श्रावण की शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

श्रावण की शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

जानें श्रावण की शिवरात्रि का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि


हिंदू धर्म में शिव और शक्ति के संगम के पर्व को शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। लेकिन क्या आप यह जानते है कि शिवरात्रि का सही अर्थ क्या है? और सावन माह की शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? अगर नहीं तो, आइए जानते है शिवरात्रि के बारे में संपूर्ण जानकारी। वहीं शिवरात्रि का अर्थ शिव की रात्रि से है। इसलिए मासिक शिवरात्रि की रात को शिव जी की पूजा का विशेष महत्व है। कहते हैं शिवजी कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की मध्य रात्रि में अवतरित हुए थे। इसके कारण इसे मासिक शिवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। यह तिथि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है। मान्यता है कि हर माह आने वाली मासिक शिवरात्रि के व्रत को अगर पूरे विधि विधान से सम्पन्न किया जाए तो मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, साथ ही व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि की भी वृद्धि होती है। लेकिन क्या जानते हैं कि श्रावण की शिवरात्रि कब है? अगर नहीं तो इस लेख में हम जानेंगे कि श्रावण मास में आने वाली शिवरात्रि कब है? श्रावण मास में आने वाली शिवरात्रि इस बार 15 जुलाई को है। तो आइए जानते है श्रावण की शिवरात्रि के शुभ मुहूर्त के बारे में।

मासिक शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त

इस बार श्रावण माह में शिवरात्रि का व्रत 15 जुलाई, शनिवार को किया जाएगा। इस दिन चतुर्दशी का प्रारम्भ 15 जुलाई, शनिवार को रात 08 बजकर 32 मिनट से होगा। वहीं 16 जुलाई, रविवार को रात 10 बजकर मिनट पर चतुर्दशी समाप्त होगी। साथ ही निशिता काल पूजा का समय 15 जुलाई रात 11 बजकर 43 मिनट से 16 जुलाई को रात 12 बजकर 25 मिनट तक रहेगा।

मासिक शिवरात्रि की चारों पहरों का पूजा समय

प्रथम प्रहर पूजा समय - 06:51 PM से 09:28 PM द्वितीय प्रहर पूजा समय - 09:28 PM से 16 जुलाई 12:04 AM तृतीय प्रहर पूजा समय - 12:04 AM से 16 जुलाई 02:41 AM चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 02:41 AM से 16 जुलाई 05:17 AM

तो यह था श्रावस मास की मासिक शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त। आइए आगे जानते है, श्रावण शिवरात्रि के महत्व के बारे में।

श्रावण शिवरात्रि का महत्व

शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को नंदी से बड़ा ही लगाव है। इसलिए अगर इस दिन भगवान शिव की सवारी नंदी यानी बैल को हरा चारा खिलाते हैं जो जीवन में सुख समृद्धि की बढ़ोत्तरी होती है।

मान्यता ये भी है कि भगवान शिव शनिदेव के गुरु हैं। तो अगर कोई व्यक्ति शनि दोष से पीड़ित हैं या शनि की ढैया या साढ़ेसाती चल रही है, तो ऐसे में शिवरात्रि के पावन दिन भगवान शिव को काले तिल मिलाकर जल अर्पित करें। साथ ही ‘ॐ नम: शिवाय' मंत्र का जाप करें। कहा जाता है कि ऐसा करने से शिवजी के साथ शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं।

वहीं संतान संबंधी परेशानी से मुक्ति के लिए श्रावण शिवरात्रि के दिन आटे से 11 शिवलिंग बनाकर 11 बार इनका जलाभिषेक करें। इससे संतान संबंधी समस्याओं से निजात मिलता है। इसके अलावा व्यक्ति के मान-प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है।

कहा जाता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन अगर भगवान भोलेनाथ को गुलाब की पंखुड़ियां अर्पित करें तो वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। साथ ही जिन लोगों के विवाह में अड़चन आ रही है उन्हें इस दिन ओम नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें अपनी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा जो लोग इस दिन उपवास रख रहे हैं वो लोग इस बात का विशेष ध्यान रखें कि वो देर तक ना सोएं और भूलकर भी शिवलिंग की पूर्ण परिक्रमा ना करें।

ये थी श्रावण की मासिक शिवरात्रि के शुभ मुहूर्त एवं महत्व से जुड़ी जानकारी। लेकिन सभी भक्तों का किसी भी व्रत को लेकर एक सवाल तो रहता ही है, कि इस व्रत की सही पूजा विधि क्या है। अर्थात् श्रावण शिवरात्रि की पूजा विधि क्या है? तो आइए आज इस लेख में जानते हैं श्रावण शिवरात्रि की पूजा विधि के बारे में।

श्रावण शिवरात्रि की पूजा विधि

शास्त्रों के अनुसार मासिक शिवरात्रि का दिन भगवान भोलेनाथ को सबसे प्रिय है। इसलिए कहा जाता है कि जो व्यक्ति मासिक शिवरात्रि का व्रत पूरे विधि विधान के साथ पूर्ण करते हैं उन पर भगवान शिव की कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती है। तो आइए, जानते हैं श्रावण शिवरात्रि की पूजा विधि की संपूर्ण विधि।

सबसे पहले बता दें कि मासिक शिवरात्रि वाले दिन भगवान शिवजी की पूजा अर्धरात्रि में की जाती है। इसके लिए शिव भक्तों को मासिक शिवरात्रि के दिन सूर्योदय से पहले बिस्तर छोड़ देना चाहिए और नित्यकर्म से निवृत्त होकर, ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर लेना चाहिए। सुबह सभी दैनिक क्रियाकलापों से मुक्त होने के बाद व्यक्ति को भगवान सत्यनारायण का नाम लेकर उन्हें जल अर्पित करना चाहिए। साथ ही पीपल और तुलसी के पेड़ में भी जल अर्पित करना चाहिए। फिर उपासक को भगवान का नाम लेकर व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद भक्त पूरी श्रद्धा के साथ दिन भर व्रत का पालन करना चाहिए। फिर अर्धरात्रि को भगवान की पूजा अर्चना शुरू करनी चाहिए।

पूजा शुरू करने से पहले दूध, पानी और गंगाजल के साथ रौली-मौली, दूध, दही, घी, बेलपत्र, धतूरा, सृजन के पुष्प, फल, मिठाई पुष्प आदि की व्यवस्था कर लेनी चाहिए। फिर रात्रि के समय शुभ मुहूर्त पर भगवान भोले नाथ की मूर्ति अर्थात शिवलिंग को दूध, पानी व गंगाजल से स्नान कराएं। भगवान शिवजी के महामंत्र 'ऊं नम: शिवाय' मंत्र का जाप करते हुए प्रभु को दूध, दही, घी, बेलपत्र, धतूरा, सृजन के पुष्प, आदि से अभिषेक करें। इसके बाद चंदन से भगवान शिव का तिलक करें। अब धूप दीप जलाकर मिठाई और फल का भगवान भोलेनाथ को भोग लगाएं। फिर अंत में उनकी आरती करें। मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने वाले उपासक व्रत का पारणा अगले दिन करें।

श्री मंदिर द्वारा आयोजित आने वाली पूजाएँ

देखें आज का पंचांग

slide
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
srimandir-logo

Sri Mandir has brought religious services to the masses in India by connecting devotees, pundits, and temples. Partnering with over 50 renowned temples, we provide exclusive pujas and offerings services performed by expert pandits and share videos of the completed puja rituals.

Play StoreApp Store

Follow us on

facebookinstagramtwitterwhatsapp

© 2024 SriMandir, Inc. All rights reserved.