विनायक चतुर्थी कब है (Vinayak Chaturthi May 2024)
प्रत्येक माह में दो चतुर्थी होती है। जिन्हें गणेश भगवान की तिथि माना जाता है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। वहीं पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। हिंदू धर्म में गणेश भगवान को सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश को चतुर्थी तिथि अति प्रिय है इसलिए चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की आराधना करना बेहद मंगलमय माना जाता है।
विनायक चतुर्थी व्रत का शुभ मुहूर्त (Vinayak Chaturthi Date May 2024)
इस माह की विनायक चतुर्थी 11 मई 2024, शनिवार को मनाई जाएगी। यह तिथि 11 मई शनिवार को सुबह 02 बजकर 50 मिनट पर प्रारंभ होगी और 12 मई रविवार,सोमवार को सुबह 02 बजकर 03 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। साथ ही विनायक चतुर्थी पर पूजा का मुहूर्त 11 मई सुबह 10 बजकर 35 मिनट से दोपहर 01 बजकर 14 मिनट तक होगा।
विनायक चतुर्थी का महत्व (Importance Of Vinayak Chaturthi)
मान्यता है कि विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को ज्ञान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही उनकी आराधना करने से जीवन में आ रहे तमाम कष्टों से मुक्ति भी मिलती है। कहा जाता है कि भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं, इनकी उपासना से किसी भी कार्य में आ रही रुकावट दूर हो जाती हैं। इतना ही नहीं विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की भक्ति करने से व्यापार में भी बरकत होती है। इसलिए हमारे शास्त्र में विनायक चतुर्थी की महिमा का बेहद महत्व है।
विनायक चतुर्थी की संपूर्ण पूजा विधि (Puja Vidhi Of Vinayak Chaturthi)
- सबसे पहले साफ़ किये गए स्थान पर चौकी स्थापित करें। इस पर लाल वस्त्र बिछाएं।
- कलश से फूल की सहायता से थोड़ा सा जल लेकर इस चौकी पर छिड़कें।
- अब इस चौकी के दाएं तरफ अर्थात आपके बाएं तरफ एक दीपक प्रज्वलित करें।
- अब गणपति जी के आसन के रूप में चौकी पर थोड़ा सा अक्षत डालें, और यहां गणपति जी को विराजित करें।
- अब भगवान जी पर फूल की सहायता से गंगाजल छिड़क कर उन्हें स्नान करवाएं।
- गणपति जी की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें।
- भगवान गणेश को हल्दी- कुमकुम-अक्षत, चन्दन आदि से तिलक करें। और स्वयं को भी चन्दन का तिलक लगाएं।
- इसके बाद वस्त्र के रूप में गणेश जी को मौली अर्पित करें।
- अब चौकी पर धुप-दीपक जलाएं, भगवान गणपति को तिल के लड्डू, फल और नारियल आदि का भोग लगाएं।
- भगवान के समक्ष क्षमतानुसार दक्षिणा रखें। अब संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें।
- इसके बाद गणेश जी की आरती करें। यह आरती श्री मंदिर पर आपके लिए उपलब्ध है।
- अब रात में चाँद निकलने पर चंद्रदेव की पंचोपचार से पूजा करें और एक कलश में जल और दूध के मिश्रण से चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
इस तरह आपकी पूजा सम्पन्न होगी। पूजा समाप्त होने के बाद सबमें प्रसाद बाटें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।
विनायक चतुर्थी व्रत के दौरान क्या करें और क्या ना करें (What to do and what not to do during Vinayaka Chaturthi fast)
विनायक चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करने की मनाही होती है। मान्यताओं के अनुसार, विनायक चतुर्थी को चंद्र दर्शन करने से जीवन में कलंक लगता है। इसलिए इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने से बचें। इसके अलावा तुलसी का प्रयोग गणेश जी की पूजा में नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से भक्त गणेश जी के क्रोध के भागी बन सकते हैं।
वहीं जब विनायक चतुर्थी के दिन जब गणेश जी की स्थापना घर पर करें तब उनको अकेला न छोड़ें, घर पर कोई न कोई अवश्य होना चाहिए। वहीं गणेश जी की स्थापना करते वक्त ध्यान रखें कि उनकी पीठ का दर्शन न हो। पीठ का दर्शन करने से दरिद्रता आती है।
ध्यान रहें कि गणेश जी की पूजा में जब आप कोई दीपक जलाते हैं, तो उस दीपक के स्थान को बार-बार न बदलें और न ही उस दीपक को गणेश जी के सिंहासन पर रखें। साथ ही विनायक चतुर्थी व्रत के दिन इस बात का विशेष ख्याल रखें कि फलाहार में नमक का सेवन न करें। विनायक चतुर्थी के दिन काले वस्त्र ना पहने क्योंकि काले रंग को नकारात्मकता का प्रतीक मानते हैं।
इतना ही नहीं इस दिन अगर भक्त व्रत रख रहे हैं तो किसी के भी लिए भी अपशब्दों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। ऐसा करने से व्रत का पुण्य नहीं मिलता है। वैसे तो कभी भी बड़ों का अपमान नहीं करना चाहिए, लेकिन विनायक चतुर्थी के दिन खासतौर पर इस बात का ध्यान रखें, वरना पूजा का फल नहीं मिलेगा। और विनायक चतुर्थी पर किसी से कोई झगड़ा या मारपीट न करें।