हिंदू धर्म में हर एक तिथि का अपने आप में अलग महत्व होता है और हर तिथि के अनुसार एक विशेष व्रत भी रखा जाता है। लेकिन अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। एक वर्ष में 12 अमावस्या आती हैं, जिनका अलग-अलग महत्व होता है। भाद्रपद मास में आने वाली अमावस्या को दर्श अमावस्या या फिर पिठोरी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 2023 में दर्श अमावस्या कब है? इसका महत्व और शुभ मुहूर्त क्या है? तो आइए जानते हैं दर्श अमावस्या के बारे में सम्पूर्ण जानकारी।
दर्श अमावस्या का शुभ मुहूर्त
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की दर्श अमावस्या की तिथि 14 सितंबर, 2023 को 04:51:51 बजे से आरम्भ होगी और तिथि का समापन 15 सितंबर, 2023 को 07:12:02 बजे होगा।
दर्श अमावस्या व्रत का महत्व
मान्यताओं के अनुसार, आज के दिन जो लोग दर्श अमावस्या की पूजा और उपवास करते हैं, उन पर भगवान शिव और चंद्र देवता की विशेष कृपा होती है। चंद्र देव लोगों को शीतलता और शांति प्रदान करते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि, इस दिन पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने परिवार जनों को आशीर्वाद देते हैं इसलिए इस दिन अपने पूर्वजों के लिए प्रार्थना की जाती है।
यह तिथि पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी गई है। जीवन में संघर्ष करने वाले लोग भी इस दिन सफलता की प्रार्थना करते हुए व्रत एवं पूजा-पाठ करते हैं। साथ ही इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है, इसलिए इस दिन जरूरतमंद और गरीब लोगों को दान-दक्षिणा देना फलदायी माना जाता है। साथ ही दर्श अमावस्या पर ब्राह्मणों को भोजन कराने का भी खास महत्व है और मीठे में खीर का दान करना भी शुभ माना जाता है।
दर्श अमावस्या की पूजा विधि
दर्श अमावस्या के दिन वैसे तो ब्रह्म मुहूर्त में ही किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विधान है, लेकिन अगर आपके लिए यह संभव न हो पाए तो आप घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और पूजा की तैयारियां शुरू कर दें। सबसे पहले अपने पूजा स्थल की सफाई करके वहां गंगाजल का छिड़काव करें। फिर मंदिर में दीपक जलाकर पूजा विधि प्रारंभ करें।
आपको बता दें, इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और तुलसी माता की पूजा विधि पूर्वक की जाती है। आप भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित कर उनका जलाभिषेक करें। इसके बाद आप शिवलिंग पर दूध, फूल, धतूरा, अक्षत, चंदन,रोली, तुलसी दल, बेलपत्र और पंचामृत चढ़ाएं।
इसके बाद आप माता पार्वती को 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। अब भगवान शिव और माता पार्वती के समक्ष धूप जलाने के बाद ‘ॐ नमः शिवाय मंत्र का sजाप करें’। फिर दर्श अमावस्या की व्रत कथा सुनें और शिव चालीसा का पाठ करें। अंत में भगवान से मंगल कामना करते हुए उनकी आरती उतारें।
अब आप तुलसी माता की पूजा-अर्चना करें, फिर तुलसी के पौधे में जल अर्पित करें। अब तुलसी माता के समक्ष दीप- धूप जलाएं और उनकी आराधना करें।इसके बाद उपासक फलाहार ग्रहण करें और पूरे दिन व्रत का पालन करें। अगले दिन भगवान की पूजा के बाद ही व्रत का पारण करें। तो यह थी दर्श अमावस्या की पूजा विधि,हम कामना करते हैं दर्श अमावस्या पर आपके द्वारा की गई पूजा सफ़ल हो और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो।