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शुक्र यंत्र

शुक्र यंत्र के उपयोग और पूजा विधि के बारे में विस्तृत जानकारी।

शुक्र यंत्र के बारे में

शुक्र यंत्र सौंदर्य, समृद्धि और वैवाहिक सुख को बढ़ाने वाला एक चमत्कारी यंत्र है। जिनकी कुंडली में शुक्र कमजोर होता है या जिनलोगों का वैहाहिक जीवन सही से नहीं गुजरता उनके लिए शुक्र यंत्र बड़े काम की चीज साबित हो सकती है। आइए इस लेख में हम शुक्र यंत्र के सभी फायदों को जानते हैं।

शुक्र यंत्र क्या है?

महर्षि भृगु के बेटे और दैत्य गुरु के नाम से प्रसिद्ध शुक्र ग्रह सौरमंडल का सबसे चमकीला और सुंदर ग्रह माना जाता है। शुक्र ग्रह को स्त्री ग्रह भी माना जाता है। वहीं, ऐसी मान्यता है कि यदि किसी मनुष्य का दांपत्य जीवन सुखी है, उसे यश, कीर्ति प्राप्त हो रही है तो उसकी कुंडली में शुक्र ग्रह का मंगल योग है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी की कुंडली में यदि शुक्र मजबूत होता है तो उनका वैवाहिक जीवन प्रेमपूर्ण गुजरता है।

इसके अलावा उनका जीवन आनंदमय बना रहता है, लेकिन कुंडली में शुक्र मजबूत नहीं है तो जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में शुक्र यंत्र इस समस्या का निवारण करने में बहुत सक्षम होता है। ऐसी मान्यता है कि इस यंत्र का इस्तेमाल नाम, प्रसिद्ध, धन, लक्जरी और समृद्धि को बढ़ाने के लिए किया जाता है। ऐसे में इस यंत्र की उपासना करनी चाहिए।

शुक्र यंत्र का महत्त्व

ज्योतिष शास्त्र में शुक्र यंत्र का विशेष महत्त्व बताया गया है। जिस किसी की कुंडली में शुक्र ग्रह अशुभ प्रभाव देता हो उसे शुक्र यंत्र की स्थापना करनी चाहिए। इससे जीवन में जीवन सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं, कई खतरनाक बीमारियों में भी भी शुक्र यंत्र काफी लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा व्यापार संबंधित कार्यों और महिलाओं को प्रजनन करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ने पर शुक्र यंत्र की स्थापना और विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। इससे उन्हें सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं।

शुक्र यंत्र लाभ

  • इस यंत्र के माध्यम से पूरा जीवन सुखमय रहता है। 
  • इस यंत्र की उपासना से प्रतिष्ठा, वैभव और कलात्मक कार्यों में सफलता मिलती है।
  • रचनात्मक क्षेत्र से संबंधित लोगों के लिए यह यंत्र काफी कारगर साबित होता है।
  • गुप्त रोग, मधुमेह जैसी कई अन्य समस्याओं को ये यंत्र दूर करता है।
  • इस यंत्र से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • आर्थिक संकट और दरिद्रता इस यंत्र की उपासना करने से पास नहीं आते।

शुक्र यंत्र की स्थापना किस दिशा में करें?

इस यंत्र को हमेशा घर में या किसी भी पवित्र स्थान पर शुभ मुहूर्त में शुक्रवार के दिन पूर्व या उत्तर दिशा की ओर स्थापित करना चाहिए। यंत्र को स्थापित करने से पहले स्थान पूरी तरह से अच्छे से साफ़ हो इस बात का विशेष ध्यान रखें। फिर स्थापना पूर्व अपने शरीर और मन को पवित्र और शुद्ध कर लें। इसके बाद यंत्र को स्थापित कर 11 या 21 बार ऊं द्राम द्रीम द्रौम सः शुक्राये नमः मंत्र का जाप करें। इस कार्य के बाद फिर यंत्र पर गंगाजल अर्पित करें और हाथ जोड़कर शुक्र देव से प्रार्थना करें कि वे उनके जीवन को सुखमय और आनंद पूर्ण रखें।

इसके बाद यंत्र की प्रतिदिन पूजा विधि अनुसार करें। ध्यान रखें इस यंत्र को खरीदते समय इसकी पूरी तरह से जांच जरूर कर लें। वहीं, किसी जानकार पंडित, ज्योतिषि से इसकी स्थापना विधि, उपयोग और धारण करने के बारे में सही जानकारी लेने के बाद ही इस यंत्र को खरीदें। सही तरीके से की गई पूजा से और नियम से इस यंत्र का प्रभाव सकारात्मक रूप से होगा और जीवन के दोषों आदि को दूर करेगा। 

शुक्र यंत्र स्थापित करते वक्त ध्यान देने वाली बातें 

शुक्र यंत्र को स्थापित करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि सही और विधि विधान से की गई स्थापना से भगवान खुश होते हैं और उनकी कृपा साधक पर हमेशा बनी रहती है, जिससे शुभ फल की प्राप्ति होती है। यंत्र को स्थापित करते समय उसकी सही दिशा, दिन और शुभ मुहर्त का  हमेशा विशेष ध्यान रखना चाहिए। वहीं, यंत्र की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले इसको शुद्ध करना अति आवश्यक होता है। साथ ही इस यंत्र को खरीदते वक्त ध्यान रखना चाहिए कि यह विधिवत बनाया गया हो और प्राण-प्रतिष्ठा हो।

इसके अलावा यंत्र को स्थापित करते वक्त पूजा की पूरी सामग्री, साफ-सफाई, मंत्रों का जाप, शांति आदि का पूरा ध्यान रखना आवश्यक होता है। साधारण को यंत्र की पूजा पूर्ण विधि के साथ पूरे मन से करना चाहिए। इसके अलावा यंत्र की स्थापना के बाद नियमित रूप से यंत्र की पूजा और पूर्णाहुति को भी पूरा करना चाहिए। इससे सभी कार्य सिद्ध होते हैं और प्रभु के आशीर्वाद से जीवन में सभी बाधाएँ दूर होती हैं।

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Published by Sri Mandir·February 11, 2025

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