष्टमी के दिन किन विशेष बातों का खास ख्याल रखना चाहिए और किन चीजों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए।

मासिक दुर्गाष्टमी के दिन क्या करें और क्या नहीं

कहा जाता है कि दुर्गाष्टमी के दिन घर में सुख और समृद्धि के लिए मां की ज्योति आग्नेय कोण में जलाना शुभ होता है। इसलिए इस दिन मां की ज्योति को आग्रेय कोण में ही जलाएं। इसके साथ ही इस दिन पूजा करने वाले भक्तों का मुख पूजा के समय पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ ही होना चाहिए। साथ ही ध्यान रहें कि पूजा के समय पूजा का सामान दक्षिण-पूर्व दिशा में ही रखें। इसके अलावा मासिक दुर्गाष्टमी के दिन पूजा में तुलसी, आंवला, दूर्वा, मदार और आक के पुष्प का इस्तेमाल ना करें। इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए। कहा जाता है कि घर में कभी एक से अधिक मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो नहीं रखनी चाहिए।ाष्ट कहा जाता है कि दुर्गाष्टमी के दिन घर में सुख और समृद्धि के लिए मां की ज्योति आग्नेय कोण में जलाना शुभ होता है। इसलिए इस दिन मां की ज्योति को आग्रेय कोण में ही जलाएं। इसके साथ ही इस दिन पूजा करने वाले भक्तों का मुख पूजा के समय पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ ही होना चाहिए। साथ ही ध्यान रहें कि पूजा के समय पूजा का सामान दक्षिण-पूर्व दिशा में ही रखें। इसके अलावा मासिक दुर्गाष्टमी के दिन पूजा में तुलसी, आंवला, दूर्वा, मदार और आक के पुष्प का इस्तेमाल ना करें। इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए। कहा जाता है कि घर में कभी एक से अधिक मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो नहीं रखनी चाहिए। कहा जाता है कि दुर्गाष्टमी के दिन घर में सुख और समृद्धि के लिए मां की ज्योति आग्नेय कोण में जलाना शुभ होता है। इसलिए इस दिन मां की ज्योति को आग्रेय कोण में ही जलाएं। इसके साथ ही इस दिन पूजा करने वाले भक्तों का मुख पूजा के समय पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ ही होना चाहिए। साथ ही ध्यान रहें कि पूजा के समय पूजा का सामान दक्षिण-पूर्व दिशा में ही रखें। इसके अलावा मासिक दुर्गाष्टमी के दिन पूजा में तुलसी, आंवला, दूर्वा, मदार और आक के पुष्प का इस्तेमाल ना करें। इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए। कहा जाता है कि घर में कभी एक से अधिक मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो नहीं रखनी चाहिए।

तो भक्तों इस लेख में आपने मासिक दुर्गाष्टमी का शुभ मुहूर्त, महत्व और इस दिन किन चीजों को करने से बचना चाहिए, इस विषय पर जानकारी प्राप्त की। हम आशा करते हैं आपको यह जानकारी पसंद आई होगी और माँ दुर्गा का आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहे।

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