साल 2024 में रक्षाबंधन कब है? देखें इस दिन के शुभ मुहूर्त-विधि की पूरी जानकारी

साल 2024 में रक्षाबंधन कब है? देखें इस दिन के शुभ मुहूर्त-विधि की पूरी जानकारी

जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि समेत सभी आवश्यक बातें


रक्षाबंधन: शुभ मुहूर्त, पूजा विधि की पूरी जानकारी



रक्षाबंधन 2024 कब है ? (Rakshabandhan 2024 Kab Hai?)


भक्तों नमस्कार, श्री मंदिर पर आपका स्वागत है। रक्षाबंधन का पर्व हर वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनके लंबे व सुखी जीवन की कामना करती हैं, और भाई जीवन भर अपनी बहनों की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं।

चलिए जानते हैं कि साल 2024 में रक्षाबंधन कब है? (Chaliye Jante Hain Ki Saal 2024 Me Rakshabandhan Kab Hai?)


  • रक्षाबन्धन 19 अगस्त, सोमवार को पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाएगा।
  • पूर्णिमा तिथि 18 अगस्त, रविवार की मध्यरात्रि 03 बजकर 04 मिनट पर प्रारंभ होगी।
  • पूर्णिमा तिथि का समापन 19 अगस्त, सोमवार को रात्रि 11 बजकर 55 मिनट पर होगा।
  • इस दिन भद्रा लगने के कारण राखी बांधने का समय दोपहर 01 बजकर 30 मिनट से 08 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।
  • रक्षा बन्धन के लिये अपराह्न का मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।
  • रक्षा बन्धन के लिये प्रदोष काल का मुहूर्त शाम 06 बजकर 29 मिनट से रात 08 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन भद्रा 01 बजकर 30 मिनट तक रहेगी।
  • भद्रा पूँछ सुबह 09 बजकर 51 मिनट से 10 बजकर 53 मिनट तक रहेगी
  • भद्रा मुख सुबह 10 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब भद्रा का मुख, कंठ और हृदय धरती पर होता है, तब कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाना चाहिए लेकिन भद्रा की पूंछ कार्यों की पूर्ति के लिए ठीक माना गया है। हालांकि सभी हिन्दु ग्रन्थ और पुराण भद्रा समाप्त होने के पश्चात ही राखी बांधने की सलाह देते हैं, इसलिए भद्रा के दौरान रक्षाबंधन न मनाएं।

चलिए अब जानते हैं रक्षाबंधन के दिन के शुभ मुहूर्त:


  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 05 मिनट से प्रातः 04 बजकर 49 मिनट तक रहेगा।
  • प्रातः सन्ध्या मुहूर्त प्रात: 04 बजकर 27 मिनट से सुबह 05 बजकर 33 मिनट तक होगा।
  • इस दिन अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 35 मिनट से 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
  • विजय मुहूर्त दिन में 02 बजकर 11 मिनट से 03 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन गोधूलि मुहूर्त शाम में 06 बजकर 29 मिनट से 06 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।
  • सायाह्न सन्ध्या काल शाम में 06 बजकर 29 मिनट से 07 बजकर 36 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन अमृतकाल रात्रि 08 बजकर 24 मिनट से 09 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।

इस रक्षाबंधन के दिन 2 विशेष योग भी बन रहे हैं:


  • सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 33 मिनट से 08 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।
  • रवि योग भी सुबह 05 बजकर 33 मिनट से 08 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? क्या महत्व है? (Rakshabandhan kyon Manaya Jata hai? Kya hai mahatva?)


रक्षाबंधन की कई धार्मिक और सांस्कृतिक कथाएं हैं जो इस त्योहार के महत्व को समझाने में मदद करती हैं। यहाँ कुछ प्रमुख कारण दिए गए हैं:

धार्मिक कथाएं:


महाभारत की कथा:
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, द्रौपदी ने भगवान कृष्ण की कलाई पर राखी बांधी थी, और बदले में कृष्ण ने उन्हें हमेशा सुरक्षा का आश्वासन दिया था। इस घटना को रक्षाबंधन के त्योहार से जोड़ा जाता है।

नागपंचमी की कथा:
एक अन्य कथा के अनुसार, रक्षाबंधन की परंपरा नाग देवताओं की पूजा से भी जुड़ी है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके जीवन की रक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं।

सामाजिक और पारंपरिक मान्यता:

रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते की भावना को सम्मानित करने और उसे प्रगाढ़ बनाने का अवसर होता है। यह भाई-बहन के बीच प्रेम और समर्थन को प्रकट करता है। इस दिन, भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनके सुखद और सुरक्षित जीवन की कामना करते हैं, जबकि बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुरक्षा की प्रार्थना करती हैं।

सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व:

रक्षाबंधन का त्योहार भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के रिश्ते की अहमियत को दर्शाता है और पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने का एक अवसर प्रदान करता है। यह त्योहार परिवारों में एकता और प्रेम को बढ़ावा देता है और सामाजिक संबंधों को भी प्रोत्साहित करता है।

इस तरह, रक्षाबंधन केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह भाई-बहन के रिश्ते की गहराई और परिवारिक एकता का प्रतीक भी है।

रक्षाबंधन पर पूजा कैसे करें? (संपूर्ण विधि व मंत्र) (Rakshabandhan par pooja kaise karein? Sampurna Vidhi V Mantra)


रक्षाबंधन एक बेहद खास त्यौहार है क्योंकि यह पूरे देश को खुशियों और उमंग के सूत्र से बांध देता है। इस पर्व की तरह इसे मनाने का तरीका भी काफी खास है। आज हम इसे मनाने के तरीके के बारे में बात करेंगे और जानेंगे की हम किस प्रकार इस दिन को और भी शुभ बना सकते हैं। साथ ही हम राखी बांधते वक्त बोले जाने वाले विशेष मंत्र के बारे में भी जानेंगे, इसलिए आप लेख को ध्यानपूर्वक अंत तक अवश्य पढ़ें:

  • रक्षाबंधन के दिन सुबह उठकर आप सभी नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं।
  • रक्षाबंधन पर बहनें उत्सुकता के साथ सज संवरकर तैयार होती हैं, आप भी इस दिन स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सज संवर कर तैयार हो जाएं।
  • आपको बता दें, इस दिन भाई-बहन दोनों को राखी बांधने के पहले व्रत का पालन करना चाहिए और इस दौरान नमक का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।

राखी की थाली सजाना भी इस पर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा है, तो अब हम जानेंगे कि इस थाली में किन-किन चीज़ों को रखना जरूरी है:

  • सबसे पहले थाली में रक्षा सूत्र रखें,
  • इसके बाद उसमें थोड़ा सा कुमकुम रखें।
  • भाई को कुमकुम का तिलक लगाना अत्यंत शुभ माना गया है, इसे लंबी उम्र और विजय का तिलक भी माना जाता है।
  • अब आप थाली में थोड़ा सा अक्षत रख लें। हिंदू धर्म में किसी भी धार्मिक कार्य में अक्षत का विशेष महत्व होता है, इसलिए आप थाली में अक्षत रखना न भूलें।
  • कुछ जगहों पर थाली में नारियल भी रखा जाता है, तो अगर आपके यहां भी भाई को राखी बांधने से पहले नारियल देने की परंपरा है तो थाली में नारियल अवश्य रख लें।
  • अब मिठाई रखें, कुछ पुष्प रखें और साथ ही एक घी का दीपक जलाकर थाली पर रख दें।

अब हम आपको राखी बांधने की विधि बताएंगे:

  • तो सबसे पहले आप अपने और अपने भाई के सिर पर रुमाल या किसी कपड़े से उसे ढक लें।
  • इसके बाद आप अपने भाई को अंगूठे और अनामिका उंगली की मदद से कुमकुम का तिलक लगाएं
  • और तिलक के ऊपर अक्षत लगाएं।
  • इसके बाद आप दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र यानी राखी बांधें
  • और राखी बांधते वक्त इस मंत्र का उच्चारण ज़रूर करें।

ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

अर्थात्, हे रक्षासूत्र, जिस प्रकार आपने महान शक्तिशाली राजा बलि को बांधकर रखा था, उसी सूत्र में मैं अब आपको बाँधती हूँ। हे राखी, तुम अडिग रहना और अपने रक्षा के संकल्प से कभी भी विचलित नहीं होना।

इसी मंगलकामना के साथ राखी बांधने के बाद आप अपने भाई की आरती उतारें और एक दूसरे को मिठाई खिलाएं।

बहने अपने बड़े भाई के चरण छू सकती हैं और छोटे भाई अपनी बहनों के चरण छू सकते हैं। साथ ही भाई अपनी सामर्थ्य के अनुसार, अपनी बहन को भेंट दे सकते हैं। अंत में आप पूजा थाली को मंदिर में रख दें।

रक्षाबंधन पर भाई से पहले बांधे इन 5 देवताओं को राखी


हम लोग हर दुख-सुख में अपने आराध्य का स्मरण करते हैं और हमारे बीच उनकी उपस्थिति का जश्न त्योहारों के माध्यम से मनाते हैं। इसलिए हमारे यहां मनाएं जाने वाले त्योहारों में विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा का विशेष महत्व होता है। अगर बात करें साल के सबसे खूबसूरत त्योहारों में से एक ‘रक्षाबंधन’ की,

तो क्या आपको पता है? कि इस दिन भाई के अलावा इन देवताओं को भी राखी बांधने की परंपरा है। ऐसा करके हम लोग भगवान से हमारी रक्षा करने की कामना करते हैं। तो चलिए जानते हैं कि रक्षाबंधन के पावन अवसर पर किन किन देवताओं को राखी बांधनी चाहिए:

गणपति जी

गणपति जी को हर शुभ कार्य में सबसे पहले याद किया जाता है। ऐसा मानते हैं कि रक्षाबंधन पर उन्हें लाल रंग की राखी अर्पित करनी चाहिए। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि राखी रक्षा के साथ प्रेम का भी प्रतीक है तो भगवान गणेश को राखी बांधकर हम उनके प्रति अपने प्रेम एवं भक्ति भाव को भी व्यक्त करते हैं।

शिवजी जी

आप रक्षाबंधन पर शिव जी को भी राखी अवश्य बांधे। शिव जी कृपा से जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस दिन भगवान भोलेनाथ के प्रति अपनी श्रद्धा को दर्शाने के लिए उन्हें राखी बांधना शुभ होता है।

हनुमान जी

हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है क्योंकि वह सभी संकटों का नाश कर देते हैं। सभी भक्तों पर हनुमान जी की कृपा एक कवच की तरह हर कठिनाई से उनकी रक्षा करती है। ऐसा माना जाता है कि उन्हें राखी बांधने से बुद्धि की भी प्राप्ति होती है। इसलिए हनुमान जी का आशीर्वाद मांगते हुए रक्षाबंधन पर उन्हें राखी अवश्य बांधे।

कान्हा जी

रक्षाबंधन के विषय में महाभारत की एक बहुत रोचक कहानी मिलती है, जो द्वारकाधीश भगवान श्री कृष्ण और पांडवों की धर्म पत्नी द्रौपदी के विषय में है। धर्मग्रंथों में यह निहित है, कि श्री कृष्ण पांडवों के गुरु समान थे। एक बार, युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के बाद, बड़े-बड़े राजा-महाराजाओं से भरे दरबार में श्रीकृष्ण की बुआ के बेटे, शिशुपाल ने उनका और भीष्म सहित अन्य कई लोगों का अपमान करना शुरू कर दिया। जब शिशुपाल को लाख बार समझाने के बाद भी वह नहीं रुका, तब श्री कृष्ण ने उसे अपने सुदर्शन चक्र द्वारा मार दिया।

ऐसा करने से उनकी उँगलियों में भी चोट आई और रक्तस्राव होने लगा। जब द्रौपदी ने यह देखा, तो उन्होंने तुरंत ही अपनी साड़ी के एक हिस्से को फाड़कर, उसे श्री कृष्ण की चोट पर बांध दिया। कहा जाता है, कि उनकी करुणा से भावविभोर होकर, श्री कृष्ण ने उनको अपनी बहन का दर्जा दिया और कहा, “यह तुम्हारा मुझ पर ऋण है। तुम जब भी मुझे पुकारोगी, मैं तुम्हारी रक्षा हेतु अवश्य आऊंगा।”

तब से ही रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण को राखी बांधने की परंपरा चली आ रही है।

विष्णु जी

भगवान विष्णु अपने भक्तों की रक्षा एवं पापों के विनाश के लिए समय-समय पर कई रूपों में धरती पर अवतरित हुए हैं। समस्त सृष्टि का पालन करने वाले भगवान विष्णु के प्रति अपने प्रेम भाव एवं कृतज्ञता को प्रकट करने के लिए आप उन्हें पीले रंग की राखी रक्षाबंधन के दिन अवश्य बांधें। ऐसा करना अत्यंत शुभ एवं लाभकारी माना गया है।

तो इस प्रकार रक्षाबंधन पर भगवान को अपने भाई के रूप में पूजा कर आप इस पर्व को अधिक पुण्यकारी एवं शुभ बना सकते हैं। आप रक्षाबंधन पर इन 5 देवताओं को राखी अवश्य बांधे और उनके आशीष की कामना करें। ऐसे ही महत्वपूर्ण जानकारी से परिपूर्ण लेखों को पढ़ने के लिए श्री मंदिर के साथ बने रहें।



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