होली खेले रघुवीरा, अवध में होली रे! पढ़ें संपूर्ण Lyrics, जानें इसका आध्यात्मिक अर्थ और खो जाएं भक्ति के रंग में!
"होली खेले रघुवीरा अवध में" एक प्रसिद्ध होली भजन है, जिसे भक्तिमय अंदाज में गाया जाता है। यह भजन भगवान श्रीराम के अयोध्या में होली खेलने का आनंदमय दृश्य प्रस्तुत करता है। भजन में वर्णन किया गया है कि कैसे माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमानजी भी इस रंगोत्सव में शामिल होते हैं।
होली खेले रघुवीरा अवध में,
होली खेले रघुवीरा।।
काहे के हाथ कनक पिचकारी,
काहे के हाथ अबीरा,
अवध में होली खेलें रघुवीरा,
होली खेलें रघुवीरा अवध में,
होली खेलें रघुवीरा।।
राम के हाथ कनक पिचकारी,
सिया के हाथ अबीरा,
अवध में होली खेलें रघुवीरा,
होली खेलें रघुवीरा अवध में,
होली खेलें रघुवीरा।।
काहे के हाथ मृदंग झांझर ढफ,
काहे के हाथ मंजीरा,
अवध में होली खेलें रघुवीरा,
होली खेलें रघुवीरा अवध में,
होली खेलें रघुवीरा।।
राम के हाथ मृदंग झांझर ढफ,
सिया के हाथ मंजीरा,
अवध में होली खेलें रघुवीरा,
होली खेलें रघुवीरा अवध में,
होली खेलें रघुवीरा।।
कौन के भीजे पचरंग पगड़ी,
कौन के भीजे चीरा,
अवध में होली खेलें रघुवीरा,
होली खेलें रघुवीरा अवध में,
होली खेलें रघुवीरा।।
राम के भीजे पचरंग पगड़ी,
सिया के भीजे चीरा,
अवध में होली खेलें रघुवीरा,
होली खेलें रघुवीरा अवध में,
होली खेलें रघुवीरा।।
होली खेले रघुवीरा अवध में,
होली खेले रघुवीरा।।
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