
जानें इन्हें पढ़ने और जाप करने के अद्भुत लाभ। दैनिक जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य और मानसिक शांति पाने का सरल उपाय।
स्नान मंत्र का उच्चारण स्नान से पहले या दौरान किया जाता है, जिससे शरीर के साथ-साथ मन और आत्मा भी शुद्ध हो जाते हैं। यह मंत्र जल को पवित्र बनाता है और व्यक्ति को दिव्य ऊर्जा प्रदान करता है। शास्त्रों में कहा गया है कि स्नान मंत्र का जाप करने से सभी नकारात्मकता दूर होती है और दिन की शुरुआत शुभता से होती है। इस लेख में जानिए स्नान मंत्र का महत्व, उसका अर्थ और इसके सही उच्चारण का तरीका।
क्या कभी आपने यह सोचा है कि हमारे घर के बड़े-बुज़ुर्ग, मंदिरों के नियम या धार्मिक ग्रंथ स्नान को पूजा से पहले जरूरी क्यों मानते हैं?
जिस प्रकार हम किसी मंदिर में जाने से पहले अपने जूते बाहर उतारते हैं, वैसे ही पूजा से पहले स्नान करके हम अपने अंदर की अपवित्रताओं को बाहर रखते हैं। यही कारण है कि स्नान को पूजा से पहले एक आवश्यक कर्म माना गया है। जब हम स्नान करते हैं, तब केवल शरीर की गंदगी ही नहीं हटती, बल्कि मन का तनाव, थकावट और नकारात्मकता भी धुल जाती है। इसी कारण से शास्त्रों में कहा गया है कि पूजा से पहले स्नान ज़रूरी है ताकि हम पूरी तरह से शुद्ध अवस्था में ईश्वर के सामने उपस्थित हो सकें।
**"गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति ।** **नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु ॥”**
इस मंत्र का भाव है कि हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु और कावेरी, आप सभी इस जल में उपस्थित होकर इसे पवित्र बनाएं।
यह मंत्र इतना प्रभावशाली है कि इसे बोलते ही, ऐसा माना जाता है कि हम सामान्य जल को पवित्र नदियों के जल जैसा बना देते हैं। इससे स्नान का पुण्य बढ़ता है और गंगा-स्नान के समान फल प्राप्त होता है।
**"अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा ।** **यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ॥”**
इस मंत्र का आशय यह है कि चाहे हम किसी भी स्थिति में हों, यदि हम भगवान का स्मरण कर लें, तो हम अंदर और बाहर से शुद्ध हो जाते हैं। यह मंत्र आत्मिक शुद्धि के लिए बेहद प्रभावशाली माना गया है।
**"ॐ ह्रीं सूर्याय नमः।”**
अगर आप स्नान के समय सूर्य को जल अर्पित करते हैं, तो इस मंत्र का जाप करने से दिनभर ऊर्जावान महसूस होता है, कार्यों में सफलता मिलती है और मानसिक शांति भी बनी रहती है।
स्नान मंत्रों का प्रभाव तभी सच्चे अर्थों में मिलता है, जब उन्हें श्रद्धा और एकाग्रता के साथ बोला जाए। इसके लिए बहुत कठिन नियम नहीं हैं, बस कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है:
स्नान से पहले एक क्षण के लिए आंखें बंद करें।
अपने इष्टदेव व पवित्र नदियों का ध्यान करें।
स्नान करते समय मन ही मन मंत्र का जाप करें या धीरे-धीरे बोलें।
जल को शरीर पर डालते समय अपने मन में किसी के प्रति कोई क्रोध या छल-कपट ना रखें।
मंत्र का जाप करते समय उत्तर दिशा की ओर मुख करना शुभ माना गया है।
तो यह थी स्नान करते समय कुछ विशेष मंत्रों के जाप व महत्व से जुड़ी जानकारी। आप भी प्रतिदिन स्नान करते समय ऊपर बताए गए मंत्रों का जाप करें, और इससे सिर्फ शरीर की ही शुद्धता नहीं, बल्कि कई मानसिक और आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त करें।
Did you like this article?

भोग लगाने का मंत्र: अर्थ, महत्व और सही विधि। जानें कैसे इस मंत्र से भगवान प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आती है।

तुलसी में जल देने का मंत्र: अर्थ, महत्व और सही विधि। जानें कैसे इस मंत्र से घर में सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।

पितरों को खुश करने का मंत्र: अर्थ, महत्व और सही विधि। जानें कैसे इस मंत्र से पितृ प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आती है।