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आदि अमावसाई 2025

आदि अमावसाई 2025: पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष तिथि, जानें पूजा विधि, तर्पण और धार्मिक लाभ।

आदि अमावसाई के बारे में

आदि अमावसाई दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु में आषाढ़ मास की अमावस्या को मनाई जाती है। यह दिन पितरों को समर्पित होता है। लोग पवित्र नदियों में स्नान कर पूर्वजों के लिए तर्पण करते हैं और उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं।

2025 में कब है आदि अमावसाई?

आदि अमावसाई, दक्षिण भारत विशेषकर तमिलनाडु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण दिन है। यह तिथि तमिल पंचांग के अनुसार "आषाढ़" महीने की अमावस्या को आती है। इस दिन का विशेष महत्व पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने, तर्पण करने और पितृ शांति के लिए होता है। यह दिन पितरों को समर्पित माना जाता है और कई घरों में पारंपरिक विधियों से विशेष पूजा की जाती है।

आदि अमावसाई का शुभ मुहूर्त व तिथि

  • आदि अमावसाई बृहस्पतिवार, जुलाई 24, 2025 को
  • अमावसाई तिथि प्रारम्भ - जुलाई 24, 2025 को 02:28 ए एम बजे
  • अमावसाई तिथि समाप्त - जुलाई 25, 2025 को 12:40 ए एम बजे

इस दिन के अन्य शुभ समय

मुहूर्त 

समय

ब्रह्म मुहूर्त

03:57 ए एम से 04:39 ए एम तक

प्रातः सन्ध्या

04:18 ए एम से 05:21 ए एम तक

अभिजित मुहूर्त

11:37 ए एम से 12:31 पी एम तक

विजय मुहूर्त

02:19 पी एम से 03:13 पी एम तक

गोधूलि मुहूर्त

06:48 पी एम से 07:09 पी एम तक

सायाह्न सन्ध्या

06:48 पी एम से 07:51 पी एम तक

अमृत काल

02:26 पी एम से 03:58 पी एम तक

निशिता मुहूर्त

11:43 पी एम से 12:26 ए एम, जुलाई 25 तक

गुरु पुष्य योग

04:43 पी एम से 05:22 ए एम, जुलाई 25 तक

सर्वार्थ सिद्धि योग

पूरे दिन

अमृत सिद्धि योग

04:43 पी एम से 05:22 ए एम, जुलाई 25 तक

क्या है आदि अमावसाई?

"आदि अमावसाई" (या "आदि अमावस्या") दक्षिण भारत, विशेष रूप से तमिलनाडु में मनाया जाने वाला एक प्रमुख धार्मिक पर्व है। यह आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि को पड़ता है और विशेष रूप से पूर्वजों की शांति और पितृ तर्पण के लिए समर्पित होता है।

"आदि" तमिल पंचांग के अनुसार वर्ष का चौथा महीना होता है, और "अमावसाई" का अर्थ है अमावस्या। इस दिन को पितरों के लिए पुण्य कार्य करने का श्रेष्ठ समय माना जाता है।

क्यों मनाते हैं आदि अमावसाई?

पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए:

  • इस दिन पितरों को तर्पण, पिंडदान और श्रद्धा से स्मरण किया जाता है, जिससे उनकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो और उनका आशीर्वाद परिवार को प्राप्त हो।

पुण्य प्राप्ति के लिए:

  • यह दिन जलदान, अन्नदान, वस्त्रदान आदि के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।

कुल परंपरा का सम्मान:

  • दक्षिण भारतीय संस्कृति में पूर्वज पूजा एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इस दिन को मनाना अपने कुल-धर्म और वंशज होने के कर्तव्यों को निभाने जैसा माना जाता है।

आदि अमावसाई का महत्व

  • इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और पितरों के नाम पर तर्पण करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है।
  • यह दिन पितृ तर्पण और पिंडदान के लिए विशेष माना जाता है।
  • मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा से किए गए तर्पण से पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
  • इस दिन कावेरी, तुंगभद्रा, गोदावरी, और अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर पूर्वजों के नाम से अर्पण करना अत्यंत शुभ होता है।
  • इस दिन लोग पूर्वजों के नाम से भोजन तैयार कर ब्राह्मणों या ज़रूरतमंदों को खिलाते हैं।
  • यह दिन पारिवारिक कल्याण, संतान सुख, ऋण मुक्ति और शांति के लिए भी अत्यंत फलदायी माना गया है।

आदि अमावसाई की पूजाविधि और नियम

  • प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। यदि संभव हो तो नदी या तीर्थ स्थान पर स्नान करें।
  • पितरों का स्मरण करते हुए तर्पण करें। तिल, जल, पुष्प और कुश से तर्पण किया जाता है।
  • घर में दीप प्रज्वलित करें और पूर्वजों की तस्वीर या प्रतीक के सामने नैवेद्य अर्पित करें।
  • पितृ शांति मंत्रों का जाप करें या ब्राह्मण को बुलाकर श्राद्ध कर्म कराएं।
  • अंत में वस्त्र, अन्न और दक्षिणा का दान करें।

आदि अमावसाई पूजा के लाभ

पितृ दोष से मुक्ति

  • इस दिन पूर्वजों के नाम पर तर्पण और पिंडदान करने से पितृ दोष शांत होता है।

परिवार में शांति और समृद्धि

  • आदि अमावसाई पर श्रद्धा से पूजा करने से घर में सुख-शांति और आर्थिक स्थिरता बनी रहती है।

कुल और वंश की उन्नति

  • पितरों की कृपा से संतति की रक्षा होती है और कुल में उन्नति आती है।

अदृश्य कष्टों से मुक्ति

  • इस दिन पितरों का आशीर्वाद लेने से अकाल मृत्यु, दुर्भाग्य और मानसिक कष्ट दूर होते हैं।

मोक्ष की प्राप्ति

  • मान्यता है कि इस दिन किए गए तर्पण से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है।

आदि अमावसाई के धार्मिक उपाय

पवित्र नदी में स्नान करें

  • यदि संभव हो तो कावेरी, गोदावरी, कृष्णा जैसी दक्षिण भारत की पवित्र नदियों में स्नान करें। अन्यथा घर में स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

पितृ तर्पण करें

  • तिल, जल, कुश और पिंड से तर्पण करें।
  • “ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः” का जप करें।

काले तिल का दीपक जलाएं

  • दक्षिण दिशा की ओर मुख करके काले तिल का दीपक जलाएं और पूर्वजों को स्मरण करें।

गरीबों को भोजन कराएं

  • ब्राह्मणों या ज़रूरतमंदों को भोजन कराना इस दिन विशेष पुण्यकारी होता है।
  • काले कपड़े, अन्न, तिल और दक्षिणा दान करें।

आदि अमावसाई कहाँ मनाई जाती है?

  • तमिलनाडु में यह पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है।
  • आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक के कुछ क्षेत्रों में भी यह दिन पितृ पूजा के लिए महत्वपूर्ण होता है।
  • श्रीलंका और मलेशिया जैसे देशों में बसे तमिल हिंदू भी इसे श्रद्धापूर्वक मानते हैं।

कौन से लोग मना सकते हैं आदि अमावसाई?

  • हर कोई जो अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा रखता है, इस दिन पितृ तर्पण कर सकता है।
  • कुल परंपरा को मानने वाले तमिल, तेलुगु, मलयाली, और कन्नड़ भाषी श्रद्धालु इस पर्व को विशेष श्रद्धा से मनाते हैं।
  • गृहस्थ व्यक्ति, विशेषकर जिनके माता-पिता या पूर्वज स्वर्गवासी हैं, उन्हें यह पूजा अवश्य करनी चाहिए।

कुछ विशेष बातें

  • तमिलनाडु में इस दिन समुद्र तटों और नदियों पर श्रद्धालु बड़ी संख्या में एकत्र होकर तर्पण करते हैं।
  • यह दिन पितृ पक्ष की तरह ही महत्वपूर्ण माना जाता है, विशेषकर उन लोगों के लिए जिन्होंने किसी कारणवश नियमित श्राद्ध नहीं किया हो।

24 जुलाई 2025 को मनाई जाने वाली आदि अमावसाई न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत फलदायी तिथि है। यह दिन हमें अपनी जड़ों से जुड़ने और पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देता है। श्रद्धा और भक्ति के साथ किया गया तर्पण संपूर्ण कुल को शांति और समृद्धि प्रदान करता है।

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Published by Sri Mandir·July 4, 2025

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