पौराणिक कथा के अनुसार, पुराने समय की बात है कि समस्त बारह सिंह आत्माएं सोमरोस पर रहा करती थीं। उनमें से एक आत्मा ने गर्भ धारण करने के बाद एक खूबसूरत सी कन्या को जन्म दिया। जिसका नाम अछोदा रखा गया। अछोदा बचपन से ही अपनी माता की देखरेख में पली बढ़ी थी। ऐसे में उसे शुरुआती दिनों से ही हमेशा अपने पिता की कमी महसूस होती थी। जिसके कारण एक बार उसे सारी आत्माओं ने मिलकर धरती लोक पर राजा अमावसु की पुत्री के रूप में जन्म लेने को कहा।
राजा अमावसु एक प्रसिद्ध और महान राजा थे जिन्होंने अपनी पुत्री अछोदा का लालन पोषण बहुत अच्छे से किया। ऐसे में पिता का प्यार पाकर अछोदा काफी प्रसन्न रहने लगी। इसके बदले में अछोदा पितृ लोक की आत्माओं का आभार जताना चाहती थी। इसके लिए उसने श्राद्ध का मार्ग अपनाया। इस कार्य को करने के लिए उसने सबसे अंधेरी रात को चुना। जिस दिन चंद्रमा आकाश में मौजूद नहीं होता, उस दिन वह पितृ आत्माओं का विधि विधान से पूजन करने लगी। पितृ भक्ति के कारण अछोदा को वो तमाम सुख मिले, जो उसे स्वर्ग में भी प्राप्त नहीं हो रहे थे। तभी से बिना चंद्रमा के आकाश को राजा अमावसु के नाम पर अमावस्या नाम से जाना जाने लगा।
मान्यता है कि इस दिन पितृ अपने लोक से धरती पर वापस आते हैं और अपने प्रियजनों को आशीर्वाद देते हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार, पितरों का श्राद्ध करते वक्त चंद्रमा दिखाई नहीं देना चाहिए। यही वजह है कि दर्श अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध करने की पृथा है। दर्श अमावस्या की व्रत कथा यहीं पर होती है समाप्त । अगर आप दर्श अमावस्या की पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में जानना चाहते हैं तो श्री मंदिर के ऐप पर इससे संबंधित वीडियो ज़रूर देखें।
दर्श अमावस्या पर किए जाने वाले विशेष उपाय
इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है, इसलिए इस दिन जरूरतमंद और गरीब लोगों को दान-दक्षिणा देना फलदायी माना जाता है। साथ ही दर्श अमावस्या पर ब्राह्मणों को भोजन कराने का भी खास महत्व है। इसके अलावा इस दिन मीठे में खीर का दान करना भी शुभ माना जाता है। ध्यान रहें इस दिन उपासक ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करें।
आपको बता दें, इस तिथि पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए घर में 16 दीपक जलाने की भी परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितृ आपके घर द्वार पर आते हैं, इसलिए उनके लिए घर में रोशनी की जाती है, साथ ही उनके लिए मिष्ठान और पूड़ी उचित स्थान पर रखा जाता है, ताकि वे भूखे वापस न जाए। वहीं इस दिन पिंडदान और तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
इस दिन क्या नहीं करना चाहिए
आप इस दिन दूसरों के घर का अन्न ग्रहण न करें। इस तिथि पर क्रोध, हिंसा, अनैतिक कार्य, मांस-मदिरा का सेवन कदापि न करें। दर्श अमावस्या पर आप इन बातों को विशेष रूप से ध्यान रखें, इससे आपको पुण्य की प्राप्ति होगी।