गणेश विसर्जन 2024 (Ganesh Visarjan)
- गणेश विसर्जन 2024 कब है?
- गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त?
- गणेश विसर्जन का क्या महत्व है?
- जानिए क्यों जरुरी है मूर्ती का विसर्जन?
- गणेश जी का विसर्जन कैसे करें?
- जानिए गणेश विसर्जन की पूरी विधि!
- गणेश विसर्जन से पहले करें ये काम, गणेश विसर्जन के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
गणेश विसर्जन 2024 कब है? (Ganesh Visarjan Kab Hai)
हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी के दिन बड़ी श्रद्धा भावना के साथ घरों में गणपति जी की स्थापना की जाती है। दस दिनों तक भक्त उनकी पूजा-अर्चना करते हैं, और स्थापना के 10 दिन बाद, यानि अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन किया जाता है। यह स्थापना डेढ़ दिन, 3, 5, 7 दिनों के लिए भी की जाती है। चौघड़िया मुहूर्त में भगवान गणेश जी का विसर्जन करना श्रेष्ठ माना गया है।
चलिए जानते हैं गणेश विसर्जन के विशेष चौघड़िया मुहूर्त:
- गणेश विसर्जन 17 सितंबर 2024, मंगलवार को अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाएगा।
- इस दिन प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) सुबह 08 बजकर 48 मिनट से दोपहर 01 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन अपराह्न मुहूर्त (शुभ) दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से 04 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन सायाह्न मुहूर्त (लाभ) शाम 07 बजकर 28 मिनट से रात 08 बजकर 56 मिनट तक रहेगा।
- वहीं रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) रात 10 बजकर 24 मिनट से 18 सितंबर को मध्यरात्रि 02 बजकर 49 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 16 सितंबर 2024 को दोपहर 03 बजकर 10 मिनट पर होगा।
- वहीं चतुर्दशी तिथि 17 सितंबर 2024 को सुबह 11 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगा।
गणेश विसर्जन के दिन के कुछ अन्य शुभ मुहूर्त (Ganesh Visarjan Shubh Muhurat)
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 11 मिनट से प्रातः 04 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।
- प्रातः सन्ध्या मुहूर्त प्रात: 04 बजकर 34 मिनट से सुबह 05 बजकर 45 मिनट तक होगा।
- अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 28 मिनट से 12 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
- विजय मुहूर्त दिन में 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन गोधूलि मुहूर्त शाम में 06 बजकर 00 मिनट से 06 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।
- सायाह्न सन्ध्या काल शाम में 06 बजकर 00 मिनट से 07 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।
- इस दिन अमृत काल शाम 07 बजकर 29 मिनट से 08 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।
इस दिन विशेष योग बन रहा है:
- रवि योग 17 सितम्बर की सुबह 05 बजकर 45 मिनट से दोपहर 01 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।
तो यह थी अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन के शुभ मुहूर्त से जुड़ी जानकारी। हम आशा करते हैं कि इन दस दिनों में आपकी विधि विधान से की गयी पूजा अर्चना सफल हो, और भगवान गणेश प्रसन्न होकर आपको सुख समृद्धि का आशीर्वाद दें।
जानिए क्यों जरुरी है मूर्ती का विसर्जन? (Ganesh Visarjan Kyu Kiya Jata Hai)
हर वर्ष गणेश उत्सव पूरे देश में भक्ति और उमंग की एक लहर लेकर आता है। लोग पूरी आस्था एवं प्रेम के साथ भगवान गणेश जी का स्वागत अपने घरों में करते हैं और 10 दिनों के पश्चात् अपने प्यारे गणपति बप्पा को जल में विसर्जित कर देते हैं।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि 10 दिनों के बाद भगवान को जल में विसर्जित क्यों कर दिया जाता है? आज इस प्रश्न के उत्तर के रूप में हम आपके लिए एक पौराणिक कथा लेकर आए हैं। इसे जानने के लिए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें-
ग्रंथों में वर्णित एक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में वेदव्यास जी ने भगवान गणेश जी को महाभारत की कथा सुनाई थी, जिसे स्वयं भगवान गणेश जी ने लिखा था।
वेद व्यास जी ने गणेश चतुर्थी के दिन कथा सुनाना शुरू किया था और उन्होंने अपनी आंखें बंद करके लगातार 10 दिनों तक उस कथा का वाचन किया था। 10 दिनों के पश्चात् जब कथा का अंत हुआ तब उन्होंने अपने नेत्र खोले। आंखें खुलने के बाद उन्होंने देखा कि इतने दिनों तक लगातार कथा सुनकर लिखने की वजह से भगवान गणेश जी के शरीर का तापमान काफी अधिक बढ़ गया था।
यह देखते ही वेदव्यास जी भगवान गणेश को पास में स्थित एक झील के पास ले गए। वहां उन्होंने गणपति जी के शरीर को शीतल करने के लिए झील के जल का प्रयोग किया। उस दिन अनंत चतुर्दशी का दिन था और तभी से इस दिन पर भगवान गणेश जी को शीतल करने की परंपरा का आरंभ हुआ था।
मान्यता यह भी है कि वेद व्यास जी ने भगवान गणेश जी के तापमान को बढ़ने से रोकने के लिए उनके शरीर पर सौंधी मिट्टी का लेप लगा दिया गया था। लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ, भगवान गणेश जी के शरीर का तापमान काफी बढ़ गया और पूरी मिट्टी सूख गई। यह देखते हुए, वेदव्यास जी गणेश जी को एक नदी के पास ले गए ताकि मिट्टी को हटाया जा सके और शरीर को शीतल किया जा सके। इस प्रकार भगवान गणपति जी के विसर्जन की प्रथा शुरू हुई।
गणेश विसर्जन का क्या महत्व है? (Ganesh Visarjan Importance)
कथाओं के अलावा भगवान गणेश जी को विसर्जित करना इस बात का प्रतीक है कि हमारा शरीर मिट्टी से बना है और अंत में उसी में विलीन हो जाएगा। जल का संबंध ज्ञान और बुद्धि से भी माना गया है जिसके कारक स्वयं भगवान गणेश हैं।
जल में विसर्जित होकर भगवान गणेश साकार से निराकार रूप में घुल जाते हैं। जल में मूर्ति विसर्जन से यह माना जाता है कि जल में घुलकर परमात्मा अपने मूल स्वरूप से मिल जाएं। यह परमात्मा के एकाकार होने का प्रतीक भी है।
भगवान गणेश जी को विसर्जित करने के पीछे कई सारे कारण और तर्क हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है इस प्रथा के निहित लोगों की असीम आस्था। यह इस पर्व की खूबसूरती है कि हर प्रकार के लोग इसमें सम्मिलित होते हैं और पूरे उत्साह से भगवान श्रीगणेश को विसर्जित करते हैं। साथ ही लोग अपने आराध्य से अगले साल फिर से आने की गुहार लगाते हैं।
गणेश जी का विसर्जन कैसे करें? (Ganesh Visarjan Vidhi)
गणेशोत्सव में गणेश जी को घर पर स्थापित करने के बाद पूरे विधि-विधान से उनकी प्रतिमा को विसर्जित करना अत्यंत आवश्यक है। आज हम उन सभी भक्तों के लिए भगवान गणेश जी के विसर्जन की विधि लेकर आए हैं, जो पहली बार बप्पा को घर पर लायें हैं। तो चलिए जानते हैं कि किस प्रकार किया जाता है गणेश विसर्जन और इसमें भक्तों को किन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए-
गणेश चतुर्थी पर लोग बड़े ही धूमधाम से बप्पा जी को घर पर स्थापित करते हैं। इसके बाद 1.5, 3, 5, 7, 9 या फिर 10 दिनों तक विधि-विधान से उनकी स्तुति एवं पूजन करने के बाद सम्मान पूर्वक भगवान जी का विसर्जन कर देते हैं।
इस विधि से करें गणेश जी को विसर्जित:
- विसर्जन के दिन सबसे पहले पूजा का उद्यापन विधिपूर्वक शास्त्रोक्त मंत्रों से करना चाहिए।
- घर में गणेशोत्सव के दौरान लाई गई मू्र्ति के साथ, घर के मंदिर में पहले से स्थापित गणपति जी की मूर्ति भी रखी जाती है।
- विसर्जन के समय इस बात का ध्यान रखें कि घर के मंदिर में पहले से स्थापित मूर्ति को यथास्थान रखा जाता है।
- भगवान जी को मंदिर में पुनः स्थापित करते समय यह प्रार्थना की जाती है कि, हे प्रभु अब आप ऋद्धि-सिद्धि के साथ मंदिर में स्थिर हो जाइए।
- मूर्ति को विसर्जन के लिए ले जाने से पहले हाथ में अक्षत लेकर प्रार्थना की जाती है कि गणपति बप्पा, आप अगले साल फिर से जल्दी आना।
- इसके पश्चात् अक्षत को भगवान जी की प्रतिमा पर छिड़क दिया जाता है।
- घर से निकलते वक्त बप्पा जी को एक पोटली में दही-पोहे बांधकर दिया जाता है। इसके पीछ की मान्यता यह है कि गणपति जी लंबी यात्रा पर जा रहे हैं, इसलिए यह आवश्यक है कि हम उनकी भूख का प्रबंध करें।
- अब पूरे धूम-धाम से भगवान की प्रतिमा को विसर्जन स्थल तक ले जाया जाता है।
- विसर्जन स्थल पर उनकी प्रतिमा को रख दिया जाता है और उन्हें नैवेद्य अर्पित किया जाता है। इसके बाद उनकी आरती उतारी जाती है।
- आरती उतारने के बाद उनकी प्रतिमा को जल में ले जाया जाता है। विसर्जन से पहले भगवान जी की प्रतिमा को 5 बार डुबकी लगवाई जाती है और फिर अंततः जल में विसर्जित कर दिया जाता है।
- विसर्जन से बाद नदी या जलाशय के किनारे मिट्टी को घर वापिस लाया जाता है।
- घर वापिस आते वक्त अन्य भक्तों में प्रसाद वितरित किया जाता है।
- इस प्रकार गणपति जी का आदर सत्कार करने के बाद उन्हें जल में विसर्जित किया जाता है।
गणेश विसर्जन के नियम (Ganesh Visarjan Ke Niyam)
गणेश विसर्जन से पहले करें ये काम, गणेश विसर्जन के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- गणपति विसर्जन के लिए प्रतिमा को ले जाते समय भगवान का मुख घर की ओर रखें.
- मान्यता है कि घर की तरफ पीठ रखने से गणेश जी रूष्ट हो जाते हैं.
- विसर्जन से पहले बप्पा से सुख-समृद्धि में वृद्धि की प्रार्थना करें और जाने-अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे.
- विसर्जन से पहले आरती के और प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए.
- गणपति बप्पा को शुभ मुहूर्त में विदा करना चाहिए.
- पृजा के दौरान अर्पित की गई चीजों को प्रभु के संग ही विसर्जित कर देनी चाहिए और अगले वर्ष उन्हें फिर आने की प्रार्थना करनी चाहिए।
- भगवान जी के विसर्जन पर कई भक्त भावुक भी हो जाते हैं और साथ में इस बात की कामना करते हैं कि गणपति जी अगले साल फिर से उनके घर पर पधारें।