विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त

विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त

17 सितम्बर, 2023 जानें महत्व और पूजा विधि


व्यापार में प्रगति और आर्थिक समृद्धि की कामना सभी रखते हैं, इसी मनोकामना की पूर्ति के लिए हमारे शास्त्रों में विश्वकर्मा पूजा को महत्वपूर्ण माना गया है। क्योंकि भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला वास्तुकार माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस पूजा से व्यक्ति को सुख और व्यापार में वृद्धि मिलती है। विश्वकर्मा जयंती हर वर्ष 17 सितम्बर को मनाई जाती है। संयोग से इस वर्ष विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर, रविवार को कन्या संक्रांति के दिन है। ऐसे में इस साल विश्वकर्मा पूजा के साथ सूर्यदेव की पूजा करना उत्तम फलदायी होगा क्योंकि सूर्यदेव भगवान विश्वकर्मा के दामाद हैं और भगवान विश्वकर्मा ने ही सूर्यदेव की किरणों को आकार दिया है। तो आइए जानते हैं कि 2023 में विश्वकर्मा पूजा करने के लिए सही समय क्या है? अर्थात शुभ मुहूर्त क्या है?

##विश्वकर्मा पूजा 2023 का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष 2023 में आश्विन मास में कन्या संक्रांति के दिन विश्वाकर्मा पूजा की जाएगी। कन्या संक्रांति का क्षण - 17 सितम्बर, 2023 को दोपहर 1 बजकर 43 मिनट पर होगा। कन्या संक्रांति का पुण्य काल - 17 सितम्बर, 2023 को दोपहर 1 बजकर 43 मिनट से सायंकाल 6 बजकर 24 मिनट तक। कन्या संक्रांति महा पुण्यकाल - 17 सितम्ब, 2023 को दोपहर के 1 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 3 बजकर 46 मिनट तक।

##विश्वकर्मा पूजा का महत्व

भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मा जी के मानस पुत्र हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से इंजीनियर, मिस्त्री, वेल्डर, बढ़ई, जैसे कार्य से जुड़े लोग अपने कार्य क्षेत्र में निपुण बनते हैं और शिल्पकला का विकास होता है। व्यापार में वृद्धि होती है साथ ही उनके जीवन में धन-धान्य और सुख-समृद्धि का आगमन होता है। भगवान विश्वकर्मा को पहला सबसे बड़ा इंजीनियर माना जाता है। विश्वकर्मा पूजा के दिन दुकान, वर्कशाप, फैक्ट्री में यंत्रों और औजारों की पूजा करने से कार्य में कभी भी किसी भी प्रकार की कोई रुकावट नहीं आती और सफलता के साथ समृद्धि मिलती है। शास्त्रों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने ही स्वर्ग लोक, सोने की लंका, द्वारिका और हस्तिनापुर का निर्माण किया था।

हम सभी जीवन में व्यापार में प्रगति और आर्थिक समृद्धि की कामना करते हैं, इसी मनोकामना की पूर्ति के लिए हमारे शास्त्रों में विश्वकर्मा पूजा को महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यताओं के अनुसार, इस पूजा से व्यक्ति को सुख और व्यापार में वृद्धि मिलती है। साथ ही मान्यता यह भी है कि इस पूजा से आपको वाहन सुख की प्राप्ति होती है।

अगर आप भी चाहते हैं कि आपका व्यापार दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की करे, तो विश्वकर्मा पूजा के दिन इस सरल पूजा विधि को ज़रूर अपनाएं-

विश्वकर्मा पूजा विधि

सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें, नए और साफ कपड़े पहनें और फिर पूजा की तैयारियां शुरू कर दें। पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को साफ और शुद्ध कर लें, वहां पर चौकी स्थापित करें और उसपर कपड़ा बिछाएं। इसके बाद आसन पर विश्वकर्मा जी प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। जैसा कि हमें पता है, इस दिन औजारों की पूजा का भी विधान है, इसलिए आप अपने व्यापार से संबंधित सभी औजारों या उपकरणों को पूजा स्थल पर रख लें। अब भक्त भगवान विश्वकर्मा एवं सभी औजारों को धूप-दीप दिखाएं। इसके पश्चात् विश्वकर्मा जी को और साथ में औजारों को भी रोली और हल्दी का तिलक लगाएं। तिलक लगाने के बाद पूजा स्थल पर भगवान जी को और औजारों को अक्षत, फूल, पान, लौंग, सुपारी, मिठाई, फल और मोली समेत संपूर्ण पूजन सामग्री भी अर्पित करें। पूजा के दौरान हाथ में फूल एवं अक्षत लेकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए ॐ आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम: इन मंत्रों का जाप करें। इससे आपको पूजा का विशेष फल मिलेगा। अब भक्तजन भगवान विश्वकर्मा जी से प्रार्थना करें कि हे प्रभु हमारी मशीनें और औजार निरन्तर, बिना किसी बाधा के कार्य करें और हमारे उद्योग देश की उन्नति में सहायक बने। पूजा के अंत में भगवान विश्वकर्मा को प्रणाम करें और लोगों में प्रसाद बांटें।

भक्तों तो यह थी भगवान विश्वकर्मा की उपकरणों सहित संपूर्ण पूजा विधि। हम आशा करते हैं कि आपकी पूजा सार्थक हो और आपको भगवान विश्वकर्मा जी की विशेष कृपा का अधिकारी बनाएगा।

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