मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधि

मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधि

23 सितम्बर, 2023 जानें पूजा विधि. महत्व और शुभ मुहूर्त


हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की दुर्गाष्टमी 23 सितंबर 2023 को है। इस दिन दुर्गा माता को प्रसन्न करने के लिए पूरे भक्ति भाव से उनकी पूजा अर्चना की जाती है। इसके साथ ही भक्त मां दुर्गा के प्रति अपनी आस्था को प्रकट करने के लिए व्रत रखते हैं।

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत को हिंदू धर्म में शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। अष्टमी तिथि के दिन ही माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध करके पूरे ब्रह्माण्ड को उसके भय के प्रकोप से मुक्त किया था। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन माँ दुर्गा ने अपने भयानक और रौद्र रूप को धारण किया था, इसलिए इस दिन को देवी भद्रकाली के रूप में भी जाना जाता है।

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत 2023 का शुभ मुहूर्त

भाद्रपद मास की मासिक दुर्गाष्टमी की तिथि का आरंभ 22 सितम्बर को दोपहर 1 बजकर 35 मिनट पर होगा और तिथि का समापन 23 सितम्बर को दोपहर में 12 बजकर 17 मिनट पर होगा।

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत का महत्व

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत के दिन पूरी निष्ठा के साथ पूजा-पाठ करने और व्रत रखने वाले लोगों पर माता का आर्शीवाद बना रहता है। सच्चे भक्तजनों के सभी कष्ट-विकार दूर होते हैं और उनके घर में सुख-शांति बनी रहती है। मां की उपासना करने वालों की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। आइए, अब जानते हैं मासिक दुर्गाष्टमी के दिन किन विशेष बातों का खास ख्याल रखना चाहिए और किन चीजों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए।

मासिक दुर्गाष्टमी के दिन रखें इन बातों का ध्यान

कहा जाता है कि दुर्गाष्टमी के दिन घर में सुख और समृद्धि के लिए मां की ज्योति आग्नेय कोण में जलाना शुभ होता है। इसलिए इस दिन मां की ज्योति को आग्रेय कोण में ही जलाएं। इसके साथ ही इस दिन पूजा करने वाले भक्तों का मुख पूजा के समय पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ ही होना चाहिए। साथ ही ध्यान रहें कि पूजा के समय पूजा का सामान दक्षिण-पूर्व दिशा में ही रखें। इसके अलावा मासिक दुर्गाष्टमी के दिन पूजा में तुलसी, आंवला, दूर्वा, मदार और आक के पुष्प का इस्तेमाल ना करें।इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए। कहा जाता है कि घर में कभी एक से अधिक मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो नहीं रखनी चाहिए।

इस दिन पूरी निष्ठा के साथ पूजा-पाठ करने और व्रत रखने वाले लोगों पर माता का आर्शीवाद बना रहता है। सच्चे भक्तजनों के सभी कष्ट-विकार दूर होते हैं और उनके घर में सुख-शांति बनी रहती है। मां की उपासना करने वालों की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है।

मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा विधि

इस दिन प्रातः उठकर दैनिक क्रिया से निवृत्त होने के बाद स्नान कर लाल रंग के साफ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद तांबे के पात्र में लाल रंग का तिलक लगाएं और सूर्यदेव को अर्घ्य दें। फिर घर की साफ-सफाई करके पूजा स्थान और घर में गंगाजल का छिड़काव करें। अब एक लकड़ी का साफ पाटा या चौकी लेकर उसपर लाल वस्त्र बिछाएं। चौकी को गंगाजल से शुद्ध करें और माँ दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें। अब मां की मूर्ति पर लाल रंग का पुष्प चढ़ाकर धूप और दीप जलाएं।

इसके साथ ही मां को 16 श्रृंगार का सामान भी चढ़ाएं। फिर फल और मिठाई अर्पित करने के बाद मॉं दुर्गा की आरती उतारें। अब मॉं दुर्गा की ज्योति जलाकर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इसके अलावा इस दिन दुर्गा चालीसा का पाठ करना भी बेहद शुभ माना जाता है। इसलिए दुर्गाष्टमी के दिन दुर्गा चालीसा का पाठ करें। ध्यान रहें मां को चढ़ाए गए 16 श्रृंगार का सामान किसी सुहागन या नवदुर्गा के मंदिर में किसी को दान कर दें। मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों के घर में सुख शांति की प्राप्ति होती है।

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