महालक्ष्मी व्रत की कथा

महालक्ष्मी व्रत की कथा

22 सितम्बर, 2023 सुनें व्रत कथा और पाएं धन धान्य में वृद्धि


एक समय की बात है कि एक गांव में एक साहूकार अपनी पत्नी संग रहता था। दोनों के तीन बच्चे थे और परिवार में बड़ा प्रेम था। साहूकार बड़ा समझदार व्यक्ति था और वह प्रतिदिन सुबह उठते ही स्नान आदि करके सूर्य देव को जल चढ़ाता था और माता लक्ष्मी की पूर्ण श्रद्धा से आराधना करता था।

जबकि साहूकारनी उसके विपरीत एक आलसी महिला थी। ना तो कभी समय पर जागती थी, न झाड़ू पोछा करती और न ही खुद स्नान करती, न ही अपने बच्चे का ख्याल रखती और स्नान कराती। साहूकार ने उससे कितनी बार यह नहीं करने को कहा क्यूंकि ब्रह्म मुहूर्त में उठने और स्नान करने से, साफ़ सफाई करने से और बच्चों को नहलाने से घर का वातावरण साफ़ रहता है। देखो हमारा घर कितना गन्दा रहता है कहते हैं जिस घर में साफ़ सफाई नहीं होती उस घर में कभी बरकत नहीं आती है, धन और वैभव नहीं आता है, अशांति छाई रहती है और माँ लक्ष्मी की कृपा कभी नहीं होती क्यूंकि वह दरिद्रता में वास नहीं करती हैं।

इतना समझने के बाद भी साहूकार की पत्नी को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा। कुछ समय बाद एक दिन शाम के वक्त घर का सामान खरीदने साहूकारनी बाजार जा रही थी। तब उसे रस्ते में एक सुन्दर महिला मिली जो कि स्वयं माँ लक्ष्मी का स्वरूप थीं। वह महिला साहूकारनी के पास गई और बोली बहन - क्या तुम्हारी लालटेन की रौशनी से मुझे भी रास्ता दिखाओगी क्या? यहाँ बहुत अँधेरा है और तुम जिस दिशा में आगे जा रही हो उसमें मुझे भी जाना है। साहूकारनी ने कहा कि ठीक है पर ये बताओ बहन तुम कौन हो? तुम्हे पहले कभी इस गांव में नहीं देखा। तब माँ लक्ष्मी ने कहा कि मैं शहर से अपनी बहिन से मिलने आई हूँ। पूरे रास्ते दोनों बात करते करते चल रहे थे, तब साहूकारनी बोली तुम कल सुबह मेरे घर आना हम खूब बातें करेंगे।

अगले दिन माँ लक्ष्मी साहूकारनी के घर पहुंची और घर की हालत देखकर बोलीं कि बहिन क्या तुम अपने घर की साफ़ सफाई नहीं करती? घर कितना गन्दा है। चौका भी गन्दा पड़ा है, तुम्हारे बच्चों ने भी गंदे वस्त्र पहने हैं। तब साहूकारनी ने कहा कि बहिन मुझे साफ़ सफाई बिलकुल पसंद नहीं है। तब माता लक्ष्मी ने कहा तुम एक बार मेरे कहने से घर को साफ़ करके तो देखो तुम्हें इसके बाद सब अच्छा लगने लगेगा। इसके बाद माता लक्ष्मी ने साहूकारनी को साफ़ सफाई करने का तरीका बताया। जैसे जैसे वह बताती गईं साहूकारनी घर साफ़ करती गई। देखते ही देखते घर पूरा साफ़ हो गया। इसके बाद साहूकारनी ने चूल्हा लीपा और बच्चों को नहलाकर साफ़ कपडे़ पहनाए और स्वयं भी स्नान करके स्वच्छ कपडे़ पहनकर तैयार हो गई। इस तरह माता लक्ष्मी रोज कुछ समय के लिए साहूकार के घर आती रही और साहूकारनी के साथ घर साफ़ करवाया। कुछ समय बाद जब साहूकार वापस आया तब अपना घर साफ़ देख वह बहुत खुश हुआ।

घर में साफ सफाई रहने से उनके परिवार में बरकत होने लगी और घर में अन्न और धन के भंडार भर गए। जब उनके पड़ोसियों ने उनकी तरक्की देखी, तब साहूकार और उसकी पत्नी से पुछा कि तुम्हारे घर में ऐसा क्या हुआ की तुम्हारे दिन बदल गए। तब साहूकारनी ने अपनी सहेलियों को अपनी सहेली के बारे में बताया और यह कहा कि उनकी सहेली ने उन्हें यह कार्य करने में उनकी सहायता कि जिसके बाद से अब साहूकारनी को साफ़ रहना और साफ़ सफाई रखना अच्छा लगने लगा। तब सभी पड़ोसी बोले कि ऐसी कोन सी सहेली होती है जो रोज आती है और सफाई करवाती है, किसी दिन उसे रोकना और हमारी मित्रता भी उससे करवाना।

जब अगले दिन माता लक्ष्मी आई। तब साहूकारनी ने उन्हें जाने नहीं दिया और कहा की बहिन, कल मेरे पड़ोसियों ने कहा कि ऐसी कौनसी सहेली है तुम्हारी जो इतनी अच्छी है कि तुम्हारी इतनी सहायता करती है। साहूकारनी ने कहा कि आज मैं तुम्हे जाने नहीं दूंगी, तब माता लक्ष्मी ने कहा कि मैं तो राजा महाराजा के घर पर नहीं बैठती और तू मुझे यहां रूकने को कह रही है पर साहूकारनी नहीं मानी और हाथ पकड़कर माता लक्ष्मी को चौकी पर बैठा दिया। इसके बाद माता लक्ष्मी ने साहूकारनी को अपना साक्षात् रूप दिखाया। माता का ये रूप देख साहूकारनी हैरान हो गई और माँ को प्रणाम करके रोने लगी। उस दिन से माता लक्ष्मी साहूकार के घर विराजमान हो गई जिसके बाद साहूकार और उसकी पत्नी का जीवन सफल हो गया।

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