श्री गायत्री यंत्र
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श्री गायत्री यंत्र

श्री गायत्री यंत्र के लाभ, पूजा विधि और इसे स्थापित करने के नियम।

श्री गायत्री यंत्र के बारे में

श्री गायत्री यंत्र ज्ञान, आध्यात्मिक ऊर्जा और मन की शुद्धता को बढ़ाने का माध्यम है। अगर आप अपने जीवन में शांति और सकारात्मकता चाहते हैं, तो श्री गायत्री यंत्र एक दिव्य उपाय है। आइए इस आर्टिकल में हम श्री गायत्री यंत्र के लाभ और उसे स्थापित करने के तरीकों को जानते हैं।

गायत्री यंत्र क्या है?

हिंदू धर्म में गायत्री यंत्र एक पवित्र एवं महत्वपूर्ण यंत्र है, जो गायत्री मंत्र का प्रतिनिधित्व करता है। गायत्री मंत्र को वेदों में वर्णित किया गया है। वहीं, देवी गायत्री को वेदों की माता माना गया है। इस यंत्र की देवी मां गायत्री हैं। गायत्री यंत्र का पूजन करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जो साधक के शरीर और मन में संतुलन लाता है।

इस यंत्र का रोजाना ध्यान करने से साधक पर देवी गायत्री की दृषिट होती है। मान्यता अनुसार, जिस साधक के कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, वहां ये यंत्र काम करता है और उसके प्रभाव को कम करने में सहायक होता है। जिन बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता या परीक्षा में कम अंक आते हैं, उन बच्चों के लिए यह यंत्र बहुत अच्छा साधन है। इस यंत्र की साधना करने से परीक्षा में सफलताएं प्राप्त होती हैं और जीवन में आगे बढ़ते हैं। इसके अलावा कोई भी नए या शुभ कार्य करने पर इस यंत्र की पूजा से कार्य पूर्णत: संपन्न होता है।

गायत्री यंत्र का महत्त्व

गायत्री यंत्र का महत्त्व हिंदू धर्म में बहुत विशेष है। यह यंत्र गायत्री मंत्र का आध्यात्मिक प्रतीक है, जो ज्ञान, बुद्धि और जागरूकता के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। गायत्री यंत्र का उपयोग वैदिक मंत्रों और साधनाओं के साथ किया जाता है और इसके नियमित पूजन और ध्यान से जीवन में सुख, शांति और प्रगति प्राप्त होती है। इसके साथ ही बुद्धि और ज्ञान का भी विकास होता है। यह भौतिक और मानसिक संकटों से मुक्ति का माध्यम है। यह यंत्र साधक को आत्मिक उन्नति और अध्यात्मिक ज्ञान की ओर अग्रसर करता है।

गायत्री यंत्र के लाभ

  • इस यंत्र के माध्यम से आत्मिक शांति और अशांत मन को शांति मिलती है।
  • गायत्री यंत्र की स्थापना करने से नकारात्म क शक्तियां दूर होती हैं।
  • यह यंत्र जीवन को सुखमय बनता है।
  • गायत्री यंत्र शांति, खुशी और आंतरिक संतुष्टि लाता है।
  • यह यंत्र सौभाग्य, धन और समग्र समृद्धि प्राप्त करने में मदद करता है।
  • इस यंत्र की पूजा करने से वाणी में सुधार होता है।
  • यह यंत्र बुरे पाप औऱ कर्मों को भी दूर करने में सहायक होता है।
  • किसी भी नए कार्य को शुरू करने पर उस कार्य के पूर्ण होने की संभावना बढ़ जाती है 
  • नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं 

किस दिशा में और कैसे करें गायत्री यंत्र की स्थापना

गायत्री यंत्र को बुधवार या शुक्रवार के दिन पूर्व या उत्तर दिशा की ओर स्थापित करना चाहिए। यंत्र को स्थापित करने से पूर्व सुबह उठकर शरीर को अच्छे से पवित्र कर लें। इसके बाद यंत्र को साफ स्थान पर स्थापित कर यंत्र के समक्ष धूप-दीप या घी का दीया जलाएं और अन्य पूजन सामग्री को चढ़ाएं। फिर यंत्र पर गंगाजल या पंचामृत को अर्पित करें। इस कार्य के बाद 11 या 21 बार बीज मंत्र ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् का जाप करना चाहिए।

इसके बाद मां गायत्री से हाथ जोड़कर प्रार्थना करना चाहिए कि वह उनके जीवन को मंगलमय बनाएं और सफलता प्रदान करें। ध्यान रखें इस यंत्र को खरीदते समय इसकी पूरी तरह से जांच जरूर कर लें। वहीं, किसी जानकार पंडित, ज्योतिषि से इसकी स्थापना विधि, उपयोग और धारण करने के बारे में सही जानकारी लेने के बाद ही इस यंत्र को खरीदें। सही तरीके से की गई पूजा से और नियम से इस यंत्र का प्रभाव सकारात्मक रूप से होगा और जीवन के दोषों आदि को दूर करेगा।

गायत्री यंत्र स्थापित करते वक्त ध्यान देने वाली बातें 

गायत्री यंत्र को स्थापित करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। यंत्र को स्थापित करते समय उसकी सही दिशा, दिन और मुहर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए। वहीं, यंत्र की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले इसको शुद्ध करना अति आवश्यक होता है। साथ ही इस यंत्र को खरीदते वक्त ध्यान रखना चाहिए कि यह विधिवत बनाया गया हो और प्राण-प्रतिष्ठा हो। इसके अलावा यंत्र को स्थापित करते वक्त पूजन सामग्री, स्वच्छता, मंत्रों का जाप आदि का पूरा ध्यान रखना आवश्यक होता है।

पूजन को पूर्ण विधि के साथ पूरे मन से करना चाहिए। इसके अलावा यंत्र की स्थापना के बाद नियमित रूप से यंत्र की पूजा और पूर्णाहुति को भी पूरा करना चाहिए। विधि-विधान से स्थापना और पूजा करने से घर में खुशियों का आगमन होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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Published by Sri Mandir·February 10, 2025

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