रोहिणी व्रत की सम्पूर्ण जानकारी

रोहिणी व्रत की सम्पूर्ण जानकारी

जानें रोहिणी व्रत की पूजा विधि, महत्व और कथा


रोहिणी व्रत की संपूर्ण जानकारी

क्या आप जानते है कि रोहिणी व्रत क्या होता है? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रोहिणी 27 नक्षत्रों में से एक नक्षत्र है। इस नक्षत्र में किया जाने वाला व्रत रोहिणी व्रत कहलाता है। जैन धर्म के अनुयायी, विशेषकर महिलाएं रोहिणी व्रत का पालन करती हैं। हर माह रोहिणी नक्षत्र की निश्चित अवधि होती है। इस हिसाब से प्रत्येक वर्ष में बारह रोहिणी व्रत होते हैं। जैन समुदाय द्वारा इसे एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

इस माह में रोहिणी व्रत 14 जुलाई 2023, शुक्रवार के दिन किया जाएगा।

जब उदियातिथि अर्थात सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र प्रबल होता है, उस दिन रोहिणी व्रत किया जाता है। इस दिन जैन समुदाय के लोग भगवान वासुपूज्य की पूजा करते हैं। सामान्यतः इस व्रत को 3, 5 या 7 वर्षों तक करने के बाद ही उद्यापन किया जा सकता है, लेकिन रोहिणी व्रत की उचित अवधि पाँच वर्ष, पाँच महीने है।

रोहिणी व्रत पर पूजा की विधि -

  • इस दिन महिलाएं प्रात: जल्दी उठकर स्नान करके पवित्र होती हैं।
  • इसके बाद सूर्य भगवान को जल चढ़ाकर पूजा का संकल्प लिया जाता है।
  • पूजा के लिए वासुपूज्य भगवान की पंचरत्न, ताम्र या स्वर्ण प्रतिमा की स्थापना की जाती है।
  • उनकी आराधना करके वस्त्र, धूप-दीप, फूल, फल और नैवेद्य का भोग लगाया जाता है।
  • इसके बाद मंदिरों में जाकर या किसी भी जरूरतमंद को दान देने का भी बहुत महत्व माना जाता है।
  • इस दिन व्रत नहीं करने वाले व्‍यक्ति भी तामसिक भोजन को त्‍यागकर सात्विक भोजन करते हैं।
  • रोहिणी व्रत पर पूरे दिन व्रत के नियमों का पालन करते हुए पूजा-अर्चना की जाती है।
  • सूर्यास्‍त से पहले फलाहार करके रोहिणी व्रत का पारण किया जाता है।

रोहिणी व्रत का महत्व

यह व्रत महिलाओं के लिए अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। जैन परिवारों की महिलाओं के लिए तो इस व्रत का पालन करना अति आवश्यक होता है, लेकिन पुरुष भी अपनी इच्छानुसार ये व्रत कर सकते हैं। इस दिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं और अपने पति की लम्बी आयु एवं स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं। जैन मान्यताओं के अनुसार इस दिन जो भी महिला या पुरुष पूरी श्रद्धा से इस व्रत का पालन करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जैन धर्म में ह्रदय और आत्मा की स्वच्छता को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इसी तरह इस व्रत का पालन करने वाले स्त्री और पुरुष अपनी आत्मा के विकारों को दूर करते हैं, और इस संसार की मोह माया से दूर रहते हैं।

तो भक्तों, यह थी रोहिणी व्रत की पूजा विधि और उसके महत्व के बारे में जानकारी। आगे हम जानेंगे रोहिणी व्रत की कथा के बारे में। तो आइए पढ़ते है रोहिणी व्रत की कथा।

रोहिणी व्रत की कथा

एक बार की बात है, एक राजा और रानी थे जिनके सात बेटे और एक बेटी थी। पुत्री का नाम रोहिणी था और उसका विवाह अशोक नामक राजा से हुआ। एक दिन, एक बुद्धिमान व्यक्ति उनके शहर में आया और सभी ने उसकी बात सुनी। राजा ने बुद्धिमान व्यक्ति से पूछा कि उसकी रानी हमेशा शांत क्यों रहती है। बुद्धिमान व्यक्ति का धनमित्र नाम का एक सहायक था, जिसकी दुर्गंधा नाम की एक बेटी थी। दुर्गंधा से हर समय दुर्गंध आती रहती थी और उसके पिता उसके लिए एक अच्छा पति ढूंढने को लेकर चिंतित रहते थे। धनमित्र ने पैसों के लिए अपनी बेटी की शादी अपने दोस्त के बेटे से कर दी, लेकिन एक महीने बाद ही बेटे ने उसे छोड़ दिया क्योंकि वह उसकी गंध बर्दाश्त नहीं कर सका।

धनमित्र ने अपने मित्र मुनिराज अमृतसेन को एक दुःख भरी कहानी सुनाई और अपने मित्र की पुत्री के बारे में पूछा। तब उसने मुनिराज को बताया कि भूपाल नाम का एक राजा था जो गिरनार नामक बड़े पर्वत पर अपनी रानी सिंधुमती के साथ रहता था। एक बार मुनिराज राजा के नगर में आये और राजा ने रानी से मुनिराज के लिए भोजन बनाने को कहा। लेकिन रानी ने क्रोधित होकर मुनिराज को तुम्बी नामक स्वादिष्ट और कड़वा भोजन दे दिया। इससे मुनिराज को बहुत कष्ट हुआ और इससे वे इतने दुखी हुए कि उन्होंने अपना जीवन समाप्त करने का निर्णय ले लिया।

मुनिराज की मृत्यु के बाद रानी कुष्ठ रोग से बहुत बीमार हो गयी और अंततः उसकी मृत्यु हो गयी। फिर उसका पुनर्जन्म एक जानवर के रूप में हुआ और बाद में एक बदबूदार लड़की के रूप में जो आपके घर में रहने आई। धनमित्र ने लड़की को फिर से स्वस्थ बनाने के लिए कानून से मदद मांगी. मुनिराज ने कहा कि यदि आप हर महीने रोहिणी नक्षत्र आने पर रोहिणी व्रत और 16 घंटे तक ध्यान करेंगे और कुछ खाद्य पदार्थों का त्याग करेंगे तो आप खुश और स्वस्थ रहेंगे। दुर्गन्धा ने प्रेमपूर्वक यह व्रत किया और मरकर स्वर्ग की देवी बनी तथा रानी भी बनी। यदि तुम प्रेम और भक्तिपूर्वक यह व्रत करोगे तो तुम भी प्रसन्न हो जाओगे।

श्री मंदिर द्वारा आयोजित आने वाली पूजाएँ

देखें आज का पंचांग

slide
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
srimandir-logo

Sri Mandir has brought religious services to the masses in India by connecting devotees, pundits, and temples. Partnering with over 50 renowned temples, we provide exclusive pujas and offerings services performed by expert pandits and share videos of the completed puja rituals.

Play StoreApp Store

Follow us on

facebookinstagramtwitterwhatsapp

© 2024 SriMandir, Inc. All rights reserved.