पौष मास 2024
हिन्दू पंचाग के अनुसार हर मास की अपनी विशेषता होती है, हर महीना किसी न किसी देवी- देवता की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है। इसी तरह पौष मास में सूर्य की उपासना करने का विधान है, क्योंकि इस महीने में ठंड अधिक बढ़ जाती है।
इस लेख में आप जानेंगे-
- पौष मास प्रारंभ: कब?
- पौष मास का महत्व
- इस मास में क्यों वर्जित होते हैं मांगलिक कार्य
- पौष में क्या करें?
- क्या न करें?
- पौष मास में पड़ने वाले व्रत-पर्व
पौष मास कब प्रारंभ हो रहा है?
- साल 2024 में पौष मास का प्रारंभ 16 दिसंबर 2024, सोमवार को कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा पर होगा और इसका समापन 13 जनवरी 2025, सोमवार को होगा।
पौष मास का महत्व
विक्रम संवत में पौष साल का दसवां महीना होता है। भारतीय महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित हैं। जिस महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के आधार पर रखा जाता है। इसी प्रकार पौष मास की पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है, इस कारण ये मास पौष मास के नाम से जाना जाता है।
यूं तो संपूर्ण पौष मास ही धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखने वाला माना जाता है, लेकिन इस महीने कुछ प्रमुख व्रत व त्यौहार भी पड़ते हैं। इस महीने दो एकादाशियां होती हैं। पहली कृष्ण पक्ष की सफला एकादशी और दूसरी शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी। इसके अलावा पौष अमावस्या व पौष पूर्णिमा का भी बहुत अधिक महत्व माना जाता है। इस दिन को पितृदोष, कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिये भी इस दिन उपवास रखने के साथ-साथ विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
पौष मास में क्यों वर्जित होते हैं मांगलिक कार्य
पौष में खरमास भी पड़ता है। पौराणिक मान्यता है कि खरमास की अवधि में किसी भी तरह के मांगलिक या शुभ कार्य संपन्न नहीं किए जाने चाहिए। हालांकि पूजा-पाठ व अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए पौष का महीना विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। इस मास में भगवान सूर्यनारायण की पूजा समस्त मनोरथ पूर्ण करने वाली होती है।
पौष मास में क्या करें
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उत्तम स्वास्थ्य और मान-सम्मान की प्राप्ति के लिए पौष मास में भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य देने व उपवास रखने का विधान है।
- पौष मास में भोजन में सेंधा नमक का प्रयोग करें। गेहूं, चावल और जौ का सेवन करना भी अच्छा माना जाता है।
- इसके अलावा इस महीने अजवाइन, लौंग और अदरक का सेवन भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।
- इन महीने में सूर्यदेव के विशेष मंत्र 'ॐ घृणि सूर्याय नम:' का रुद्राक्ष की माला से 108 बार नियमित जाप करने से भाग्य वृद्धि होती है, और सूर्यदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पौष मास में प्रतिदिन सुबह एक तांबे के लोटे में जल भरकर और इस लोटे को हाथ में रखकर 27 बार ऊंचे स्वर में 'ॐ' मंत्र का जाप करके तत्पश्चात इस जल को सारे घर में छिड़क देने से जीवन में यश, सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य और सौभाग्य का वरदान मिलता है। ध्यान रहें कि यह उपाय लगातार 27 दिन तक करें।
- पौष महीने में सूर्योदय होने से पहले जागकर स्नान करके हल्के लाल रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है, साथ ही गरम कपड़े और अनाज दान करने से भाग्य में सुख समृद्धि आती है।
पौष मास में क्या न करें
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पौष के महीने में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते है।
- इस मास में भूमि पूजन, हवन, गृह प्रवेश, व्यापार मुहूर्त, देव पूजन, मुंडन और जनेऊ संस्कार जैसे कार्यों पर भी रोक लग जाती है।
- इस महीने शक्कर का सेवन करने के बजाय गुड़ व तिल का सेवन करें। इससे स्वास्थ्य लाभ होता है।
- सात्विक व सुपाच्य भोजन करें।
पौष मास में पड़ने वाले व्रत-पर्व
- पौष प्रारम्भ - 31 दिसंबर 2024, मंगलवार
- पौष पुत्रदा एकादशी - 10 जनवरी 2025, शुक्रवार
- पौष पूर्णिमा - 13 जनवरी 2025, सोमवार
- मकर संक्रांति - 14 जनवरी 2025, मंगलवार
- पोंगल - 14 जनवरी 2025, मंगलवार
- षटतिला एकादशी - 25 जनवरी 2025, शनिवार
- मौनी अमावस - 29 जनवरी 2025, बुधवार
तो दोस्तों, ये थी पौष प्रारंभ से संबंधित संपूर्ण जानकारी। हमारी कामना है कि इस मास में आने वाले सभी पर्व त्योहार आपके लिए खुशियां लेकर आएं, और आपकी पूजा-अर्चना सफल हो। व्रत, त्यौहारों व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के इस धार्मिक मंच पर।