दूसरा मंगला गौरी व्रत 2025
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दूसरा मंगला गौरी व्रत 2025

दूसरा मंगला गौरी व्रत 2025: सुहागन स्त्रियों के लिए विशेष व्रत, जानें पूजन विधि, कथा और व्रत का महत्व।

दूसरा मंगला गौरी व्रत के बारे में

दूसरा मंगला गौरी व्रत सावन माह के दूसरे मंगलवार को किया जाता है। यह व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा पति की लंबी आयु और सुखी दांपत्य जीवन के लिए रखा जाता है। मां गौरी की विशेष पूजा और कथा का महत्व होता है।

मंगला गौरी व्रत

सावन महीने के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। यह पावन दिन मां गौरी को समर्पित होता है। अत: सावन महीने के हर मंगलवार पर विवाहित महिलाएं व्रत रख मां गौरी की पूजा-उपासना करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत करने से विवाहित महिलाओं के सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। वर्ष 2025 में श्रावण मास की शुरुआत 11 जुलाई, शुक्रवार को हो रही है और इसका समापन 9 अगस्त, शनिवार को होगा। इस दौरान भक्तों को कुल 4 सावन सोमवार का सौभाग्य प्राप्त होगा। पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ रहा है, जो शिवभक्तों के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।

मंगला गौरी व्रत कब है?

सावन का द्वितीय मंगला गौरी व्रत 22 जुलाई को कृष्ण पक्ष की द्वादशी व त्रयोदशी तिथि पर रखा जायेगा

  • द्वादशी तिथि आरम्भ: 09:38 ए एम, 21 जुलाई से
  • द्वादशी तिथि अन्त: 07:05 ए एम, 22 जुलाई तक
  • त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - जुलाई 22, 2025 को 07:05 ए एम बजे
  • त्रयोदशी तिथि समाप्त - जुलाई 23, 2025 को 04:39 ए एम बजे

मंगला गौरी व्रत के शुभ मुहूर्त

मुहूर्त 

समय

ब्रह्म मुहूर्त

03:56 ए एम से 04:38 ए एम तक

प्रातः सन्ध्या

04:17 ए एम से 05:20 ए एम तक

अभिजित मुहूर्त

11:37 ए एम से 12:31 पी एम तक

विजय मुहूर्त

02:19 पी एम से 03:13 पी एम तक

गोधूलि मुहूर्त

06:47 पी एम से 07:08 पी एम तक

सायाह्न सन्ध्या

06:48 पी एम से 07:52 पी एम तक

अमृत काल

11:14 ए एम से 12:43 पी एम तक

निशिता मुहूर्त

11:43 पी एम से 12:26 ए एम, जुलाई 23 तक

द्विपुष्कर योग 

05:20 ए एम से 07:05 ए एम तक

मंगला गौरी व्रत का दुर्लभ संयोग

श्रावण माह में इस साल कुल 4 मंगलवार पड़ रहे हैं, जिससे 4 मंगला गौरी व्रत रखे जायेंगे। माता पार्वती को समर्पित ये व्रत विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र व सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं। वहीं कुंवारी कन्याएं इस व्रत के प्रभाव से उत्तम वर पाती हैं। इसके साथ ही मान्यता ये भी है कि मंगला गौरी व्रत रखने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।

मंगला गौरी व्रत क्या है?

भगवान महादेव व मां पार्वती की उपासना के लिए यूं तो हर दिन मंगलकारी है, लेकिन श्रावण मास का विशेष महत्व है। श्रावण का सोमवार जहां शिव जी को समर्पित है, वहीं इस मास में पड़ने वाले मंगलवार को माता पार्वती को समर्पित मंगला गौरी का चमत्कारी व्रत किया जाता है। मान्यता है कि पार्वती जी ने भगवान शिव को पाने के लिए कई व्रत अनुष्ठान किए थे। मंगला गौरी व्रत उन्हीं में से एक है।

मंगला गौरी व्रत का महत्व

श्रावण मास में आने वाला मंगला गौरी व्रत भगवान शिव की अर्धांगिनी माता पार्वती को समर्पित है। इस वर्ष अधिकमास होने के कारण जातकों को माता की उपासना के लिए अधिक व्रत मिलेंगे। मान्यता है कि जो सुहागिन स्त्रियां नियमपूर्वक इस व्रत का पालन करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जिन विवाहित लोगों का वैवाहिक जीवन सुखमय न हो, उनके लिए भी मंगला गौरी व्रत बहुत ही चमत्कारी माना जाता है। वहीं, यदि कोई कुंवारी कन्या सुयोग्य वर पाने की इच्छा से ये व्रत रखती है, तो माता पार्वती उसकी भी मनोकामना शीघ्र पूर्ण करती हैं। इसके अलावा जो निःसंतान जोड़े संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, उन्हें इस व्रत के प्रभाव से उत्तम संतान प्राप्त होती है।

मंगला गौरी व्रत की पूजन सामग्री

  • माता गौरी की मूर्ति या चित्र
  • चौकी व लाल/पीला वस्त्र
  • कलश (पीतल/तांबा)
  • नारियल (सुपारी सहित या सूखा नारियल)
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
  • गंगाजल या शुद्ध जल
  • रोली, हल्दी, कुमकुम, चंदन, मेहंदी
  • अक्षत (साबुत चावल)
  • फल – विशेष रूप से 5 प्रकार के फल
  • मिठाई – जैसे लड्डू, पेडा, खीर आदि
  • पान, सुपारी, लौंग, इलायची, काजल, सिंदूर
  • धूप, दीपक, रूई, घी/तेल, अगरबत्ती
  • फूल व माला – विशेषकर गुलाब और कमल के फूल
  • हर-श्रृंगार सामग्री (कंघी, शीशा, बिंदी, चूड़ियां, काजल, बिछुए, बिंदी, कंगन, बिचुआ, सिंदूर आदि)
  • मिट्टी या पीतल की दीपमालिका (पांच मुख वाला दीपक)
  • चौमुखा दीपक (चार बत्ती वाला दीपक)
  • एक थाली व कलावा (मौली)
  • धान व गेहूं के दाने (अनाज)
  • दक्षिणा (सिक्के या नोट)
  • कथा पुस्तक या पंडित द्वारा पढ़ी जाने वाली कथा की व्यवस्था
  • व्रती महिला के वस्त्र – साड़ी या सलवार सूट (पवित्र वस्त्र)
  • कुंकुम के साथ गौरी माता की आठ अंगुलियों की पूजा हेतु चावल के आटे से बनाई गई छोटी-छोटी मूर्तियाँ या प्रतीक

मंगला गौरी व्रत पूजा से पूर्व की तैयारी

  • व्रतधारी महिला सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • पूजन स्थान को साफ कर के पीला या लाल वस्त्र बिछाएं।
  • चौकी पर मां गौरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • पूजा के लिए सभी सामग्री एकत्र कर लें (पहले दी गई सामग्री की सूची अनुसार)

द्वितीया मंगला गौरी व्रत की पूजाविधि

1. संकल्प लें

  • हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प करें –
  • “ॐ मम सुख-समृद्धि-सौभाग्य-संतान व चिरंजीवी पति के लिए मंगला गौरी व्रत करिष्ये।”

2. कलश स्थापना करें

  • तांबे या पीतल के कलश में जल भरें, आम के पत्ते लगाएं और ऊपर नारियल रखें।
  • कलश को गौरी माता के समीप स्थापित करें।

3. दीप प्रज्वलन

  • एक चौमुखा दीपक (चार बत्तियों वाला) जलाएं। यह सौभाग्य का प्रतीक होता है।

4. मां गौरी का पूजन करें

  • पहले गंगाजल से मूर्ति या चित्र को स्नान कराएं।
  • फिर पंचामृत स्नान कराएं — दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से।
  • इसके बाद साफ जल से पुनः स्नान कराएं और साफ कपड़ा पहनाएं या चंदन अर्पित करें।

5. श्रृंगार अर्पित करें

  • मां को काजल, चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी, मेहंदी, चुनरी आदि सौभाग्य सामग्री अर्पित करें।
  • फूलों से सजाएं और माला पहनाएं।

6. धूप, दीप व नैवेद्य अर्पण करें

  • धूप-दीप जलाकर आरती करें।
  • खीर, फल या लड्डू का नैवेद्य अर्पित करें।

7. मंगला गौरी व्रत कथा पढ़ें या सुनें

  • व्रत कथा सुनना अत्यंत आवश्यक होता है। यदि संभव हो तो किसी ब्राह्मण से कथा सुनें या स्वयं पढ़ें।

8. आरती करें

  • “जय मां गौरी शंकर प्यारी...” या “ॐ जय मंगला गौरी माता...” जैसी पारंपरिक आरती गाएं।

9. प्रसाद वितरण

  • पूजा के बाद प्रसाद सभी घरवालों को वितरित करें।

अन्य नियम व परंपराएं

  • इस दिन भूमि पर सोने, ब्रह्मचर्य पालन करने व एक समय फलाहार या सात्विक भोजन करने का नियम है।
  • नवविवाहित स्त्रियों को सास-ससुर से आशीर्वाद लेना चाहिए।
  • इस दिन कोई कटु वचन, क्रोध या नकारात्मक व्यवहार न करें।

मंगला गौरी व्रत से माता पार्वती को कैसे प्रसन्न करें?

  • श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत करना माता पार्वती को प्रसन्न करने का श्रेष्ठ उपाय है।
  • मां को सोलह श्रृंगार अर्पित करें, जैसे—काजल, चूड़ियाँ, बिंदी, मेहंदी, सिंदूर, इत्र आदि।
  • कोमल वाणी और विनम्र व्यवहार रखें।
  • “ॐ गौरीपतये नमः” या “ॐ उमायै नमः” मंत्र का जाप करें।
  • गौरी स्तुति, व्रतकथा और आरती अवश्य करें।
  • किसी सुहागन महिला को सिंदूर, चूड़ी या साड़ी भेंट करें, माता इससे प्रसन्न होती हैं।

कौन लोग रख सकते हैं मंगला गौरी का व्रत?

  • नवविवाहित महिलाएं विशेष रूप से यह व्रत रखती हैं।
  • जो कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना करती हैं, वे भी यह व्रत कर सकती हैं।
  • विवाहित महिलाएं, जिनका वैवाहिक जीवन कठिनाइयों से गुजर रहा हो, वे भी यह व्रत रख सकती हैं।
  • यह व्रत माता-पिता की अनुमति व मार्गदर्शन से कन्याएं भी कर सकती हैं।

द्वितीया मंगला गौरी व्रत के धार्मिक उपाय

  • माँ गौरी को पान में इलायची व कपूर रखकर अर्पित करें – इससे वैवाहिक प्रेम बढ़ता है।
  • लाल पुष्पों से पूजा करें – धन-समृद्धि आती है।
  • श्रृंगार का सामान किसी सुहागन को दान करें – सौभाग्यवती बनी रहती हैं।
  • गाय को गुड़-रोटी खिलाएं – संतान व गृहस्थ सुख की प्राप्ति होती है।
  • “शिव-पार्वती विवाह मंत्र” का जप करें – वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है।

द्वितीया मंगला गौरी व्रत रखने के लाभ

  • वैवाहिक जीवन में सौहार्द्र, प्रेम और स्थायित्व आता है।
  • महिलाओं को सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है।
  • संतान की प्राप्ति व संतान सुख से संबंधित परेशानियां दूर होती हैं।
  • धन-धान्य, यश-कीर्ति में वृद्धि होती है।
  • मानसिक शांति व आत्मिक संतुलन मिलता है।

मंगला गौरी व्रत के दिन क्या करें?

  • मंगला गौरी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके शुद्ध हो जाएं, इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
  • अपने घर व मंदिर को अच्छी तरह स्वच्छ कर लें और मां पार्वती व भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद माता पार्वती को लाल रंग का वस्त्र चढ़ाए।
  • इस दिन पूजा में प्रयोग होने वाली सभी सामग्री 16 की संख्या में लें। मंगला गौरी व्रत में पान, सुपारी, लौंग, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री और चूड़ियों का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा पांच प्रकार के मेवे और सात प्रकार का अन्न भी रख लें।
  • व्रत रखने वाले जातक इस दिन मंगला गौरी व्रत की कथा अवश्य सुनें। विधि-विधान से पूजा करने के बाद प्रसाद वितरित करें। साथ ही इस दिन लोगों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार धन व अन्न दान करें।
  • एक बार जब मंगला गौरी व्रत रखना प्रारंभ करें, तो लगातार पांच सालों तक हर श्रावण में इस व्रत का पालन करें, और पांचवें वर्ष में श्रावण मास के अंतिम मंगलवार को इस व्रत का उद्यापन करें। बिना उद्यापन के आपका व्रत पूर्ण नहीं होगा।

द्वितीया मंगला गौरी व्रत के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

  • मंगला गौरी व्रत मंगलवार के दिन किया जाता है, और ऐसी मान्यता है कि मंगलवार को दाढ़ी बनवाना या बाल कटाना अशुभ होता है। कहते हैं कि ऐसा करने से असमय मृत्यु हो सकती है, साथ ही इससे मंगल दोष भी लगता है।
  • मंगला गौरी व्रत के दिन श्रृंगार की सामग्री न खरीदें, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन श्रृंगार का सामान खरीदने से वैवाहिक संबंधों कमज़ोर होते हैं।
  • मंगलवार के दिन नाखून काटना अशुभ होता है। इसलिए जातक मंगला गौरी व्रत के दिन नाखून काटने से बचें।
  • इस दिन काले रंग के वस्त्र न पहनें। माना जाता है कि मंगला गौरी व्रत के दिन लाल रंग के वस्त्र पहनने से मंगल दोष का प्रभाव कम होता है।
  • माता गौरी की पूजा आराधना के समय अपने मन में किसी प्रकार का छल कपट न रखें, और न ही किसी के प्रति क्रोध करें।

द्वितीया मंगला गौरी व्रत के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

  • पूजा में लाल वस्त्र और लाल पुष्पों का अधिक प्रयोग करें।
  • व्रत कथा सुनना अनिवार्य माना जाता है।
  • व्रत का संकल्प मानसिक रूप से पूरी श्रद्धा से लें।
  • कोई भी कार्य जल्दबाजी या दिखावे में न करें।
  • अंत में आरती के बाद व्रत का फल भगवान शिव-पार्वती को अर्पित करना न भूलें।

तो यह थी श्रावण के द्वितीया मंगला गौरी व्रत से जुड़ी जानकारी, हमारी कामना है कि आपका ये व्रत सफल हो और भोलेनाथ व माता पार्वती की कृपा से आपका जीवन सुख सौभाग्य से परिपूर्ण रहे। ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के साथ।

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Published by Sri Mandir·July 3, 2025

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