गंगा दशहरा का महत्व, पूजा विधि व शुभ मुहूर्त

गंगा दशहरा का महत्व, पूजा विधि व शुभ मुहूर्त

मिट जाएंगे जन्म जन्मांतर के पाप


गंगा दशहरा (Ganga Dussehra)



हिंदू धर्म में गंगा दशहरा एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन जगत की पालनहार मां गंगा की पूजा की जाती है। इसके लिए श्रद्धालु ब्रह्म बेला से ही पवित्र गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं। इसके बाद वे मां गंगा की विधि-विधान से पूजा करते हैं। शास्त्रों में निहित है कि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। इसलिए हर साल ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि गंगा नदी में स्नान और ध्यान करने से व्यक्ति के पिछले जन्मों में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां गंगा की उपासना करने से एवं गंगा स्नान करने से जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं, और विशेष फल मिलता है। हिंदू संस्कृति में कभी भी गंगा स्नान करना और मां गंगा की उपासना करना अक्षम्य पापों को नष्ट करने वाला होता है, परंतु गंगा दशहरा का पर्व गंगा जी की आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। आइए जानें साल 2024 में गंगा दशहरा कब है और इस दिन पूजा का क्या विधान होता है।

गंगा दशहरा 2024 (Ganga Dussehra 2024 Date)


  • साल 2024 में गंगा दशहरा रविवार 16 जून को मनाई जाएगी।

  • दशमी तिथि का प्रारम्भ 16 जून 2024 को सुबह 02 बजकर 32 मिनट से होगा।

  • दशमी तिथि का समापन 17 जून 2024 को सुबह 04 बजकर 43 मिनट पर होगा।

  • इस दिन हस्त नक्षत्र का प्रारम्भ 15 जून को सुबह 08 बजकर 14 से होगा और

  • 16 जून 2024 को सुबह 11 बजकर 13 मिनट पर हस्त नक्षत्र का समापन होगा।

  • साथ ही व्यतीपात योग का प्रारम्भ 14 जून 2024 को शाम 07 बजकर 08 मिनट से होगा।

  • व्यतीपात योग का समापन 15 जून 2024 को रात 08 बजकर 11 मिनट पर होगा।


गंगा दशहरा के दिन पड़ने वाले अन्य शुभ मुहूर्त-

  • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04:03 से सुबह 04:43 तक

  • प्रातः सन्ध्या - सुबह 04:23 से सुबह 05:23 तक

  • अभिजित मुहूर्त - सुबह 11:54 से दोपहर 12:50 तक

  • विजय मुहूर्त - दोपहर 02:42 से दोपहर 03:37 तक

  • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07:20 से शाम 07:40 तक

  • सायाह्न सन्ध्या - शाम 07:21 से रात 08:21 तक

  • सर्वार्थ सिद्धि योग - शाम 05:23 से सुबह 11:13 तक

  • रवि योग - पूरे दिन

  • अमृत सिद्धि योग - सुबह 05:23 से सुबह 11:13 तक

  • निशिता मुहूर्त -17 जून मध्य रात्रि 12:02 से मध्यरात्रि 12:42 तक


गंगा दशहरा का महत्व (Importance Of Ganga Dussehra)


सनातन धर्म में गंगा दशहरा का पर्व विशेष महत्व रखता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन माँ गंगा प्रकट हुई थी। जातक इस दिन गंगा नदी में स्नान करते हैं, व्रत रखते हैं, और मां गंगा की आरती करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से गंगा उपासना करने वाले जातक पर गंगा जी सदैव अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार गंगा स्नान से केवल व्यक्ति के पाप कर्म ही नष्ट नहीं होते, बल्कि मरणोपरांत मनुष्य को मोक्ष भी प्राप्त होता है। गंगा दशहरा के दिन दान पुण्य करने का भी विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन यदि किसी निर्धन व्यक्ति को स्वेच्छा से कुछ दान दिया जाए तो कई गुना पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।

ऐसी मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन मनुष्य अपने 10 तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। मां गंगा इस दिन जातक के 10 पापों का हरण करती हैं, इसलिए इस पर्व को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है।शास्त्रों में गंगाजल को अमृत तुल्य बताया गया है। विज्ञान एवं ज्योतिष शास्त्र दोनों इस बात की पुष्टि करते हैं कि गंगा के जल से मनुष्य कई असाध्य रोगों से मुक्ति पा सकता है, साथ ही कुष्ठ रोग जैसे रोगों का इलाज भी संभव है।

गंगा दशहरा पूजा विधि (Ganga Dussehra Puja Vidhi)


कहते हैं, माँ गंगा पृथ्वी लोक पर मनुष्यों के कल्याण और उन्हें मोक्ष प्रदान करने के लिए गंगा दशहरा के दिन अवतरित हुईं थीं। इसलिए गंगा दशहरा पर माँ गंगा की पूजा बेहद शुभ एवं फलदायी मानी जाती है। इस पूजा से जीवनदायिनी माँ गंगा की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी और आपको मोक्ष की प्राप्ति होगी।

पूजा विधि -


  • गंगा दशहरा के दिन प्रातःकाल स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें।

  • इस दिन गंगा में स्नान करना शुभ माना जाता है,लेकिन अगर यह संभव न हो तो पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाकर स्नान कर लें।

  • इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। सूर्य देव को अर्घ्य देते समय ‘ॐ सूर्याय नम:’ मंत्र का उच्चारण करें।

  • आपको बता दें, गंगा दशहरा के दिन भगवान शिव जी की आराधना करने का भी विधान है।

  • इसलिए इस दिन मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल एवं पंचामृत अवश्य चढ़ाना चाहिए।

  • साथ ही शिवलिंग पर बेलपत्र, ऋतु फल, धतूरा, चंदन, धूप, दीप, अक्षत एवं पुष्प अर्पित करें।

  • वहीं अगर चाहें तो भगवान शिव की आराधना आप अपने घर के मंदिर में भी कर सकते हैं।

  • इसके अलावा इस दिन माँ गंगा को प्रसन्न करने के लिए उपासक व्रत भी रख सकते हैं।

  • अगर संभव हो तो इस दिन गंगा नदी में दीप जलाकर प्रवाहित करें। ऐसा करना शुभ माना जाता है।

  • वहीं यह पूजा दान-दक्षिणा के बिना अधूरी मानी जाती है, इसलिए माँ गंगा का स्मरण करते हुए, ब्राह्मणों व जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा अवश्य दें।


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