वरूथिनी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त. महत्व और पूजा विधि

वरूथिनी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त. महत्व और पूजा विधि

मिटेंगे समस्त पाप, होगी पुण्य की प्राप्ति


वरुथिनी एकादशी व्रत 2024 (Varuthini Ekadashi Vrat 2024)

वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी को सभी एकादशी तिथियों में बेहद खास माना जाता है। अन्य एकादशियों की तरह यह एकादशी भी भगवान विष्णु को समर्पित होती है। कहा जाता है कि जो लोग वरूथिनी एकादशी के व्रत का पालन पूरे विधि-विधान के साथ करते हैं उन्हें तमाम कष्टों से मुक्ति मिलती है और उनके सभी पाप कर्मों का नाश होता है साथ ही उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा ये व्रत व्यक्ति को सुख समृद्धि और सौभाग्य भी प्रदान करता है। मान्यता है कि इस व्रत को पूर्ण करने से कन्या दान करने और हजारों वर्षों का तप करने के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इस व्रत को कब रखा जाएगा और इसका महत्व क्या है-

बरूथिनी एकादशी का महत्व क्या है

हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी एवं भगवान शिव की पूजा का भी विधान है। इससे मनुष्य आर्थिक सम्पन्नता मिलती है। साथ ही को भूत-पिशाच जैसी अधम योनियों में जन्म लेने से मुक्ति भी मिलती है। बरूथिनी एकादशी को स्वर्ग में स्थान पाने का विशेष मार्ग भी बताया जाता है। कहते है कि यह पावन तिथि किसी भी व्यक्ति को ब्रह्म हत्या जैसे महापाप से भी मुक्ति दिलाती है। इसीलिए हिन्दू धर्म में इस तिथि को अत्यंत विशेष महत्व दिया गया है।

वरुथिनी एकादशी का व्रत क्यों करते हैं? (Why do we observe fast on Varuthini Ekadashi?)

हिन्दू धर्म में किसी भी मनुष्य से जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति के लिए बरूथिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। बरूथिनी एकादशी भगवान विष्णु के प्रति, अपनी आस्था दर्शाने का अवसर माना जाता है, इसीलिए भी पुराणों में इस दिन व्रत करने को बहुत महत्व दिया गया है। कहा जाता है कि मनुष्य को अपने अगले जन्म में किसी भी निम्न या शापित योनि में जन्म लेने से बचने के लिए बरूथिनी एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।

वरुथिनी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त (Varuthini Ekadashi 2024 Date And Time )

पंचांग के अनुसार, साल 2024 में वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की वरूथिनी एकादशी 4 मई 2024, शनिवार को मनाई जाएगी। एकादशी तिथि की शुरुआत 3 मई 2024 को रात 11 बजकर 24 मिनट से होगी और इस तिथि का समापन 4 मई 2024 को रात 08 बजकर 38 मिनट पर होगा । वहीं 5 मई को पारण किया जाएगा जिसका समय सुभ 05 बजकर 37 मिनट से होगा और सुबह 08 बजकर 17 तक रहेगा। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय है शाम 05 बजकर 41 मिनट।

वरुथिनी एकादशी पूजा विधि ( Varuthini Ekadashi Puja Vidhi)

  • एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण करें।
  • फिर पूजा के स्थान पर बैठकर व्रत का संकल्प लें।
  • अब पूजा स्थल पर एक चौकी रखें, उसमें भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित कर जलाभिषेक करें।
  • फिर पीले रंग के फूल, अक्षत, धूप, दीप, तुलसी का पत्ता, चरणामृत आदि भगवान के चरणों में अर्पित कर दें। इसके बाद विष्णु चालीसा, विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें। फिर वरुथिनी एकादशी व्रत की कथा का पाठ करें। अब अंत में भगवान विष्णु की आरती उतारें और प्रसाद का वितरण करें।

वरुथिनी एकादशी पर इन चीजों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए (Varuthini Ekadashi- Things should not be done even by mistake)

एकादशी व्रत से संबंधित शास्त्रों में कुछ अहम नियम बताए गए हैं। जिनका पालन करना बहुत आवश्यक माना जाता है। तो आइए, जानते हैं कि इस दिन किन चीजों का पालन करना चाहिए और किन चीजों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए।

  • वरुथिनी एकादशी के दिन दान-पुण्य करने का बेहद महत्व माना जाता है। इसलिए कोशिश करें कि इस दिन दानकर्म जरूर करें।
  • इसके अलावा भगवान विष्णु को तुलसी का भोग जरूर अर्पित करें।
  • कहा जाता है कि भगवान विष्णु को तुलसी का भोग अत्यंत प्रिय है।
  • इसके अलावा जिन लोगों ने वरुथिनी एकादशी का व्रत नहीं किया है वो लोग भी इस दिन सात्विक चीजों का ही सेवन करें।
  • वहीं इसके अलावा एकादशी तिथि के दिन मांस मदिरा और अन्य किसी भी प्रकार की तामसिक चीजों का सेवन ना करें।
  • इसके साथ ही एकादशी के दिन चावल का सेवन करना वर्जित माना गया है। इसलिए हो सके तो इस दिन चावल का सेवन न करें।
  • एकादशी तिथि को किसी पर भी क्रोध करने से बचें, और किसी के लिए भी अपशब्दों का प्रयोग ना करें।
  • साथ ही एकादशी तिथि पर पूरी तरह से ब्रह्मचार्य का पालन करें।

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