मकर संक्रांति 2024 ( Makar Sankranti 2024)
चाहे बच्चें हो, नौजवान या बुजुर्ग, सभी वर्गों के लोग मकर संक्रान्ति का इंतजार बेहद उत्सुकता से करते हैं। हमारा आज का ये विशेष वीडियो भी मकर संक्रान्ति के इसी महोत्सव पर आधारित है, जिसमें हम आपके लिए लेकर आए हैं आस्था, मस्ती और मनोरंजन से ओतप्रोत इस सुंदर त्यौहार से जुड़ी बेहद खास जानकारी।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो उस दिन को मकर संक्रान्ति के रूप में मनाया जाता है। वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। हालाँकि हिंदू कैलेण्डर में बारह संक्रान्तियाँ होती हैं परन्तु मकर संक्रान्ति अपने धार्मिक महत्व के कारण सभी संक्रान्तियों में सर्वाधिक विशेष है। मकर संक्रान्ति की लोकप्रियता के कारण ही, ज्यादातर लोग इसे केवल संक्रान्ति ही कहते हैं। मकर संक्रान्ति का दिन विशेष रूप से भगवान सूर्य को समर्पित होता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना, स्नान एवं दान का विधान है।
मकर संक्रांति की पूजा विधि (Puja Vidhi of Makar Sankranti)
पूजा सामग्री (Puja Samagri)
मकर संक्राति के अवसर पर भगवान सूर्य को लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, मसूर दाल, तांबा, स्वर्ण, सुपारी, लाल फूल, नारियल, दक्षिणा आदि देने का शास्त्रों में विधान है।
मंत्र (Mantra)
मकर संक्रांति सूर्य को प्रसन्न करने का दिन है। दिए गए मंत्रों में से जो भी मंत्र सरलता से याद हो सकें उसके साथ सूर्य देव का पूजन-अर्चन करें। मंत्र का उच्चारण कम से कम 11 बार जरूर करें। अपनी मनोकामना मन में बोलें, भगवान सूर्य नारायण आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करेंगे।
1.ॐ घृणि सूर्य्य: आदित्य: 2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणाय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा। 3. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्धय दिवाकरः। 4. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ। 5. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः । 6. भास्करस्य यथा तेजो मकरस्थस्य वर्धते। तथैव भवतां तेजो वर्धतामिति कामये। मकरसंक्रांन्तिपर्वणः सर्वेभ्यः शुभाशयाः।
पूजा विधि (Puja Vidhi)
भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण के दिन संक्रांति का व्रत करने से शुभ फल मिलता है। मकर संक्रांति के दिन प्रातः तिल को पानी में मिलाकार स्नान करें अगर संभव हो तो गंगा स्नान करें। स्नान करने के बाद सूर्यदेव के सामने जल लेकर संकल्प करें। इसके पश्चात एक वेदी पर लाल कपड़ा बिछाकर चंदन या अक्षतों का अष्ट दल कमल बनाएं। इसके पश्चात उसमें सूर्य की मूर्ति स्थापित कर उनका स्नान कराएं। अब गंध, पुष्प, धूप तथा नैवेद्य से पूजन करें। ओम सूर्याय नमः मंत्र और आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। मकर संक्रांति पर अपने पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें तर्पण दें। इस दिन खिचड़ी का भोग अवश्य लगाएं।
मकर संक्रांति का महत्व (Importance of Makar Sankranti)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो उस दिन को मकर संक्रान्ति के रूप में मनाया जाता है। वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। हालाँकि हिंदू कैलेण्डर में बारह संक्रान्तियाँ होती हैं परन्तु मकर संक्रान्ति अपने धार्मिक महत्व के कारण सभी संक्रान्तियों में सर्वाधिक विशेष है। मकर संक्रान्ति की लोकप्रियता के कारण ही, ज्यादातर लोग इसे केवल संक्रान्ति ही कहते हैं। मकर संक्रान्ति का दिन विशेष रूप से भगवान सूर्य को समर्पित होता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना, स्नान एवं दान का विधान है।
मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं? (Why Do We Celebrate Makar Sankranti)
सनातन धर्म में सूर्य को देवता माना जाता है जो पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों का पोषण करते हैं। अतः इस दिन सूर्य देव की आराधना की जाती है। साथ ही यह दिन पवित्र जल स्रोतों में धार्मिक स्नान करने और दान इत्यादि जैसे शुभ कार्यों को करने के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं जिस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं उस दिन को सूर्य देव की पूजा के लिये वर्ष का सर्वाधिक शुभफल देने वाला दिन माना जाता है। इस तरह हिन्दू संस्कृति में मकर संक्रान्ति का दिन बेहद खास और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है।
मकर संक्रान्ति की 5 बेहद खास बातें (5 Important Things Of Makar Sankranti)
मकर संक्रान्ति का त्यौहार किसी उत्सव से कम नहीं होता। समाज के सभी वर्गों में हर उम्र के लोग इस महापर्व को अपने-अपने तरीके से मनाते हैं। जहाँ बड़े-बूढ़े दान को महत्वपूर्ण मानते हैं, वहीं बच्चों के लिए यह त्यौहार लड्डू खाने और गिल्ली-डंडा खेलने या पतंग उड़ाने का बहाना होता है। हमारा आज का ये विशेष वीडियो मकर संक्रान्ति महोत्सव के अलग-अलग रंगों को दर्शाता है। जिसमें हम आपके लिए लेकर आए हैं इस त्यौहार से जुड़ी 5 बेहद खास बातें।
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इस संक्रान्ति को ऐसे मिला मकर संक्रान्ति का नाम यह दिन विशेष रूप से भगवान सूर्य को समर्पित होता है। ज्योतिष के अनुसार पौष मास में सूर्य भगवान धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसलिए यह संक्रान्ति मकर संक्रान्ति के नाम से लोकप्रिय है। हालाँकि हिंदू कैलेण्डर में बारह संक्रान्तियाँ होती हैं, परन्तु मकर संक्रान्ति अपने धार्मिक महत्व के कारण सभी संक्रान्तियों में सर्वाधिक विशेष मानी जाती है।
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पतंगबाजी की परम्परा
इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा भी बेहद प्रचलित है। भारत के अधिकांश हिस्सों में इस दिन पतंगबाजी की जाती है, खासतौर पर गुजरात में। इसके अलावा मध्य प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र आदि प्रदेशों में भी मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा है। हालाँकि इसके पीछे कोई विशेष धार्मिक कारण नहीं मिलता, लेकिन पतंग उड़ाना अपनी खुशियों को व्यक्त करने का एक माध्यम है। इसके अलावा, इस परंपरा के पीछे एक अन्य कारण यह दिखाई देता है कि, मकर संक्रांति पर सूर्य का उत्तरायण होता है, इस कारण इस समय सूर्य की किरणें औषधि का काम करती हैं। पतंग उड़ाते समय हमारा शरीर सीधे सूर्य की किरणों के संपर्क में आ जाता है, जिससे सर्दी से जुड़ी समस्याओं से निजात मिलती है। अगर आप भी पतंगबाजी करते हैं तो कृपया अपनी और दूसरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पतंग उड़ाएं, नुकसान पहुंचाने वाले मांझे का प्रयोग न करें। -
गंगासागर अथवा पवित्र नदियों में स्नान संक्रान्ति पर पवित्र नदियों में स्नान का भी बहुत महत्व है। लेकिन इस दिन गंगासागर में स्नान का विशेष महत्व माना गया है, कहा जाता है कि ‘सारे तीरथ बार-बार गंगासागर एक बार’। विभिन्न धारणाओं के अनुसार साल में 1 दिन गंगासागर में जाकर स्नान करने से शरीर रोगों से मुक्त हो जाता है।
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खिचड़ी है बेहद खास मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का सेवन करना भी शुभ माना जाता है। खिचड़ी पाचन को दुरुस्त रखती है, इसमें बहुत सारी सब्जियां मिलाकर बनाते हैं जैसे अदरक, टमाटर, मटर, गोभी, आलू, पालक आदि। सुपाच्य खिचड़ी खाने से शरीर भी बहुत स्वस्थ रहता है।
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ये दिन है महादान का कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ‘दान’ करने से घर में सुख- शांति और समृद्धि आती है। मकर संक्रांति के दिन तिल दान करना अत्यंत पुण्यकार्य माना जाता है। इसके अलावा इस दिन भगवान सूर्य, विष्णु और शनिदेव को भी तिल-गुड़ अर्पित किया जाता है।