गायत्री जयंती 2024 (Gayatri Jayanti 2024)
धर्म ग्रंथों के अनुसार ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवी गायत्री प्रकट हुई थीं। इसी उपलक्ष्य में गायत्री जयंती का पर्व मनाया जाता है। गायत्री जयंती हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो वेदमाता गायत्री देवी को समर्पित है। सभी वेदों की उत्पत्ति इन्हीं से हुई है। यह त्योहार ज्ञान, प्रकाश और सत्य का प्रतीक है। गायत्री मंत्र को सर्वश्रेष्ठ मंत्रों में से एक माना जाता है और इसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान माना जाता है।
गायत्री जयंती कब है ? (Gayatri Jayanti 2024 Date and Time)
- गायत्री जयंती श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर 19 अगस्त, सोमवार को मनाई जाएगी
- पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ 19 अगस्त को प्रातः 03 बजकर 04 मिनट पर प्रारंभ होगी।
- पूर्णिमा तिथि का समापन 19 अगस्त को सोमवार रात में 11 बजकर 55 मिनट पर होगा।
गायत्री जयंती का महत्व (Importance of Gayatri Jayanti)
सनातन धर्म में मां गायत्री जयंती का विशेष महत्व है, मान्यताओं के अनुसार, गायत्री जयंती के दिन ही माता गायत्री का जन्म हुआ था। माता गायत्री को सभी वेदों की जननी माना गया है। मान्यताओं के अनुसार, माता गायत्री के पांच मुख हैं, जो कि पृथ्वी के पांच तत्वों यानी जल, वायु, पृथ्वी, अग्नि और आकाश के सूचक हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस संसार के हर जीव में प्राण शक्ति के रूप में मां गायत्री विद्यमान हैं। मां गायत्री को विश्व माता और देव माता का भी स्थान दिया गया है।
वेदों में बताया गया है कि स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि यदि कोई ईश्वर को प्राप्त करना चाहता हो तो उसे गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। मन की शांति एवं तनाव से मुक्ति के लिए गायत्री मंत्र के जाप को अत्यंत ही लाभकारी माना गया है। इस मंत्र के उच्चारण से दुख, शारीरिक कष्ट, दरिद्रता, पाप आदि दूर होते हैं।
गायत्री जयंती के शुभ मुहूर्त (Gayatri Jayanti 2024 Shubh Muhurat)
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 05 मिनट से प्रातः 04 बजकर 49 मिनट तक रहेगा।
- प्रातः सन्ध्या मुहूर्त प्रात: 04 बजकर 27 मिनट से सुबह 05 बजकर 33 मिनट तक होगा।
- अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 35 मिनट से 12 बजकर 27 मिनट तक होगा।
- विजय मुहूर्त दिन में 02 बजकर 11 मिनट से 03 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन गोधूलि मुहूर्त शाम में 06 बजकर 29 मिनट से 06 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।
- सायाह्न सन्ध्या काल शाम में 06 बजकर 29 मिनट से 07 बजकर 36 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन अमृत काल रात 08 बजकर 24 मिनट से 09 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।
- निशिता मुहूर्त रात 11 बजकर 39 मिनट से रात 12 बजकर 24 मिनट (20 अगस्त) तक रहेगा।
विशेष योग
- इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग प्रातः 05 बजकर 33 मिनट से 08 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन रवि योग प्रातः 05 बजकर 33 मिनट से 08 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।
गायत्री जयंती पर पूजा कैसे करें (Gayatri Jayanti Puja Vidhi)
- गायत्री जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें। संभव हो तो गंगा नदी में स्नान करें वरना घर के ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिला लें।
- इसके बाद साफ वस्त्र धारण कर सूर्यदेव को तांबे के पात्र से अर्घ्य दें। अब आप किसी गायत्री मंदिर या घर के किसी भी शुद्ध पवित्र स्थान पर पीले कुशा के आसन पर सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
- इसके बाद मां गायत्री का आह्वान करते हुए मां गायत्री का प्रतीक चित्र या मूर्ति सुसज्जित पूजा वेदी पर स्थापित करें।
- इसके बाद मूर्ति के सामने कलश, घी का दीपक स्थापित करें। तत्पश्चात् गायत्री माता को पुष्प, धूप, नैवेद्य, अक्षत, चन्दन आदि अर्पित करें और उन्हें सात्विक चीजों का भोग लगाएं।
- इसके बाद आप व्रत कथा पढ़ें और सभी देवी-देवताओं की आरती करें। इसके साथ ही आपकी पूजा समाप्त होती है, और अब व्रत रखने वाले भक्त फलाहार ग्रहण कर सकते हैं।
- आप अगले दिन भगवान जी की पूजा पाठ के बाद व्रत का पारण करें।
गायत्री जयंती के दिन क्या करना चाहिए ? (What to do on Gayatri Jayanti 2024)
- इस दिन आप गायत्री माता की पूजा करते समय गायत्री मंत्र का उच्चारण अवश्य करें।
- इस दिन किसी गरीब व्यक्ति की सहायता करें।
- आप इस दिन गायत्री माता के मंदिर में दर्शन करने भी जा सकते हैं।
- इस दिन अपने गुरुजनों का अपमान कदापि न करें और मांस-मदिरा का सेवन न करें।
गायत्री जयंती के दिन क्या न करें ? (What not to do on Gayatri Jayanti 2024)
- इस दिन शरीर और मन को शुद्ध रखना आवश्यक है। अशुद्धता से बचना चाहिए।
- किसी भी प्रकार की हिंसा से बचना चाहिए। जीवों को कोई हानि नहीं पहुंचानी चाहिए।
- मन में नकारात्मक विचार नहीं लाने चाहिए। सकारात्मकता और शांति बनाए रखनी चाहिए।
- किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए और झूठ नहीं बोलना चाहिए।
- सत्य बोलना और दूसरों का सम्मान करना चाहिए।
- इस दिन आलस्य से बचना चाहिए। धार्मिक कार्यों में भाग लेना चाहिए।
- असत्य आचरण से बचना चाहिए। सदाचार का पालन करना चाहिए।
- अत्यधिक भोजन नहीं करना चाहिए। सात्विक भोजन करना चाहिए।
- मद्यपान और नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।