श्री दुर्गा यंत्र के महत्व और इसे स्थापित करने की विधि के बारे में जानें।
श्री दुर्गा यंत्र एक शक्तिशाली तांत्रिक साधन है, जो घर से नकारात्मक शक्तियों को दूर करके सुख, समृद्धि और सफलता प्रदान करता है। इस यंत्र को घर में रखने से कई लाभ होते हैं, क्योंकि ये बहुत ही चमत्तकारी यंत्र है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे श्री दुर्गा यंत्र के महत्व, लाभ और सिद्ध करने की विधी के बारे में।
मां दुर्गा जिनके कई स्वरूप हैं, लेकिन यह अपने नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंध माता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री से अधिक विख्यात हैं। आदि शक्ति भक्तों का उद्धार और शत्रुओं का नाश करने वाली हैं। दुर्गा सप्तशती में मां वैष्णवी के यंत्र यानी दुर्गा यंत्र के बारे में लिखा है। इस यंत्र में माँ दुर्गा की शक्ति समाहित होती है। इसलिए इस यंत्र को शक्तियों का भंडार भी कहा जाता है।
इस यंत्र की स्थापना से जीवन में धन-वैभव की कोई कमी नहीं होती। साथ ही इससे मां का रक्षा कवच भी मिलता है, जिससे आने वाली समस्याएं खत्म हो जाती हैं और बुरी शक्तियों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वहीं, अगर देवी मां को प्रसन्न करना हो या उनका आशीर्वाद पाना हो तो इस यंत्र की उपासना करने मात्र से सारी मनोकामना पूर्ण हो सकती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, श्री दुर्गा यंत्र का विशेष महत्व बताया गया है। इस यंत्र को मां दुर्गा का स्वरूप भी माना जाता है। यह यंत्र काफी प्रभावशाली और चमत्कारिक है। इस यंत्र की सिद्धि करने के बाद मनुष्य को सभी तरह की सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस यंत्र के चमत्कार से सभी तरह के कष्ट और रोगों से भी मुक्ति मिलती है। इस यंत्र के माध्यम से माँ दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जो हर मुश्किल समय में अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। दुर्गा यंत्र के नियमित पूजन से व्यक्ति को माँ दुर्गा की अनंत शक्तियाँ प्राप्त होती हैं, जिससे वह जीवन में सफलता प्राप्त करता है और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करता है। श्री दुर्गा यंत्र के जाप और पूजा से जीवन में नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
श्री दुर्गा यंत्र की स्थापना शुक्रवार के दिन करना शुभ और फलदायी माना जाता है। इस यंत्र की स्थापना नवरात्रि के दिनों में करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। यंत्र की स्थापना से पूर्व सुबह-सबह उठकर शरीर को पवित्र कर लें। पूजा स्थान को अच्छे से साफ करें और संभव हो तो गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद श्री दुर्गा यंत्र को मां दुर्गा की प्रतिमा के समीप रखें। अधिक शुभ फल प्राप्ति के लिए ताम्रपत्र और भोजपत्र पर लाल स्याही से दुर्गा यंत्र को अंकित भी करवा सकते हैं। फिर यंत्र को गंगाजल या कच्चा दूध से पवित्र करें। इसके पश्चात पूजा के दौरान दीपक, अगरबत्ती जलाएं औऱ फूल, फल, दूध, शहद, घी, मिठाई यंत्र के सामने चढ़ाएं।
इस कार्य के बाद श्री दुर्गा का बीज मंत्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ का जाप करें। इसके बाद देवी दुर्गा की आराधना करते हुए यंत्र को यथास्थान स्थापित कर दें। ध्यान रखें इस यंत्र को खरीदते समय इसकी पूरी तरह से जांच जरूर कर लें। वहीं, किसी जानकार पंडित, ज्योतिषि से इसकी स्थापना विधि, उपयोग और धारण करने के बारे में सही जानकारी लेने के बाद ही इस यंत्र को खरीदें। सही तरीके से की गई पूजा से और नियम से इस यंत्र का प्रभाव सकारात्मक रूप से होगा और जीवन के दोषों आदि को दूर करेगा।
श्री दुर्गा यंत्र की स्थापना करते समय बहुत सारी बातों, नियमों का ध्यान रखना आवश्यक है। इसे श्रद्धा, ध्यान, और सही विधि से किया जाना चाहिए। यदि यंत्र की स्थापना और पूजा विधिपूर्वक की जाए, तो इसके लाभ अधिकतम प्राप्त हो सकते हैं। यंत्र को प्रतिष्ठित करने से पहले विशेष पूजन करनी चाहिए। दुर्गा यंत्र स्थापित करते समय दिन, दिशा, मुहर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
इसके अलावा शुद्धता, मंत्र जाप, अर्चन सामग्री, नियमित पूजा, भोग अर्पण आदि समस्त बातों का ध्यान दुर्गा यंत्र स्थापित करते वक्त जरूर रखना चाहिए। विधि-विधान से यंत्र को स्थापित करने से शुभ फल प्राप्त होता है और देवी मां सभी मनोकामना को पूर्ण करती हैं।
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