अन्नपूर्णा जयंती | Annapurna Jayanti 2024, Shubh Muhurat, Katha, Puja Vidhi

अन्नपूर्णा जयंती 2024

अन्नपूर्णा जयंती 2024: जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि! देवी अन्नपूर्णा की कथा और इस पर्व का महत्व क्या है? जानें सब कुछ यहाँ।


अन्नपूर्णा जयंती | Annapurna Jayanti 2024

अन्न जीवन का आधार है, और इसे प्रदान करने वाली माता अन्नपूर्णा को हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। माता की उत्पत्ति को चिन्हित करने के लिए हर वर्ष मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि वाले दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। चलिए इस लेख में अन्नपूर्णा जयंती से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्राप्त करते हैं।

अन्नपूर्णा जयंती कब है

  • हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को अन्नपूर्णा जयन्ती मनायी जाती है।
  • इस वर्ष अन्नपूर्णा जयंती 15 दिसंबर, रविवार के दिन मनाई जाएगी।
  • पूर्णिमा तिथि 14 दिसंबर 2024 को शाम 04 बजकर 58 मिनट से प्रारंभ होगी।
  • वहीं, पूर्णिमा तिथि का समापन 15 दिसंबर 2024 को दोपहर 02 बजकर 31 मिनट तक होगा।

अन्नपूर्णा जयंती का शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त - 04:49 AM से 05:42 AM
  • प्रातः सन्ध्या - 05:16 AM से 06:36 AM
  • अभिजित मुहूर्त - 11:32 AM से 12:14 PM
  • विजय मुहूर्त - 01:39 PM से 02:21 PM
  • गोधूलि मुहूर्त - 05:08 PM से 05:35 PM
  • सायाह्न सन्ध्या - 05:11 PM से 06:31 PM
  • अमृत काल - 06:06 PM से 07:36 PM
  • निशिता मुहूर्त - 11:27 PM से 12:20 AM, 16 दिसम्बर

अन्नपूर्णा जयंती का महत्व

मान्यताओं के अनुसार,अन्नपूर्णा जयंती के दिन ही माँ पार्वती, पूरी सृष्टि के भरण-पोषण के लिए देवी अन्नपूर्णा के रूप में प्रकट हुईं थीं। अन्नपूर्णा माँ की कृपा से व्यक्ति के घर में अन्न की कभी भी कोई कमी नहीं आती है।

जो भी व्यक्ति अन्न का सम्मान करता है और माँ अन्नपूर्णा की आराधना करता है, उसपर हमेशा देवी की कृपा बनी रहती है। माँ अन्नपूर्णा के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए भी यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अन्नपूर्णा जयंती पूजन विधि

  • इस दिन प्रातःकाल में उठकर स्नानादि कार्यों से निवृत हो जाएं।
  • मंदिर को स्वच्छ करें, गंगाजल का छिड़काव करें और दीप प्रज्वलित करें।
  • इस भगवान शिव और माँ पार्वती की पूजा करें।
  • भगवान शिव को चंदन से तिलक करें और माता पार्वती को कुमकुम-रोली से।
  • दोनों को अक्षत, पुष्प, भोग, पंचामृत, पुष्प माला अर्पित करें।
  • भगवान शिव को बिल्वपत्र अर्पित करें और माँ पार्वती को श्रृंगार सामग्री करें।
  • फिर धुप-दीप दिखाते हुए भगवान की आरती उतारें।
  • अंत में प्रसाद वितरित करें।

इस दिन क्या करें विशेष

इस दिन अन्न का दान करें, जरूरतमंदो को भोजन करवाएं। अन्न को व्यर्थ करके, उसका अपमान बिल्कुल न करें।

अन्नपूर्णा जयंती व्रत के लाभ

  • मां अन्नपूर्णा की कृपा से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
  • माता अन्नपूर्णा को अन्न की देवी कहा जाता है। उनकी पूजा करने से घर में हमेशा अन्न का भंडार भरा रहता है।
  • अन्नपूर्णा देवी की पूजा करने से कई तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • माता की पूजा करने से मन को शांति मिलती है और तनाव दूर होता है।
  • अन्नपूर्णा देवी की पूजा करने से आध्यात्मिक विकास होता है और भक्तिभाव बढ़ता है।
  • माता की कृपा से व्यक्ति के पाप कर्मों का शुद्धिकरण होता है।

अन्नपूर्णा जयंती पर पढ़ें ये मंत्र

  • ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति अन्नपूर्णे नमः।
  • ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य: सुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।
  • ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति माहेश्वरि अन्नपूर्णे स्वाहा।

अन्नपूर्णा जंयती की कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार पृथ्वी पर अकाल पड़ गया और अन्न की कमी हो गई। सभी लोग भूख से त्रस्त होकर तड़पने लगे और कई लोग मृत्यु को प्राप्त हो गए। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, ब्रह्मा और विष्णु ने शिव जी को योग निद्रा से जगाया और सम्पूर्ण समस्या से अवगत कराया। साथ ही उन्होंने शिव जी से इस समस्या का समाधान करने के लिए कहा।

शिव जी ने इस कठिनाई को दूर करने के लिए, पृथ्वी का निरीक्षण किया, जिसके बाद माता पार्वती, अन्नपूर्णा माँ के रूप में प्रकट हुईं। इसके बाद शिव जी ने भिक्षुक का रूप रखकर अन्नपूर्णा देवी से अन्न की भिक्षा मांगी और उसे भूख से त्रस्त लोगों के बीच बांट दिया।

इस प्रकार पृथ्वी पर अकाल का संकट खत्म हो गया। माना जाता है कि, जिस दिन माता पार्वती अन्न की देवी के रूप में प्रकट हुईं थीं, उस दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा का दिन था, तब से इस दिन को माता अन्नपूर्णा के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

तो यह थी अन्नपूर्णा जयंती से संबंधित संपूर्ण जानकारी, ऐसी ही अन्य धार्मिक जानकारियां प्राप्त करने के लिए श्री मंदिर से जुड़े रहें।

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