काली यंत्र के महत्व और इसे पूजा में शामिल करने के नियम
कोई भी जातक यदि काली यंत्र की स्थापना करता है, तो मां काली की कृपा उसपर जरूर बरसती है। मगर ऐसा भी नहीं कि काली यंत्र को बिना किसी नियम और बिना सही दिशा को जाने उसे स्थापित कर दिया जाए। काली यंत्र तांत्रिक शक्तियों से भरपूर एक दिव्य यंत्र है, जो नकारात्मक ऊर्जा, शत्रु बाधा और भय को नष्ट कर सुरक्षा और आत्मविश्वास प्रदान करता है। इस आर्टिकल में हम काली यंत्र से जुड़ी तमाम बातों को विस्तार से जानेंगे।
मां भगवती का एक स्वरूप देवी काली का है। माँ काली के स्वरूप को नौ रूपों में सबसे अधिक शक्तिशाली और बलशाली माना जाता है। पौराणिक कथाओं में मां काली का रौद्र रूप और सौम्यता दोनों का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है। असुरों का विनाश करने वाली माँ काली का यह यंत्र सभी तरह के भय और संकटों से मुक्ति दिलाता है। इस यंत्र को माँ काली का स्वरूप माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि तांत्रिक, संन्यासी आदि भी इस यंत्र का प्रयोग अपनी विद्या के लिए करते हैं। यह यंत्र साधकों को सिद्धि की प्राप्ति कराता है।
काली यंत्र का महत्त्व बहुत गहरा और प्रभावशाली है। काली यंत्र को एक शक्तिशाली तांत्रिक यंत्र माना जाता है। देवी काली को शक्ति, तामसी, और विनाशक ऊर्जा की देवी माना जाता है, जो बुरी शक्तियों का नाश करती हैं और नई सृजन की ओर मार्गदर्शन करती हैं। काली यंत्र का पूजन शत्रु के नाश, भय और असुर शक्तियों से रक्षा, और मानसिक शांति के लिए किया जाता है। काली यंत्र को तंत्र विद्या में भी विशेष महत्त्व प्राप्त है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, काली यंत्र का उपयोग विशेष रूप से ग्रहों के खराब प्रभावों को शांत करने के लिए भी किया जाता है।
काली यंत्र को सही दिशा में चैत्र आषाढ़ और माघ की अष्टमी के दिन स्थापित करना चाहिए। यंत्र को स्थापित करने से पूर्व शरीर को पवित्र कर लें। इसके बाद यंत्र को स्थापित कर धूप-दीप जलाएं और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं। फिर यंत्र पर गंगाजल अर्पित करें। इस कार्य के बाद 11 या 21 बार बीज मंत्र ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं दक्षिण कालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं स्वाहा का जाप करें। इसके बाद मां काली से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि वे उनके जीवन को संकटों से दूर करें। ध्यान रखें इस यंत्र को खरीदते समय इसकी पूरी तरह से जांच जरूर कर लें। वहीं, किसी जानकार पंडित, ज्योतिषि से इसकी स्थापना विधि, उपयोग और धारण करने के बारे में सही जानकारी लेने के बाद ही इस यंत्र को खरीदें। सही तरीके से की गई पूजा से और नियम से इस यंत्र का प्रभाव सकारात्मक रूप से होगा और जीवन के दोषों आदि को दूर करेगा।
इस यंत्र को स्थापित करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यंत्र का सर्वोत्तम लाभ प्राप्त करने के लिए उचित स्थान पर स्थापित करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि गलत स्थान पर यंत्र स्थापित करने से इस यंत्र का लाभ प्राप्त नहीं होगा। यंत्र को स्थापित करते समय उसकी सही दिशा, दिन और मुहर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए। वहीं, यंत्र की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले इसको शुद्ध करना अति आवश्यक होता है। पूजन को पूर्ण विधि के साथ पूरे मन से करना चाहिए। इसके अलावा यंत्र की स्थापना के बाद नियमित रूप से यंत्र की पूजा और पूर्णाहुति को भी पूरा करना चाहिए। विधि-विधान से स्थापना और पूजा करने से घर में खुशियों का आगमन होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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