शनि त्रयोदशी व्रत 2023
जब प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ता है, तो इसे शनि त्रयोदशी या शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ-साथ होते हैं, तो वह समय 'शिव पूजा' के लिये सर्वश्रेष्ठ होता है। शनि त्रयोदशी का ये पावन संयोग 1 वर्ष में कुल तीन या चार बार आता है। जिनमें से एक इस वर्ष शनि त्रयोदशी व्रत 2023 जुलाई की 1 तारीख को आ रहा है।
शनि त्रयोदशी का शुभ मुहूर्त
शनि त्रयोदशी 2023 - 01 जुलाई, शनिवार (आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी) त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ: 01 जुलाई, शनिवार को 01:16 AM पर त्रयोदशी तिथि समापन: 01 जुलाई, शनिवार को 11:07 PM पर शनि प्रदोष पूजा का समय- 06:53 PM से 08:56 PM तक
शनि त्रयोदशी से जुड़े अन्य शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 03:49 AM से 04:30 AM तक प्रातः सन्ध्या- 04:09 AM से 05:11 AM तक अभिजित मुहूर्त- 11:34 AM से 12:29 PM तक विजय मुहूर्त- 02:19 PM से 03:13 PM तक गोधूलि मुहूर्त- 06:51 PM से 07:12 PM तक सायाह्न सन्ध्या- 06:53 PM से 07:54 PM तक
शनि त्रयोदशी का महत्व
- शनि त्रयोदशी के दिन 'शिव पूजा' शाम के समय प्रदोष काल में करने का विधान है।
- मान्यता के अनुसार शनि प्रदोष के दिन शंकर भगवान की विधि-विधान से पूजा करने से हर पाप से मुक्ति मिलती है और मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- जो लोग संतानहीन हैं, उनको विशेष रूप से शनि प्रदोष व्रत करना चाहिए। भगवान शिव की कृपा से जातक को उत्तम संतान प्राप्त होती है।
- ये भी माना जाता है कि इस दिन शनि के प्रकोप से बचने के लिए यदि उनकी आराधना की जाए तो समस्त प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है, और शनिदेव की विशेष कृपा होती है।
- जो जातक जीवन में चल रहे शनि ग्रह के दुष्परिणामों से मुक्ति पाना चाहते हैं, उन्हें इस दिन विशेष रूप से पूजा- अर्चना कर शनिदेव को प्रसन्न करना चाहिए।
तो यह थी शनि त्रयोदशी या शनि प्रदोष से जुड़ी जानकारी, हम आशा करते हैं कि आपका व्रत सफल हो। व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए श्री मंदिर पर।
त्रयोदशी के दिन करना चाहिए?
प्रदोष काल में उपवास के दौरान केवल हरे मूंग का सेवन कर सकते हैं क्योंकि हरा मूंग पृथ्वी तत्व है और मंदाग्नि को शांत रखता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रदोष व्रत में चावल, अन्न, लाल मिर्च और सादा नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। परंतु आप पूर्ण उपवास या फलाहार भी कर सकते हैं।