विश्वकर्मा जी के चमत्कारिक निर्माण

विश्वकर्मा जी के चमत्कारिक निर्माण

17 सितम्बर, 2023 आज भी हैं धरती पर विश्वकर्मा जी के निर्माण कार्य


सतयुग से लेकर कलियुग तक भगवान विश्वकर्मा जी ने स्वयं अपने हाथों से कई अद्भुत वस्तुओं का निर्माण किया था, उनमें से कई तो आज भी धरती पर मौजूद हैं। इस लेख में हम आपको उन्हीं चमत्कारिक निर्माणों के बारे में बता रहे हैं, तो चलिए विश्वकर्मा भगवान की प्रमुख रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

द्वारिका नगरी

पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने विश्वकर्मा जी से भव्य और विशाल द्वारिका नगरी का निर्माण करवाया था। द्वारिका नगरी की लम्बाई-चौड़ाई 48 कोस थी। उसमें वास्तु शास्त्र के अनुसार चौड़ी सड़कों, चौराहों और गलियों का निर्माण किया गया था।

**पश्चिमाभिमुख सूर्य मंदिर **

भगवान विश्वकर्मा के अद्भुत निर्माणों में बिहार के औरंगाबाद के 'देव' में त्रेतायुग में बना पश्चिमाभिमुख सूर्य मंदिर भी शामिल है, जो कि अपनी विशिष्ट कलात्मकता के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में किया था। मंदिर में काले और भूरे रंग के पत्थरों की नायाब शिल्पकारी है।

मंदिर पर लगे शिला लेख में ब्राह्मी लिपि में लिखित श्लोक की तिथि के अनुसार वर्तमान समय में यह मंदिर एक लाख पचास हज़ार सत्रह वर्ष पुराना माना जाता है।

जगन्नाथ पुरी धाम में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी एवं सुभद्रा जी की प्रतिमा

एक प्राचीन कथा के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने ही एक वृद्ध शिल्पकार का रूप धारण करके भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी एवं सुभद्रा जी की प्रतिमाओं का निर्माण किया था, जिन्हें जगन्नाथ पुरी धाम में स्थापित किया गया था।

इंद्रप्रस्थ हमारे शास्त्रों के अनुसार कलियुग के आरंभ होने के पचास वर्ष पहले भगवान विश्वकर्मा ने ही इंद्रप्रस्थ जैसे भव्य नगर का निर्माण भी किया था। हस्तिनापुर से निकाले जाने के बाद पांडवों ने इंद्रप्रस्थ को ही अपनी राजधानी बनाया था। वर्तमान काल में इंद्रप्रस्थ को भारत की राजधानी दिल्ली के नाम से जाना जाता है।

हस्तिनापुर महाभारत में सबसे ज्यादा महत्व हस्त‌िनापुर को द‌िया गया है, क्योंक‌ि हस्तिनापुर कौरवों का राज्य था और पूरी महाभारत की कथा हस्त‌िनापुर के आज-पास ही घूमती है। यह स्‍थान वर्तमान में मेरठ शहर के पास बसा है।

राजीव लोचन मंदिर राजीव लोचन मंदिर अपनी शानदार वास्तुकला और समृद्ध विरासत के लिए लोकप्रिय है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। मंदिर के चारों ओर सौंदर्यपूर्ण पत्थर की नक्काशी है। यह मंदिर नदियों के संगम पर स्थित है, इस क्षेत्र को छत्तीसगढ़ का प्रयाग भी कहा जाता है, माघ पूर्णिमा पर राजीव लोचन मंदिर में मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें देश भर से श्रद्धालु भाग लेते हैं।

गोपी तालाब भगवान कृष्ण के आदेश पर ही विश्वकर्मा जी ने एक सुंदर तालाब का निर्माण किया था, जिसे वर्तमान में 'गोपी तालाब' के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि गोपियों ने कृष्ण के विरह में इस तालाब में प्राण त्याग दिए थे, तब कृष्ण ने इस तालाब की मिट्टी को वरदान दिया था कि उसकी मिट्टी चंदन के समान हो जाएगी। आज भी लोग यहां से मिट्टी लेकर जाते हैं। मंदिरों के आसपास की दुकानों में इस तालाब की मिट्टी बिकती है। इसे ‘गोपी चंदन’ कहते हैं।

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