वट पूर्णिमा व्रत का मुहूर्त, महत्व एवं पूजा विधि

वट पूर्णिमा व्रत का मुहूर्त, महत्व एवं पूजा विधि

सुहागिनों के लिए वरदान है ये व्रत


वट सावित्री पूर्णिमा व्रत (Vat Savitri Purnima Vrat)


वट सावित्री व्रत सभी सुहागिनों के लिए विशेष महत्व रखता है, यह व्रत स्त्रियों की भगवान के प्रति भक्ति को दर्शाता है। साथ ही यह सुहागिनों के लिए उनके पति और परिवार के प्रति समर्पण का भी प्रतीक है। आज हम इस वीडियो में इस व्रत की महिमा के बारे में बात करेंगे और आपको बताएंगे कि इस दिन आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

यह पर्व सावित्री की अपने पति के प्रति सच्ची निष्ठा और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। इस दिन महिलाएं, सावित्री जी को आदर्श मानकर, उनके पति प्रेम एवं पतिव्रत धर्म की कथा का स्मरण करती हैं। साथ ही सुहागनें इस व्रत में अपने पति की दीर्घायु, बेहतर स्वास्थ्य और घर में सुख समृद्धि की कामना भी करती हैं। यह व्रत स्त्रियों के लिए सौभाग्य वर्धक,पापहारक,दुःख नाशक और धन-धान्य प्रदान करने वाला होता है, इसलिए यह व्रत अत्यंत विशेष एवं महत्वपूर्ण माना जाता है।

वट सावित्री पूर्णिमा व्रत 2024 (Vat Savitri Purnima Vrat 2024 Date)


आपको बता दें कि भारत के कुछ हिस्सों में यह व्रत ज्येष्ठ अमावस्या को किया जाता और कुछ क्षेत्रों में स्त्रियां इस व्रत को ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को करती हैं।

  • इस वर्ष ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को पड़ने वाला वट सावित्री व्रत शुक्रवार 21 जून 2024 को किया जाएगा।

  • पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ: 21 जून 2024 को सुबह 07 बजकर 31 मिनट से शुरू होगा

  • पूर्णिमा तिथि का समापन: 22 जून 2024 को 06 बजकर 37 मिनट को होगा।

वट सावित्री पूर्णिमा व्रत पर इन बातों का रखें ध्यान ((Vat Savitri Purnima :Keep these things in mind)


  • इस व्रत से एक दिन पहले भी केवल सात्विक भोजन ग्रहण करें।

  • पूजा में सावित्री जी पर चढ़ाई गई बिंदी, सिंदूर, बिछिया और महावर जैसी सुहाग सामग्री आप किसी ब्राह्मणी को दान कर सकते हैं।

  • इसके अतिरिक्त इस दिन किसी ब्राह्मणी को वस्त्र, पैसे और प्रसाद दान करना शुभ माना गया है। आप चाहें तो किसी जरूरतमंद को भी दान-दक्षिणा दे सकते हैं।

  • अगर आपके समीप वट वृक्ष उपलब्ध नहीं है तो घर में पूजा स्थल पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर शिव-पार्वती जी और लक्ष्मी-नारायण जी की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें और उनकी पूजा पूरे विधि-विधान से करें।

  • अगर संभव हो पाए तो आप वहां एक तुलसी का पौधा और वट वृक्ष की टहनी भी रख सकते हैं।

  • इस दिन अपने सास-ससुर और पति के प्रति आदर भाव व्यक्त करते हुए, पूजा के बाद उनके चरण अवश्य स्पर्स करें। साथ ही उन्हें प्रेम पूर्वक भोजन खिलाएं।

  • जिस बांस के पंखे से आपके वट वृक्ष को हवा की थी, उसी पंखे से अपने पति को भी सेवाभाव से हवा करें।

  • ध्यान रहें व्रत के दिन बाल न धोएं, एक दिन पहले आप अपने बालों को धो लें।

  • वृद्धों का अनादर न करें, ऐसा करने से आपको पूजा का फल प्राप्त नहीं होगा।

  • तामसिक भोजन न ग्रहण करें।


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