भगवान विश्वकर्मा जी की भक्ति और पूजा-पाठ से हमारे भीतर एक नई ऊर्जा का संचार होता है साथ ही हमें व्यापार में सफलता और आर्थिक प्रगति प्राप्त होती है। भगवान शिव जी का रथ और त्रिशूल - महाभारत के अनुसार तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली के वध के लिए भगवान शिव जिस रथ से गए थे, वो रथ भगवान विश्वकर्मा ने बनाया था, जिसके दाएं चक्र में सूर्य और बाएं चक्र में चंद्रमा विराजमान थे।
**पुष्पक विमान - ** वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण के अनुसार शिल्पाचार्य विश्वकर्मा द्वारा पितामह ब्रह्मा के प्रयोग हेतु पुष्पक विमान का निर्माण किया गया था।
**सुदर्शन चक्र - ** पुराणों में भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र का निर्माता वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा को माना गया है।
इंद्र का वज्र - भागवत के अनुसार वृत्रासुर का वध करने के लिये ऋषि दधीचि की हड्डियों से वज्र का निर्माण भगवान विश्वकर्मा जी ने ही किया था।
सोने की लंका - वाल्मीकि जी की रामायण के अनुसार, सतयुग में सोने की लंका का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया था। भगवान शिव ने पार्वती से विवाह के बाद, सोने की लंका का निर्माण, विश्वकर्मा जी से करवाया था। शिव जी ने जब रावण को गृह पूजन के लिए बुलाया, तो महापंडित रावण ने दक्षिणा में उनसे सोने की लंका को ही मांग लिया था।
प्राचीन नगर - हमारे धार्मिक इतिहास में कई सारे अद्भुत नगरों की रचना का उल्लेख मिलता है। मान्यताओं के अनुसार यमपुरी, वरुणपुरी, पांडवपुरी, कुबेरपुरी, शिवमंडलपुरी तथा सुदामापुरी जैसे नगरों के निर्माण का श्रेय भी भगवान विश्वकर्मा को जाता है। ** देवताओं की संपत्ति - ** शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा के अन्य निर्माणों के बीच यमराज का कालदण्ड, कर्ण के कुण्डल, देवताओं के महल, अस्त्र-शस्त्र और सिंघासन का वर्णन भी किया गया है।
##कौन थीं भगवान विश्वकर्मा जी की संतानें -
भगवान विश्वकर्मा जी की ऋद्धि सिद्धि और संज्ञा नाम की तीन पुत्रियाँ थी जिनमें से ऋद्धि सिद्धि का विवाह भगवान चंद्रशेखर और माता पार्वती के पुत्र भगवान श्री गणेश से हुआ था तथा संज्ञा का विवाह महर्षि कश्यप और देवी अदिति के पुत्र सूर्य देवता से हुआ था। मान्यताओं के अनुसार, बृहस्मति और रामसेतु के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाने वाले नल-नील भी विश्वकर्मा जी के पुत्र हैं।