शीतला सप्तमी 2024 (Shitala Saptami 2024)
शीतला सप्तमी का पर्व, जिसे कई क्षेत्रों में 'बासोड़ा' के नाम से भी जाना जाता है, मुख्य रूप से पश्चिमी भारत के राज्यों जैसे गुजरात, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। शीतला सातम का पर्व देवी शीतला की पूजा को समर्पित है, जिन्हें खसरा, चेचक जैसी बीमारियों की देवी माना जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसमें स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूकता का भी संदेश छिपा हुआ है।
शीतला सप्तमी क्यों मनाते हैं? (Why is Shitala Saptami Celebrated)
शीतला सप्तमी मनाने के पीछे एक मान्यता है, जिसके अनुसार, शीतला माता ने एक दिन सोचा कि वे धरती पर जाकर देखे कि कौन उनकी पूजा करता है, कौन उनका मान रखता है। धरती पर आकर उन्होंने देखा कि न तो उनका कोई मंदिर है और न ही उनकी कोई पूजा-अर्चना होती है।
माता शीतला गाँव की गलियों में घूम रही थीं, तभी अचानक किसी ने ऊपर से उबले हुए चावल का पानी (मांड) नीचे गिराया, जो सीधे माता के ऊपर आ गिरा। इससे उनके शरीर पर जलन होने लगी और फफोले पड़ गए। शीतला माता गाँव में इधर-उधर भटक कर लोगों से सहायता मांगने लगीं, लेकिन गाँव के लोग उनकी सहायता करने की बजाय उन्हें नजरअंदाज करते रहे।
उसी समय, एक निर्धन कुम्हारन अपने घर के बाहर बैठी थी, जिसने माता की सहायता की, और उन्हें खाने के लिए ठंडी रोटी और दही दी, ताकि उनके शरीर की जलन कम हो सके। इससे प्रसन्न होकर शीतला माता ने कुम्हारन की निर्धनता दूर की, और वरदान दिया कि जो भी भक्त होली के बाद की सप्तमी को मेरी पूजा करेगा और अष्टमी के दिन ठंडा जल, दही और बासी भोजन चढ़ाएगा, उसके घर में कभी दरिद्रता नहीं आएगी।
इसी मान्यता के आधार पर शीतला सप्तमी मनाई जाती है।
शीतला सप्तमी का क्या महत्व है (What is the Significance of Shitala Saptami)
शीतला सातम का पर्व देवी शीतला को समर्पित होता है। इस पर्व को मनाने के पीछे मान्यता है कि देवी शीतला अपने भक्तों को खसरा, चेचक जैसी बीमारियों से बचाती हैं। मां शीतला की पूजा करने से न केवल महामारी से सुरक्षा मिलती है, बल्कि यह पर्व परिवार और समाज में स्वास्थ्य और स्वच्छता के महत्व को भी बढ़ावा देता है।
शीतला सप्तमी का व्रत कैसे करें (How to Observe the Shitala Saptami Fast)
- इस व्रत को करने के लिए, व्रती को सबसे पहले प्रातःकाल अपने दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर शीतल जल से स्नान करना चाहिए।
- स्नान के पश्चात, निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए संकल्प लेना चाहिए:
'मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये'
- इसके बाद विधि-विधान के अनुसार, सुगंधित गंध, पुष्प आदि से माता शीतला का पूजन करना चाहिए।
- पूजन के बाद, एक दिन पहले बनाए गए बासी खाद्य पदार्थों जैसे मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात आदि का भोग माता को अर्पित करें।
- इसके पश्चात, शीतला स्तोत्र का पाठ करें और शीतला अष्टमी की कथा का श्रवण करें।
रात्रि में जागरण करें और दीपों की माला जलाकर माता की आराधना करें।
विशेष ध्यान रखें कि इस दिन व्रती और उसके परिवार का कोई भी सदस्य गर्म भोजन का सेवन न करें। व्रत के लिए आवश्यक भोजन एक दिन पहले ही बनाकर रख लें और उसी का सेवन करें।
शीतला सप्तमी का शुभ मुहूर्त व तिथि (Shitala Saptami Date & Time)
- 2024 में शीतला सप्तमी का पर्व रविवार, 25 अगस्त को मनाया जाएगा।
- इस दिन शीतला माता की पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः 05:36 बजे से शाम 06:24 बजे तक रहेगा।
- इस पूजा की अवधि कुल 12 घंटे 48 मिनट की होगी।
- सप्तमी तिथि का आरंभ 25 अगस्त को प्रातः 05:30 बजे होगा।
- सप्तमी तिथि का समापन 26 अगस्त को प्रातः 03:39 बजे होगा।
शीतला सप्तमी की पूरी पूजा विधि (Shitala Saptami Pooja Vidhi)
शीतला सातम के दिन भक्त प्रातः काल में जल्दी उठकर स्नान आदि करके पूजा की तैयारी करते हैं। इस दिन घर में आग नहीं जलाई जाती, और पिछले दिन बने हुए भोजन का ही सेवन किया जाता है। इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि देवी शीतला अपने भक्तों के जीवन में शीतलता पहुंचाती हैं, इसलिए इस दिन ठंडा भोजन करने का विधान है।
इस दिन शीतला माता की पूजा करने के लिए पहले नदी के किनारे या घर में शीतला माता की मूर्ति स्थापित की जाती है। उसके बाद देवी की षोडशोपचार पूजा की जाती है, जिसमें शीतला अष्टक का पाठ भी शामिल होता है। पूजा के बाद भक्त देवी के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाते हैं और प्रार्थना करते हैं कि देवी शीतला उनके परिवार को स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करें।
शीतला सप्तमी के उपाय (Shitala Saptami Upay)
- शीतला सातम से एक दिन पूर्व ही भोजन सामग्री तैयार करें।
- शीतला सातम के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाना चाहिए।
- इस दिन ठंडे भोजन को दोबारा गर्म न करें।
- पूरे दिन व्रत रखें और माता शीतला की पूजा करें।
शीतला सप्तमी पूजा के क्या लाभ होते हैं (What Are The Benefits of Shitala Saptami Pooja)
- शीतला सप्तमी व्रत का पालन करने से जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
- देवी शीतला की पूजा करने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निवारण होता है और व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।
- देवी की कृपा से खसरा, चेचक जैसी महामारियों से बचाव होता है और परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
शीतला सप्तमी पर्व को मनाने से जहां एक ओर माता शीतला की कृपा प्राप्त होती है, वहीं दूसरी ओर यह पर्व हमें अपने स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति सचेत रहने की भी प्रेरणा देता है। व्रत त्यौहारों से जुड़ी ऐसी ही जानकारियों के लिए जुड़े रहिए ‘श्री मंदिर’ पर।