2024 में पुत्रदा एकादशी कब है (When Is Putrada Ekadashi in 2024)
हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। वर्ष 2024 में 21 जनवरी, रविवार को इस एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस लेख में जानेंगे कि आपको पौष पुत्रदा एकादशी पर घर में कैसे पूजा करनी चाहिए। साथ ही जानेंगे इस दिन शुभ मुहूर्त और इस व्रत से मिलने वाले लाभ।
पुत्रदा एकादशी पर शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat Of Putrada Ekadashi)
साल 2024 में पुत्रदा एकादशी 21 जनवरी को पड़ रही है। इस दिन एकादशी तिथि 20 जनवरी 20, 2024 को रात 07 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी और एकादशी तिथि 21 जनवरी 2024 को रात 07 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी। वहीँ पुत्रदा एकादशी पर पारण 22 जनवरी को सुबह 06 बजकर 45 मिनट से सुबह 08 बजकर 55 मिनट पर होगी। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय शाम 07 बजकर 51 मिनट पर रहेगा।
पुत्रदा एकादशी पूजा विधि (Putrada Ekadashi Puja Vidhi)
पूजा सामग्री - चौकी, पीला वस्त्र, भगवान विष्णु की प्रतिमा, पुष्प, माला, जनेऊ, धूप-दीप-अगरबत्ती, तुलसीदल, पञ्चामृत का सामान (दूध, घी, दही, शहद और मिश्री), तुलसीदल, मिष्ठान्न और ऋतुफल
पूजा की तैयारी -
- एकादशी के दिन व्रत करने वाले जातक दशमी तिथि की शाम में व्रत और पूजन का संकल्प लें।
- दशमी में रात्रि के भोजन के बाद से कुछ भी अन्न या एकादशी व्रत में निषेध चीजों का सेवन न करें।
- पौष पुत्रदा एकादशी के दिन प्रातःकाल उठें, और किसी पेड़ की टहनी से दातुन करें।
- इसके बाद नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। स्वयं को चन्दन का तिलक करें।
- अब भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य दें और नमस्कार करते हुए, आपके व्रत और पूजा को सफल बनाने की प्रार्थना करें।
- अब पूजा करने के लिए सभी सामग्री इकट्ठा करें और पूजा शुरू करें।
पूजा विधि -
- सबसे पहले पूजा स्थल पर एक चौकी स्थापित करें, और इसे गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें।
- इसके बाद चौकी पर एक पीला वस्त्र बिछाएं। इस चौकी के दायीं ओर एक दीप प्रज्वलित करें।
- (सबसे पहले दीप प्रज्वलित इसीलिए किया जाता है, ताकि अग्निदेव आपकी पूजा के साक्षी बनें)
- चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें।
- भगवान को रोली-चन्दन का तिलक करें। कुमकुम, हल्दी और अक्षत भी चढ़ाएं।
- अब ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जप करते हुए श्रीहरि को पुष्प, जनेऊ और माला अर्पित करें।
- भगवान विष्णु को पंचामृत में तुलसीदल डालकर अर्पित करें, भगवान विष्णु को तुलसी अतिप्रिय है इसीलिए भगवान के भोग में तुलसी को अवश्य शामिल करें।
- भगवान को भोग में मिष्ठान्न और ऋतुफल अर्पित करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम या श्री हरि स्त्रोतम का पाठ करें, इसे आप श्री मंदिर के माध्यम से सुन भी सकते हैं।
- अंत में भगवान विष्णु की आरती करें।
- अब सभी लोगों में भगवान को चढ़ाया गया भोग प्रसाद के रूप में वितरित करें।
पुत्रदा एकादशी का महत्व (Importance Of Putrada Ekadashi)
- पौष पुत्रदा एकादशी की तिथि को हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि यह एकादशी भक्तों को उनकी दुर्लभ मनोकामनाओं को भी पूर्ण करने का आशीर्वाद दिला सकती है।
- पौष पुत्रदा एकादशी पर किया जाने व्रत आपके जीवन को सम्पन्न बनाने के लिए काफी है। हम इस वीडियो में आपको बताएंगे कि इस एकादशी पर किया गया व्रत और पूजन आपको ऐसे कौन से पांच लाभ प्रदान करेगा, जो आपके जीवन को सफल बनाने में निश्चित ही आपकी सहायता करेंगे।
पौष पुत्रदा एकादशी से मिलने वाले 5 लाभ (5 Benefits Of Putrada Ekadashi )
पहला लाभ - श्राद्ध के बराबर का पुण्य फल प्राप्त होगा पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से आपको अप्रत्यक्ष रूप से अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होगा। आपकी संतान द्वारा किया गया पितृदान और तर्पण आपके पूर्वजों को संतुष्ट करेगा। इस प्रकार यह आपके लिए श्राद्ध के समान पुण्य फलदायी एकादशी सिद्ध होगी।
दूसरा लाभ - पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी इस व्रत के प्रभाव से आपको यशस्वी संतान होने का आशीर्वाद मिलेगा। आपकी संतान आपके प्रति समर्पित बनेगी, और जीवन के हर उतार-चढ़ाव में आपका सहारा बनकर आपके साथ खड़ी रहेगी।
तीसरा लाभ - सफलता के द्वार खुलेंगे पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत आपकी हर मनोकामना की पूर्ति करेगा। इस व्रत के प्रभाव से आपके जीवन में सकारात्मकता का संचार होगा, जो आपके विचारों के साथ आपके कर्म को भी प्रभावित करेगा। इस तरह आप अपने मनचाहे लक्ष्य को पा सकेंगे और जीवन में सफल बनेंगे।
चौथा लाभ - भगवान विष्णु प्रसन्न होंगे
एकादशी तिथि के अधिदेवता भगवान विष्णु हैं। पौष पुत्रदा एकादशी पर उनकी पूजा अर्चना करने से आपको भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलेगा तथा उनकी कृपा से आपको अनजाने में भूल से किये गए पापों से भी मुक्ति मिलेगी।
पांचवा लाभ - मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्ति श्री हरि को समर्पित इस तिथि पर व्रत अनुष्ठान करने से आपको मृत्यु के बाद वैकुण्ठ धाम में स्थान प्राप्त होगा। इस व्रत का प्रभाव बहुत शक्तिशाली होता है, इसीलिए जब आप यह व्रत करेंगे, तो इसके फलस्वरूप आपको आपके कर्मों का पुण्य फल अवश्य प्राप्त होगा, जो आपको मोक्ष की ओर ले जाएगा।