कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत की पूजा विधि
प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। अगर आप भगवान शिव और माता पार्वती के आशीष से जीवन में सुख-समृद्धि पाने की कामना करते हैं और जीवन के उपरांत मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं, तो यह व्रत आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा। चलिए जानते हैं, माघ माह के कृष्ण पक्ष में प्रदोष व्रत कब किया जाएगा-
- हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है।
- श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 15 जुलाई, शनिवार को पड़ रही है। इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जायेगा।
- शनि प्रदोष पूजा मुहूर्त 15 जुलाई 06 बजकर 51 मिनट से 08 बजकर 32 मिनट तक रहेगा।
- त्रयोदशी तिथि 14 जुलाई शुक्रवार की शाम 07 बजकर 17 मिनट पर प्रारंभ होगी।
- त्रयोदशी तिथि 15 जुलाई शनिवार को रात 08 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी।
प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष का शुभ मुहूर्त-
- ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 03 बजकर 53 मिनट से 04 बजकर 35 मिनट तक होगा।
- प्रातः सन्ध्या प्रातः 04 बजकर 14 मिनट से 05 बजकर 17 मिनट तक होगा।
- अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 37 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक होगा।
- विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 20 मिनट से 03 बजकर 14 मिनट तक होगा।
- गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 50 मिनट से 07 बजकर 11 मिनट तक होगा।
- सायाह्न सन्ध्या शाम 06 बजकर 51 मिनट से 07 बजकर 54 मिनट तक होगा।
- अमृत काल दोपहर 02 बजकर 52 मिनट से 04 बजकर 36 मिनट तक होगा।
- निशिता मुहूर्त रात 11 बजकर 43 मिनट से 16 जुलाई शरू होते ही रत 12 बजकर 25 मिनट तक होगा।
तो यह थी प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त और तिथि से जुड़ी पूरी जानकारी, आइए आगे जानते है प्रदोष व्रत शुक्ल की पूजा विधि के बारे में।
प्रदोष व्रत शुक्ल की पूजा विधि
भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए, घर में सुख-समृद्धि के आगमन के लिए और जीवन के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति के लिए यह पूजा अत्यंत लाभदायक है। इस दिन की शुरूआत कैसे करें आइए जानते है।
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शिव जी का स्मरण करें।
- व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान आदि करके, सभी नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं।
- स्वच्छ कपड़े धारण करके सूर्यदेव को जल का अर्घ्य दें।
- अर्घ्य देते हुए, ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें।
- इसके बाद घर में ही मंदिर में दैनिक पूजा पाठ करें।
प्रदोष व्रत शुक्ल की तैयारी कैसे करें -
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में होती है, लेकिन आप पूजा से संबंधित सभी सामग्री पहले ही एकत्रित कर लें।
- इसके बाद उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में एक चौकी की स्थापना करें।
- चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएं।
- अब इसपर गंगाजल का छिड़काव करें।
- इस चौकी पर भगवान शिव, भगवान गणेश और माता पार्वती की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
- साथ ही एक शिवलिंग को भी एक थाली में रखें।
प्रदोष काल में शुरू करें पूजा-
- सभी प्रतिमाओं पर गंगाजल का छिड़काव करें।
- इसके बाद पूजन स्थल पर घी का दीप प्रज्वलित करें।
- अब सभी प्रतिमाओं को तिलक करें।
- भगवान शिव को चंदन का तिलक लगाएं, भगवान गणेश को हल्दी-कुमकुम का तिलक लगाएं और माता पार्वती को भी कुमकुम का तिलक लगाएं।
- इसके बाद सभी प्रतिमाओं को अक्षत अर्पित करें।
- अब सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें, उन्हें जनैऊ, दूर्वा, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, लाल पुष्प, पुष्प माला, धूप, दीप, भोग, दक्षिणा आदि अर्पित करें।
- अब आप पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें और फिर गंगाजल से अभिषेक करें।
- इसके बाद शिवलिंग पर भांग, धतूरा, आक का फूल, बिल्वपत्र आदि अर्पित करें।
- अगर घर में शिवलिंग नहीं है तो किसी मंदिर में जाकर शिवलिंग का अभिषेक करें।
- भगवान शिव जी की प्रतिमा पर भी पुष्प माला, सफेद पुष्प, बिल्व पत्र, आक का फूल, भांग, धतूरा अर्पित करें।
- माता पार्वती को श्रृंगार की सामग्री, मौली, पुष्प एवं पुष्प माला अर्पित करें।
- अब प्रदोष व्रत कथा पढ़ें, यह श्री मंदिर पर उपलब्ध है।
- आप शिव चालीसा भी पढ़ सकते हैं, या 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
- अंत में धूप-दीप से भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारें।
इस प्रकार आपकी प्रदोष व्रत की पूजा विधिवत पूर्ण हो जाएगी। हम आशा करते हैं, आपकी पूजा फलीभूत हो, ऐसी ही पूजा विधियों के बारे में जानने के लिए आप श्री मंदिर से जुड़े रहें। अब मुझे दिजिए आज्ञा, धन्यवाद