कर्क संक्रांति का मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

कर्क संक्रांति का मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

सूर्य देव की पाएं असीम कृपा


कर्क संक्रांति 2024 (Karka Sankranti 2024)



सूर्य हर मास एक राशि से दूसरी राशि में गोचर होते हैं। इस प्रकार सूर्य की राशि के परिवर्तन तिथि को संक्रांति कहा जाता है। एक साल में कुल बारह संक्रांति होती हैं और कर्क संक्रांति भी इन्हीं में से एक है। कर्क संक्रांति को सूर्य उत्तरायण काल से दक्षिणायण काल में आते हैं, और मकर संक्रांति तक इसी काल में रहते है। दक्षिणायन के समय रातें लंबी होने लगती हैं और दिन छोटे होने शुरू हो जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कर्क संक्रांति के दिन भगवान सूर्य के साथ ही सभी देवता गण शयन अवस्था में चले जाते हैं। सभी देवताओं व भगवान विष्णु के निंद्रा में लीन होने के कारण भगवान शंकर सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं आइए जानते हिं साल 2024 में कर्क संक्रांति कब है, इसका क्या महत्व है और इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नही।

कर्क संक्रांति 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त (Karka Sankranti 2024: Date and Time) साल 2024 में कर्क संक्रांति 16 जुलाई, मंगलवार को पड़ रही है। इस दिन पुण्य काल का समय सुबह 05 बजकर 18 मिनट से सुबह 11 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। और महा पुण्य काल का समय सुबह 09 बजकर 14 मिनट से सुबह 11 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।

कर्क संक्रांति का महत्व (Importance Of Karka Sankranti)


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है। जब सूर्य देव मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश करते हैं तो यह घटना कर्क संक्रांति कहलाती है। कर्क संक्रांति से ही सूर्य देव दक्षिणायन होते हैं। आपको बता दें सूर्य 6 महीने उत्तरायण और 6 महीने दक्षिणायन में रहते हैं। कहा जाता है कि दक्षिणायन के समय में रातें लंबी होने लगती हैं और दिन छोटे लगने लगते हैं।

वहीं मान्यताओं के अनुसार, कर्क संक्रांति पर सूर्य देव और अन्य देवता गण निद्रा अवस्था में चले जाते हैं। इसलिए कर्क संक्रांति पर किसी भी शुभ कार्य का प्रारंभ नहीं किया जाता है। लोग दक्षिणायन के समय अपने पितरों की शांति के लिए पूजन एवं पिंडदान करवाते हैं। इसलिए इस संक्रांति का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। यह संक्रांति धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। क्योंकि इस दिन सूर्य देव की पूजा पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।

कर्क संक्रांति पर क्या करें? (ThingsTo Do On Karka Sankranti)


  • कर्क संक्रान्ति के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। इस दिन यदि आप गंगाजी या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं, तो आपको असंख्य शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
  • यदि आप इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने में असमर्थ हैं, तो अपने नहाने के पानी में गंगा जल और लाल चन्दन मिलाकर स्नान करे। इससे आपको गंगा स्नान के समान फल प्राप्त होगा।
  • स्नानादि से निवृत्त होने के पश्चात् सूर्य देवता को अर्घ्य देकर उनका पूजन करें। चूँकि यह तिथि श्रावण मास में होगी इसलिए सूर्यदेव के साथ भगवान शिव की आराधना अवश्य करें।
  • सूर्य पूजन के उपरांत जूते-चप्पल, वस्त्र एवं अन्न दान करें। इस दिन स्नान और दान करने से ग्रह दोष एवं असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है।
  • कर्क संक्रांति के दिनों में सूर्य भगवान की उपासना अत्यंत फलदाई मानी जाती है, इसलिए जिन लोगों की कुंडली में सूर्य शुभ नहीं हैं, उन्हें इस सक्रांति काल के दौरान सूर्य पूजा अवश्य करनी चाहिए।

कर्क संक्रांति पर क्या न करें? (ThingsNot To Do On Karka Sankranti)


  • कर्क संक्रांति पर शुभ-अशुभ मुहूर्त और पंचांग देखे बिना किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत न करें।
  • हिन्दू धर्म में अपने पिता का सम्मान करना श्रेष्ठकर माना जाता है, खासकर कर्क संक्रांति के दिन इस बात का ध्यान जरूर रखें। पिता का अपमान करने वालों का सूर्य ग्रह कमजोर होता है।
  • इस दिन भूल से भी किसी जरूरतमंद को ठेस न पहुंचाएं और अपनी क्षमता के अनुसार दान करना न भूलें।
  • कर्क संक्रांति के दिन सूर्योदय के बाद देर तक सोना अशुभ फलों की प्राप्ति और बाधा का कारक बनता है। इस शुभ दिन पर देर तक न सोने से बचें।

कर्क संक्रान्ति व्रत की पूजा विधि (Puja Vidhi Of Karka Sankranti)


कर्क संक्रांति पर सूर्य देव और भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन की जाने वाली पूजा अत्यंत लाभकारी सिद्ध होती है। चलिए जानते हैं इस दिन किस प्रकार पूजा-पाठ करके आप भगवान को प्रसन्न कर सकते हैं।

पूजा विधि

  • कर्क संक्रांति के दिन प्रातःकाल उठकर, स्नान तथा नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं।
  • इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। अगर ऐसा संभव न हो तो आप घर के ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाकर स्नान कर लें।
  • फिर इसके पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • इसके अलावा इस दिन सूर्यदेव की पूजा अर्चना करने का भी विशेष महत्व है, इसलिए तांबे के कलश में जल भरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें और सूर्य मंत्र का जाप करें। फिर सूर्य देव को प्रणाम करने के बाद उनका आशीष मांगे।
  • इसके बाद घर के मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करें।
  • फिर दीप प्रज्वलित करें।
  • अब सूर्य भगवान की प्रतिमा पर कुमकुम, धूप, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
  • अंत में उनकी आरती उतारें।
  • इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करना भी शुभ माना गया है। इसलिए उन्हें तुलसी दल चढ़ाएं।

इस प्रकार पूजा-अर्चना करने से आप पर भगवान विष्णु और सूर्य देव की कृपा हमेशा बनी रहेगी।


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