ज्येष्ठ अमावस्या की व्रत कथा

ज्येष्ठ अमावस्या की व्रत कथा

व्रत को बनाएं सफ़ल इस कथा के साथ


ज्येष्ठ अमावस्या की व्रत कथा



सनातन धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए और इस दिन धन का दान भी करना चाहिए। अमावस्या के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। साल 2024 में ज्येष्ठ महीने की अमावस्या 06 जून 2024 गुरूवार को पड़ेगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल के पेड़ में देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

कहते हैं अमावस्या व्रत कथा का विशेष महत्व होता है तो आइए पढ़ते हैं अमावस्या व्रत कथा-

अमावस्या व्रत कथा (Amavasya Vrat Katha)


पौराणिक कथा के अनुसार, एक राज्य में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। पैसों की कमी के कारण उनकी बेटी की शादी नहीं हो पा रही थी। अपनी गरीबी से परेशान होकर एक दिन एक ब्राह्मण दम्पति ने एक साधु से इसका उपाय पूछा, तो साधु ने बताया कि पास के गाँव में एक धोबी है, जो अपने बेटे और बहू के साथ रहती है।
यदि आपकी पुत्री उस धोबी की सेवा करेगी तो धोबी प्रसन्न होकर उसे अपनी मांग का सिन्दूर दे देगा, जिससे कन्या का विवाह निश्चित हो जाएगा।

यह सुनकर वह कन्या धोबी के घर जाकर सारा काम करने लगी और धोबी तथा उसकी बहू को इसका पता नहीं चला। एक दिन धोबी ने अपनी बहू से पूछा कि तुम इतना सारा काम इतनी जल्दी कैसे कर लेती हो? बहू बोली- मुझे लगा ये सब काम तुम ही करते हो। धोबिन चौंक गई और नजर रखने लगी। सुबह जब धोबी उठा तो उसने देखा कि एक लड़की चुपचाप घर का सारा काम कर रही है। ऐसा कई दिनों तक चलता रहा। एक दिन धोबी ने लड़की से इसका कारण पूछा।

कन्या ने धोबी को साधु द्वारा कही गई सारी बात बता दी। उसकी बात सुनकर धोबिन ने उसे अपनी मांग का सिन्दूर लगा दिया और उसी समय धोबिन के पति की मृत्यु हो गयी। इससे दुखी होकर कन्या घर से निकल गई और एक पीपल के पेड़ के पास पहुंची और ईंटों के 108 टुकड़े लेकर उनकी 108 बार परिक्रमा की और एक-एक करके फेंकना शुरू कर दिया। ऐसा करके लड़की ने धोबी के पति को जीवित कर दिया। धोबिन का पति जीवित हो उठा। पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने से लड़की को शुभ फल मिला।


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