चन्द्र दर्शन का शुभ मुहूर्त और महत्व

चन्द्र दर्शन का शुभ मुहूर्त और महत्व

16 सितम्बर, 2023 जानें चंद्र दर्शन की पूजा विधि और पाएं सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद


पुराणों में चंद्र देव को पूजनीय देवताओं में से एक माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्रमा मन का निर्देशक माना जाता है। चंद्र दर्शन के दिन चंद्र देव की पूजा अर्चना करना अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है, इसलिए हिंदू धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व है। लेकिन क्या आप जानते है कि 2023 में भाद्रपद मास का चंद्रदर्शन कब है और इसका शुभ मुहूर्त, महत्व क्या है? तो आइए जानते हैं चंद्र दर्शन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी।

चंद्र दर्शन का शुभ मुहूर्त

अमावस्या के बाद अगले दिन या दूसरे दिन को चन्द्र दर्शन दिवस कहा जाता है। आपको बता दें, हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि में चंद्र दर्शन किया जाता है। जिसका शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 26 मिनट से लेकर 7 बजकर 09 मिनट तक रहेगा। यानी कि 43 मिनट के इस शुभ मुहूर्त में आप चंद्र दर्शन कर सकते हैं।

चंद्र दर्शन का महत्व

चंद्र दर्शन कई मायनों में लाभकारी और कल्याणकारी माना जाता है। चंद्र दर्शन के दिन चंद्रमा की पूजा से मन को शांति मिलती है। साथ ही जीवन में सफलता के अनेक रास्ते खुलते हैं, साथ ही सद्बुद्धि की भी प्राप्ति होती है। वहीं जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा निम्न या अशुभ स्थिति में मौजूद होता है उन्हें अपने जीवन में तमाम परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। इसलिए कहा जाता है कि ऐसी कुंडली वाले लोग यदि चंद्र दर्शन के दिन चंद्र देवता की उपासना के साथ व्रत रखते हैं, तो चंद्र से उत्पन्न ग्रह दोष शांत हो जाते हैं।

चन्द्र दर्शन व्रत की पूजा विधि

चंद्र तिथि के दिन सुबह उठकर चंद्र देव का स्मरण करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद स्नान आदि कार्यों से निवृत होकर पूरे विधि-विधान से घर के मंदिर में पूजा-पाठ करें। पूजा के समय चंद्र दर्शन की व्रत कथा अवश्य सुनें। इसके बाद पूरा दिन फलाहार करके व्रत रखें।

शास्त्रों के अनुसार, चंद्र दर्शन की तिथि के दिन, शाम के समय चंद्र देव की पूजा की जाती है। चंद्र देव को सबसे पहले अर्घ्य दें, इसके बाद उन्हें पुष्प, दीप, नैवेद्य, रोली और अक्षत अर्पित करें और चंद्र देवता को खीर का प्रसाद अर्पित करें।

चंद्र भगवान की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें- “ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि, तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्” चंद्रमा की विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद व्रत का पारण करें। चंद्र दर्शन पर दान देना भी एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, इसके बिना आपका व्रत संपूर्ण नहीं होता है। तो इस प्रकार चंद्र देव की पूजा-अर्चना का फल आपको मिलेगा और आपके जीवन में सुख-समृद्धि के द्वार खुल जाते हैं।

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