प्रथम श्रावण सोमवार की पूजा विधि
साल में पड़ने वाले बारह महीनों में पड़ने वाले पर्व त्योहार हमें ईश्वर से सीधे जोड़ते हैं। इसी प्रकार हिंदू कैलेंडर के पांचवें मास श्रावण में भी कई विशेष पर्व मनाए जाते हैं। ये महीना भगवान शंकर को बहुत प्रिय माना जाता है। और इस महीने में पड़ने वाला हर सोमवार शिव जी की उपासना करने व उनकी कृपा पाने के लिए सबसे उत्तम दिन होता है। लेकिन क्या आप जानते है कि इस वर्ष का सावन बहुत ही विशेष होने वाला है, क्योंकि इस साल अधिक मास होने के कारण सावन दो महीने का होने वाला है। इसलिए सभी के मन में एक सवाल घूम रहा है कि 2023 में सावन में कितने सोमवार होंगे? तो आपको बता दें कि इस वर्ष सावन के 8 सोमवार होंगे। सावन के सोमवार के दिन शिव भक्त व्रत रखते हैं व विधि विधान से भोलेनाथ की पूजा करते हैं। लेकिन 2023 में सावन का पहला सोमवार कब है? श्रावण के पहले सोमवार की पूजा विधि व व्रत कथा क्या है आपको इन सब सवालों के जवाब श्री मंदिर विशेष इस लेख में मिल जाएंगे। तो आइए सबसे पहले जानते है कि सावन का पहला सोमवार कब है?
सावन के पहले सोमवार की तिथि-
सावन का प्रथम सोमवार, 10 जुलाई को कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर पड़ रहा है।
अष्टमी तिथि 09 जुलाई, रविवार को शाम 07 बजकर 59 मिनट पर प्रारंभ होगी।
अष्टमी तिथि 10 जुलाई, सोमवार को शाम 06 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होगी।
सावन सोमवार पूजा का शुभ मुहूर्त-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी व्रत की पूजा को अगर शुभ मुहूर्त में किया जाए तो उस पूजा का विशेष लाभ प्राप्त होता है। तो आइए जानते है सावन सोमवार पूजा का शुभ मुहूर्त
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 03 बजकर 52 मिनट से प्रातः 04 बजकर 33 मिनट तक रहेगा।
प्रातः सन्ध्या मुहूर्त प्रात: 04 बजकर 12 मिनट से सुबह 05 बजकर 14 मिनट तक होगा।
अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 36 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
विजय मुहूर्त दिन में 02 बजकर 19 मिनट से 03 बजकर 14 मिनट तक रहेगा।
इस दिन गोधूलि मुहूर्त शाम में 06 बजकर 51 मिनट से 07 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।
सायाह्न सन्ध्या काल शाम में 06 बजकर 52 मिनट से 07 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।
इस दिन अमृत काल शाम 04 बजकर 38 मिनट से 06 बजकर 12 मिनट तक रहेगा
श्रावण के प्रथम सोमवार का महत्व
श्रावण मास में प्रतिदिन भगवान की पूजा व उन्हें जल चढ़ाने का विशेष महत्व है। जो जातक हर दिन भोलेनाथ की उपासना ना कर सकें, वे सोमवार को व्रत रखें और शिव आराधना करें। इस व्रत में श्रावण माहात्म्य और शिव महापुराण की कथा सुनने से विशेष पुण्य फल मिलता है। कुछ जातक सोमवार के दिन निर्जल व्रत रखते हैं, और कुछ जातक फलाहार या एक समय बिना नमक का भोजन करते हैं। मान्यता है कि जो भक्त सावन सोमवार का व्रत करता है, भगवान शिव उसकी हर मनोकामना शीघ्र पूर्ण करते हैं।
तो यह थी सावन के प्रथम सोमवार के शुभ मुहूर्त, तिथि व महत्व से जुड़ी पूरी जानकारी, आगे जानते है सावन के प्रथम सोमवार व्रत की पूजन विधि अर्थात श्रावण सोमवार व्रत की पूजा विधि।
सावन सोमवार व्रत विधि
धार्मकि मान्यताओं के अनुसार किसी भी व्रत को विधि विधान से किया जाएं तो उसका सम्पूर्ण फल प्राप्त होता है। तो आइए सावन के सोमवार व्रत की पूजा विधि जानते है और भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
इस कल्याणकारी दिन पर ब्रह्म मुहूर्त पर उठकर भगवान भोलेनाथ का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद आप स्नान आदि करके सभी नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं। तत्पश्चात् स्वच्छ कपड़े धारण करके सूर्यदेव को जल का अर्घ्य दें। फिर मंदिर जाकर भगवान शिव का स्मरण करते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। भगवान शिव को पंचामृत अतिप्रिय है इसलिए जल के बाद आप शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें।
इसके बाद भगवान शिव को पुष्प,फल, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध, दही, घी, शहद, चंदन,रोली, तुलसी दल, बेलपत्र आदि अर्पित करें और शिव चालीसा पढ़ें। इसके बाद महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें। ऐसा करना इस दिन बेहद शुभ माना जाता हैं।
साथ ही घर के मंदिर में भी भगवान शिव की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित करें और उन्हें तिलक लगाकर पूजा सामग्री और भोग अवश्य अर्पित करें। इसके बाद श्रावण सोमवार की व्रत कथा सुने और श्रद्धापूर्वक भगवान शिव की आरती उतारें। फिर उनके आशीष की कामना करें और अंत में प्रसाद वितरित करें।
आपको बता दें श्रावण के प्रथम सोमवार के व्रत का विशेष महत्व है, इसलिए इस दिन फलाहार करके व्रत रखें। ध्यान रखें व्रत में नमक का सेवन बिल्कुल भी ना करें। संध्याकाल में विधिपूर्वक भगवान की पूजा पाठ करने के बाद ही व्रत का पारण कर सकते हैं।