वैशाख पूर्णिमा 2024 (Vaishakh Purnima)
हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की पन्द्रहवीं तिथि को पूर्णिमा होती है। इस तिथि का बड़ा धार्मिक महत्व है। वैशाख मास हिन्दू वर्ष का द्वितीय माह होता है और इस मास के अंतिम दिन को वैशाख पूर्णिमा कहा जाता है। ये दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन तथागत गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, इसीलिए इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
चूँकि वैशाख मास अपने आप में बहुत पवित्र माना जाता है इसलिए वैशाख मास की पूर्णिमा बहुत विशेष होती है। वैशाख पूर्णिमा को सत्य विनायक पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन धार्मिक कार्य, स्नान- दान आदि का बहुत महत्व होता है।
वैशाख पूर्णिमा 2024 तिथि (Vaishakh Purnima 2024 Date)
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साल 2024 में वैशाख पूर्णिमा बृहस्पतिवार 23 मई को पड़ रही है।
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पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 22 मई 2024 को शाम 06 बजकर 47 मिनट से होगा।
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पूर्णिमा तिथि 23 मई 2024 को शाम 07 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी।
वैशाख पूर्णिमा का महत्व (Importance Of Vaishakh Purnima)
वैशाख पूर्णिमा की तिथि भगवान सत्यनारायण को समर्पित होती है। इसलिए इस दिन पर सुबह स्नान करने के बाद भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का विधान है। इस दिन माता लक्ष्मी की भी विधिवत् पूजा की जाती है।
अधिकांश लोग इस दिन व्रत रखते हैं, और श्री सत्यनारायण भगवान की कथा भी सुनते हैं। ऐसा करने से भगवान लक्ष्मीनारायण की कृपा परिवार पर बनी रहती है।
वैशाख पूर्णिमा के दिन किया गया व्रत-उपवास, पूजा-पाठ और स्नान-दान मनुष्य को जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति दिलाने वाला होता है। यदि आप किसी कारण वश व्रत न भी कर पाएं तो भी अन्न दान अवश्य करें। वैशाख पूर्णिमा पर किया गया छोटा दान भी मनुष्य को अक्षय पुण्य प्रदान करता है। ऐसी मान्यता है कि वैशाख पूर्णिमा पर रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने से घर में धन-संपदा वृद्धि होती है।
वैशाख पूर्णिमा व्रत पूजा विधि (Vaishakh Purnima Vrat Puja Vidhi)
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वैशाख पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए।
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नदी में स्नान करने की स्थिति ना बने तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान किया जा सकता है।
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स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और उनके मंत्रों का जाप करें।
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इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें और उन्हें फूल और अक्षत चढ़ाएं।
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भगवान विष्णु को पीले वस्त्र या पीली मिठाई अर्पित करें।
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भगवान विष्णु की आरती करें और प्रसाद बांटें।
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विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
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इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है।
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इस दिन शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें और चंद्रमा के मंत्रों का जाप करें।
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मान्यता है कि चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों से मुक्ति मिलती है।